Last Updated:September 07, 2025, 16:48 IST

नई दिल्ली. दिल्ली हाईकोर्ट ने 2017 में 10 साल की एक बच्ची के साथ बलात्कार के मामले में एक व्यक्ति की 12 साल की जेल की सजा को बरकरार रखते हुए कहा कि पीड़िता की गवाही विश्वसनीय है तथा केवल इसी आधार पर दोषसिद्धि भी हो सकती है. जस्टिस मनोज कुमार ओहरी ने मामले में दोषी करार दिये गए टोनी नाम के व्यक्ति की अपील तीन सितंबर को खारिज करते हुए यह आदेश पारित किया.
जस्टिस मनोज ने कहा, “कानून की स्थापित स्थिति यह है कि भले ही पीड़िता घटना की एकमात्र गवाह हो, अगर उसकी गवाही विश्वसनीय और भरोसेमंद पाई जाती है, तो दोषसिद्धि बरकरार रखी जा सकती है. अगर पीड़ित बच्ची की गवाही विश्वसनीय है, तो दोषसिद्धि उसी के आधार पर हो सकती है.”
पुलिस में दर्ज एफआईआर के अनुसार, दोषी व्यक्ति बच्ची के स्कूल के पास फर्नीचर की एक दुकान में काम करता था तथा पीड़िता को चाउमीन और कचौड़ी जैसी खाने की चीज़ों का लालच देकर उसके साथ कई बार दुष्कर्म किया था. इसके अलावा, व्यक्ति ने धमकी दी थी कि अगर उसने किसी को इस बारे में बताया तो वह उसे नाले में “डुबो देगा या लकड़ी की तरह टुकड़े-टुकड़े कर देगा.” जज ने कहा कि बच्ची का बयान एक समान और विश्वसनीय रहा तथा व्यक्ति जिरह के दौरान उसकी गवाही को झुठला नहीं सका.
राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h...और पढ़ें
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
September 07, 2025, 16:48 IST