भारत के एक ऐसे नवाब थे, जो किन्नरों की शोहबत में रहते थे. उनका दिल एक हिंजड़े पर ऐसा आया कि उस पर मोहित हो गये. उसके प्यार में ऐसे पागल हुए कि तमाम विरोध के बाद भी ना केवल शादी उससे शादी की बल्कि उसे बेगम भी बनाया. वैसे ये किन्नर इसका खूबसूरत था कि कोई भी उसको देखकर मंत्रमुग्ध हो जाता था.
ये अवध के नवाब वाजिद अली शाह थे. जिन्होंने एक हिजड़े यानि ख्वाजासरा से विधिवत शादी रचाई. उन्होंने अपने जीवनकाल में ‘राहस’ (नृत्य-नाटक) नामक एक नई नाट्य शैली का विकास किया, जिसमें पुरुष और महिला दोनों भूमिकाएं ज्यादातर पुरुषों या हिजड़ों द्वारा ही निभाई जाती थीं.
कहानी यह है कि नवाब एक बहुत ही सुंदर और प्रतिभाशाली हिजड़ा नर्तकी के प्रति आकर्षित हो गए, जिसका नाम औलाद या वजीर था. हालांकि कुछ लोग उसका नाम भी बताते हैं. उसकी नृत्य कला और सौंदर्य ने नवाब को उसका दीवाना बना दिया.
सुडौल शरीर, अप्सरा जैसा रूप
वजीर का शरीर सुडौल था. चेहरे पर नाजुकता और स्त्रीवत सौंदर्य था. आंखों में गजब की कशिश. जब वह मंच पर नृत्य करता, तो लगता मानो कोई अप्सरा वहां आ गई हो. उसकी हर भाव भंगिमा बिजलियां गिराती थी.
वह नवाब वाजिद अली शाह के विशेष नृत्य-मंडली का हिस्सा था. नवाब खुद एक उस्ताद कलाकार और संगीतज्ञ थे. वह वजीर की कला की गहराई और अभिव्यक्ति से बहुत प्रभावित होते चले गए.
और कैसे नवाब का दिल उसके लिए धड़कने लगा
कहानी उस शाम शुरू होती है, जब लखनऊ के कैसरबाग पैलेस में एक भव्य ‘राहस’ का आयोजन हुआ. महल की रोशनियां चारों तरफ़ जगमगा रही थीं. हवा में खुशबू और संगीत की लहरें तैर रही थीं. उस रात का नाटक एक दुखांत प्रेम कहानी पर आधारित था. वजीर ने नायिका की भूमिका निभाई. जैसे ही संगीत का सुर तेज़ हुआ, वजीर ने नृत्य के जरिए अपने अद्भुत अभिनय से उस सीन को मानो जीवंत ही कर दिया.
उस सीन में नायिका का अपने प्रेमी से विछोह हो रहा था. वजीर की आंखों में असली आंसू चमक रहे थे. चेहरे पर पीड़ा, विरह की व्यथा और एक अधूरेपन का भाव इतना सच्चा और मार्मिक था कि दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए.
नवाब वाजिद अली शाह अपने सिंहासन पर बैठे हुए थे. वह उठकर खड़े हुए. वह भी मंत्रमुग्ध से रह गए. उनकी आंखों में भी आंसू थे. उस रात के बाद, नवाब का दिल वजीर के लिए धड़कने लगा.
उलेमाओं ने शादी का विरोध किया
जब उन्होंने ये ऐलान किया कि वह उस किन्नर से शादी करके उसको अपनी रानी बनाएंगे तो उलेमाओं ने विरोध किया. इस तरह का विवाह इस्लामिक कानून और सामाजिक मानदंडों के लिए एक चुनौती थी. तब नवाब ने इस्लामिक नियमों की एक व्याख्या का सहारा लिया, जहां एक ‘मुख्ताना’ (नपुंसक व्यक्ति) के साथ विवाह की अनुमति थी, बशर्ते कि उसका उद्देश्य केवल साहचर्य और कंपनी हो, न कि यौन संबंध.
धूमधाम से हुई शादी
ये विवाह फिर बहुत धूमधाम से हुआ. नवाब ने अपनी इस दुल्हन को “महक परी”का खिताब दिया. उसे शाही हरम में ऊंचा दर्जा दिया. उसे कीमती जेवरात और वस्त्रों से नवाजा गया.
ये घटना ऐतिहासिक अभिलेखों में दर्ज है. उस समय के ब्रिटिश रेजिडेंट और अन्य अधिकारियों ने अपनी रिपोर्टों और संस्मरणों में नवाब के इस “अनोखे” विवाह का उल्लेख किया है, जिसे वे अक्सर हैरानी और तिरस्कार के साथ देखते थे. भारतीय इतिहासकार विलियम नाइटन जैसे इतिहासकार ने भी अपनी किताब में इसका जिक्र किया है.
अफ्रीकी महिलाओं को गार्ड बनाया, उनसे शादी भी की
अवध के नवाब वाजिद अली शाह ने अफ्रीकी मूल की महिलाओं को गार्ड के रूप में रखा था. वो उन्हें घेर कर चलती थीं. उनकी सुरक्षा करती थीं. ये महिलाएं स्थानीय राजनीतिक षड्यंत्रों, जातिगत गठजोड़ों, या परिवार के दबावों से पूरी तरह अलग और मुक्त थीं. नवाब के प्रति पूरी तरह वफादार. अफ्रीकी महिलाओं को उनकी शारीरिक शक्ति, साहस और युद्ध कौशल के लिए जाना जाता था. वह निडर होकर युद्ध करती थीं.
300 से ज्यादा शादियां रचाईं
हां, नवाब वाजिद अली शाह ने अपनी कई अफ्रीकी महिला गार्डों से शादी भी रचाई. ये एक ऐतिहासिक तथ्य है जिसकी पुष्टि कई विद्वानों और ऐतिहासिक स्रोतों ने की है. अफ्रीकी महिलाओं की सुंदरता, बल और अनूठे व्यक्तित्व ने उन्हें आकर्षित किया. उनकी 300 से ज्यादा बीवियां बनीं. इसमें अलग अलग जातियों और देशों की महिलाएं शामिल थीं. ब्रिटिश इतिहासकार रोज़ी लेलोंग ने अपनी किताब “फॉर्जाटन स्लेव्स: द अफ्रीकंस इन इंडिया” में इस बात का विस्तार से उल्लेख किया है.
कई विदेशी महिलाएं भी थीं रानी
वाजिद अली शाह के हरम कई देशों की महिलाएं शामिल थीं. अगर अफ्रीका महिला अंगरक्षकों को उन्होंने बीवियां बनाया तो फारसी महिलाएं भी उनके हरम में थीं. कहा जाता है कि उन्होंने कुछ अंग्रेज और फ्रांसीसी महिलाओं को भी अपने हरम में शामिल किया. तुर्की के ऑटोमन साम्राज्य की तुर्क महिलाओं से भी शादी रचाई. अरब देशों की महिलाएं भी उनके रनिवास की शोभा बनीं.
8 साल की उम्र में महिला सहायक से संबंध बनाया
वाजिद अली शाह अवध के आखिरी नवाब थे. वह साल 1847 में गद्दी पर बैठे. 1856 तक रहे. फिर अंग्रेजों ने उन्हें गद्दी से हटा दिया. सुदीप्ता मित्रा अपनी किताब ‘ ए नवाब एंड ए बेगम’ (A Nawab and A Begum) में लिखती हैं कि वाजिद अली जब 8 साल के थे, तब उस छोटी सी उम्र में पहली बार अपनी एक महिला सहायक के साथ शारीरिक संबंध बनाया. इसके बाद वह अपनी अपनी मां की सहायिका के प्रेम में पड़ गए, जो 35 साल की थी.
दोनों का रोमांस करीब 3 साल चला. 11 की उम्र में पहुंचने के बाद वाजिद अली, बन्नो साहेब नाम की एक महिला के फेर में पड़ गए, लेकिन वह पहले से शादीशुदा थी. इसलिए कोई संबंध नहीं बना. इसके बाद प्रिंस बन्नो की बहन हाजी खानम के प्रेम में पड़ गए. वह भी शादीशुदा थी लेकिन सरेंडर कर दिया. प्रिंस के साथ 14 की उम्र तक संबंध बनाती रही.
इतनी महिलाओं से संबंध बनाए कि खुद भूल गए
18 की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते नवाब वाजिद अली का इतनी महिलाओं से संबंध बना कि वह खुद भूल गए. इतिहासकार रोजी लेवलेन जोन्स अपनी किताब ‘द लास्ट किंग इन इंडिया: वाजिद अली शाह’ (The Last King in India: Wajid Ali Shah) में लिखती हैं कि 1857 की क्रांति से पहले नवाब वाजिद अली शाह को अंग्रेजों ने निकाल दिया और उन्हें कलकत्ता के फोर्ट विलियम में रहने को एक बंगला दिया. नवाब ने उस बंगले का नाम ‘सुल्तान खाना’ रखा.
वैसे तो वह बंगला कई किलोमीटर में फैला था, लेकिन नवाब की 365 बीवियों, उनके बच्चों, मंत्री, रसोइयों और नौकर-चाकर के रहने के लिए कम पड़ता था. मजबूरन नवाब को ‘सुल्तान खाना’ के अगल-बगल स्थित दो और बंगलों को किराए पर लेना पड़ा.
एक साथ 27 बेगमों को तलाक
अंग्रेजी हुकूमत नवाब वाजिद अली शाह को 1 लाख रुपये महीना भत्ता दिया करती थी, लेकिन इस पैसे से उनका काम बहुत मुश्किल से चल पाता था. एक बार नवाब की एक बेगम माशूक महल के बेटे ने अंग्रेजों से शिकायत की कि नवाब उसकी मां को गुजारे के लिए पैसा नहीं देते हैं.
रवि भट्ट अपनी किताब The Life and Times of the Nawabs of Lucknow में लिखते हैं कि अंग्रेजी सरकार ने नवाब वाजिद अली शाह को अपनी बेगम का भत्ता 2500 रुपये महीना बढ़ाने का आदेश दिया. नवाब इस बात से इतने नाराज हुए कि उन्होंने अपनी 27 बेगमों को एक दिन एक साथ तलाक दे दिया. कहा कि उनका खर्च नहीं उठा सकते हैं.
न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।