बंगाल में मुर्दे दे रहे थे गवाही? EC की सख्ती के बाद 24 घंटे में पलटा आंकड़ा

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Last Updated:December 04, 2025, 00:00 IST

पश्चिम बंगाल में SIR प्रक्रिया के दौरान बड़ा खेल हो गए. बीएलओ की जो रिपोर्ट सामने आई, उसमें 2,208 बूथों पर 20 साल में कोई मौत नहीं दिखाई गई. यह देखकर चुनाव आयोग के अध‍िकार‍ियों का माथ ठनक गया. लेकिन चुनाव आयोग ने सख्‍ती की तो यह आंकड़ा 29 रह गया. दक्षिण 24 परगना सबसे संदिग्ध जिला बना.

बंगाल में मुर्दे दे रहे थे गवाही? EC की सख्ती के बाद 24 घंटे में पलटा आंकड़ापश्च‍िम बंगाल एसआईआर में बड़ा खेल हो गया.

पश्चिम बंगाल में एसआईआर की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन इस दौरान सामने आए आंकड़ों ने चुनाव आयोग से लेकर राजनीतिक दलों तक सबके होश उड़ा दिए हैं. एक ऐसा चमत्कार सामने आया जिसे देखकर विज्ञान भी शर्मिंदा हो जाए. दावा किया गया कि राज्य के 2,208 बूथों पर पिछले 20 सालों में एक भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई! लेकिन जैसे ही चुनाव आयोग ने इस ‘अमरता’ के दावे पर आंखें तरेरीं और विस्तृत रिपोर्ट मांगी, महज 24 घंटे के भीतर यह झूठ ताश के पत्तों की तरह बिखर गया.

चुनाव आयोग मतदाता सूची को शुद्ध करने के लिए ‘स्पेशल इंटेस‍िव रिवीजन’ (SIR) चला रहा है. इसका मकसद मृत और शिफ्ट हो चुके मतदाताओं का नाम सूची से हटाना है. लेकिन इसी दौरान पहला हैरान करने वाला आंकड़ा आया. स्थानीय चुनाव अधिकारियों ने रिपोर्ट दी कि राज्य में 2,208 ऐसे पोलिंग बूथ हैं, जहां पिछले 20 वर्षों में एक भी वोटर की मौत नहीं हुई है. सीधे तौर पर देखें तो यह असंभव लगता है. इन आंकड़ों को देखते ही चुनाव आयोग को दाल में काला नजर आया. आयोग ने तुरंत विस्तृत रिपोर्ट तलब की और पूछा कि ऐसा कैसे संभव है? बीजेपी ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर पश्चिम बंगाल में एसआईआर के दूसरे चरण में तत्काल हस्तक्षेप की मांग की, और आरोप लगाया कि इस प्रक्रिया को प्रभावित करने और हेरफेर करने का प्रयास किया जा रहा है.

24 घंटे में यू-टर्न
आयोग की फटकार के बाद जब दोबारा जांच (Re-verification) का दिखावा या असल काम हुआ, तो संशोधित आंकड़ों ने पोल खोल दी. अधिकारियों ने माना कि 2,208 नहीं, बल्कि सिर्फ 29 बूथ ही ऐसे हैं (शायद बहुत छोटे या नए) जहां मौतें नहीं दर्ज हुईं. सवाल यह है कि बाकी 2,179 बूथों पर 20 साल से ‘मरे हुए लोग’ मतदाता सूची में क्या कर रहे थे?

दक्षिण 24 परगना: ‘फर्जीवाड़े’ का एपीसेंटर?
इस पूरे प्रकरण में दक्षिण 24 परगना जिला सबसे ज्यादा सवालों के घेरे में है. सूत्रों के मुताबिक, सबसे ज्यादा ‘अमर वोटर्स’ वाले बूथ इसी जिले में दिखाए गए थे. जो शुरुआती संदिग्ध आंकड़े (संशोधन से पहले) सामने आए थे, उनमें इन इलाकों की स्थिति सबसे चौंकाने वाली थी:

रायदिघी : 66 बूथ (जहां 20 साल से कोई मौत नहीं दिखाई गई)

कुलपी : 58 बूथ

पठारप्रतिमा : 20 बूथ

मगराहाट : 15 बूथ

इन आंकड़ों का मतलब यह था कि इन इलाकों में हजारों ऐसे नाम वोटर लिस्ट में मौजूद थे, जो असल दुनिया में शायद हैं ही नहीं.

बीजेपी का दावा: ‘घोस्ट वोटर्स’ से चुनाव जीतने की साजिश
इस खुलासे के बाद बीजेपी ममता बनर्जी सरकार और स्थानीय प्रशासन पर हमलावर हो गई है. बीजेपी का आरोप है कि यह प्रशासनिक चूक नहीं, बल्कि एक सुनियोजित साजिश है. बीजेपी का कहना है कि मृत लोगों के नाम जानबूझकर नहीं हटाए जाते ताकि चुनाव के दिन उनके नाम पर फर्जी वोट डाले जा सकें. बीजेपी नेताओं का सवाल है कि जब तक आयोग ने डंडा नहीं चलाया, तब तक स्थानीय अधिकारी 2,208 बूथों पर ‘जीरो डेथ’ की रिपोर्ट कैसे भेज रहे थे?

आयोग के सामने चुनौती
महज 24 घंटे में 2,208 से 29 का आंकड़ा यह साबित करता है कि मतदाता सूची के पुनरीक्षण कार्य में भारी लापरवाही या फिर जानबूझकर गड़बड़ी की जा रही थी. अब चुनाव आयोग के सामने चुनौती यह है कि वह यह सुनिश्चित करे कि संशोधित सूची में वाकई में मृत लोगों के नाम हटा दिए गए हैं या यह केवल आंकड़ों की बाजीगरी है. यह मामला बंगाल में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े करता है.

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Gyanendra Mishra

Mr. Gyanendra Kumar Mishra is associated with hindi.news18.com. working on home page. He has 20 yrs of rich experience in journalism. He Started his career with Amar Ujala then worked for 'Hindustan Times Group...और पढ़ें

Location :

Kolkata,West Bengal

First Published :

December 04, 2025, 00:00 IST

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