केवल 10 साल की लीज पर क्यों भारत को रूस से मिल रही तीसरी परमाणु पनडुब्बी

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Last Updated:December 03, 2025, 15:54 IST

Nuclear Submarine: भारत को रूस से तीसरी परमाणु पनडुब्बी 2027-28 में 10 साल की लीज पर मिलेगी. भारतीय नौसेना में शामिल होने के बाद इसे आईएनएस चक्र III के नाम से जाना जाएगा. क्यों केवल 10 साल की लीज पर मिल रही ये पनडुब्बी, जानें...

केवल 10 साल की लीज पर क्यों भारत को रूस से मिल रही तीसरी परमाणु पनडुब्बीरूस, भारत को तीसरी परमाणु पनडुब्बी पट्टे पर देगा जिसकी डिलीवरी 2027 या 2028 में होने की उम्मीद है.

Nuclear Submarine: 2022 में यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पहली बार रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4-5 दिसंबर को दो दिवसीय भारत यात्रा पर आ रहे हैं. भारत और रूस सदियों पुराने सहयोगी हैं, इन दोनों के रिश्ते भारत की आजादी के समय से ही चले आ रहे हैं. पुतिन की भारत यात्रा किसी विश्व नेता की कोई सामान्य और नियमित यात्रा नहीं होगी. रूसी नेता की दो दिवसीय यात्रा सामान्य कूटनीति से आगे बढ़कर व्यापार, रक्षा सौदों और रोजगार पर केंद्रित होगी. जब पुतिन प्रधानमंत्री मोदी से मिलेंगे, तो उनके डोनाल्ड ट्रंप और मॉस्को के साथ संबंधों को कम करने के लिए नई दिल्ली पर पड़ रहे दबाव पर चर्चा होने की संभावना है.

पुतिन की यात्रा की वजह से वो परमाणु पनडुब्बी भी चर्चा में आ गयी है, जो भारत को रूस से मिलने वाली है. यह भारत को रूस से मिलने वाली तीसरी परमाणु पनडुब्बी होगी. इसकी डिलीवरी 2027 या 2028 में होने की उम्मीद है. भारतीय नौसेना में शामिल होने के बाद इसे आईएनएस चक्र III के नाम से जाना जाएगा. इस परमाणु ऊर्जा चालित हमलावर पनडुब्बी को 10 साल के लिए लीज पर लिया जाएगा. यह रूस से लीज पर ली जाने वाली तीसरी पनडुब्बी होगी. यह भारत की अपनी तीसरी परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी, आईएनएस अरिदमन से अलग है. आईएनएस अरिदमन जल्द ही कमीशन होने वाली है.

2027-28 तक मिलेगी परमाणु पनडुब्बी
भारत को रूस से मिलने वाली परमाणु-संचालित अटैक सबमरीन (SSN-Nuclear-Powered Attack Submarine) पारंपरिक (गैर-परमाणु) हथियारों से लैस होगी. इसका उपयोग दुश्मन की पनडुब्बियों, युद्धपोतों और रणनीतिक ठिकानों को खोजने और नष्ट करने के लिए किया जाता है. मार्च 2019 में 3 अरब डॉलर (लगभग 25,000 करोड़ रुपये) से अधिक का समझौता हुआ था. यह पनडुब्बी 2025 तक मिलने की उम्मीद थी, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण इसमें देरी हुई है. अब इसकी डिलीवरी 2027-28 तक होने की संभावना है. लीज पर देने से पहले इस पनडुब्बी का रूस के सेवेरोडविंस्क शिपयार्ड में आधुनिकीकरण किया जा रहा है. पहली बार अकुला-क्लास पनडुब्बी (आईएनएस चक्र- 1988-1991) लीज पर ली गयी. दूसरी बार नेरपा नामक अकुला-क्लास पनडुब्बी (आईएनएस चक्र 2012-2022) 10 साल के लिए लीज पर ली गयी थी.

अगले साल शामिल होगी अरिदमन
इसके अलावा भारत अगले साल की शुरुआत में अपनी स्वदेशी रूप से निर्मित तीसरी परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बी आईएनएस अरिदमन को नौसेना में शामिल करके अपने परमाणु त्रिकोण के समुद्र-आधारित हिस्से को और मजबूत करेगा. यह पनडुब्बी पहली दो से बड़ी है और लंबी दूरी की परमाणु-संचालित बैलिस्टिक मिसाइलें ले जाने में सक्षम है. यह भारत में बनी तीसरी ऐसी पनडुब्बी है जिसे नौसेना की भाषा में एसएसबीएन कहा जाता है. इसका परीक्षण अंतिम चरण में है और जल्द ही आईएनएस अरिदमन के रूप में नौसेना में शामिल की जाएगी. इससे पहले दो आईएनएस अरिहंत और आईएनएस अरिघाट भारतीय नौसेना में शामिल किए गए थे. चौथा एसएसबीएन 2027 में शामिल किए जाने की संभावना है.

रूसी पनडुब्बी की लीज 10 साल ही क्यों
भारत का अंतिम लक्ष्य परमाणु पनडुब्बियों के लिए दूसरे देशों पर निर्भरता को पूरी तरह समाप्त करना है. लीज का प्राथमिक उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भारतीय नौसेना के पास हमेशा ऑपरेशनल परमाणु पनडुब्बियों का बेड़ा मौजूद रहे, जब तक कि स्वदेशी कार्यक्रम पूरी तरह से स्थापित नहीं हो जाता. यह लीज एक अंतरिम समाधान के रूप में काम करती है. यह सुनिश्चित करती है कि भारत के पास हमेशा परमाणु-संचालित हमला पनडुब्बियों (SSN) की क्षमता बनी रहे. यह पनडुब्बी भारतीय नौसेना के नाविकों और तकनीशियनों के लिए परमाणु रिएक्टर और जटिल पनडुब्बी प्रणालियों के संचालन, रखरखाव और मरम्मत का मूल्यवान प्रशिक्षण मंच प्रदान करती है. यह अनुभव भारत के अपने अरिहंत-क्लास (SSBN) और भविष्य के SSN कार्यक्रम के लिए महत्वपूर्ण है.

चक्र और अरिदमन के बीच क्या अंतर
INS चक्र-3 एक अटैक सबमरीन है, जिसका उपयोग पारंपरिक युद्ध अभियानों के लिए किया जाता है. INS अरिदमन एक बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी है, जो परमाणु-सक्षम मिसाइलों से लैस है और भारत की ‘नो-फर्स्ट-यूज’ परमाणु नीति के तहत विश्वसनीय न्यूनतम प्रतिरोधक क्षमता के लिए सबसे सुरक्षित और भरोसेमंद प्लेटफॉर्म मानी जाती है. ये पनडुब्बियां चीन और पाकिस्तान जैसे देशों की बढ़ती समुद्री क्षमताओं के बीच हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की सामरिक शक्ति और प्रतिरोधक क्षमता को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएंगी.

Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

December 03, 2025, 15:54 IST

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केवल 10 साल की लीज पर क्यों भारत को रूस से मिल रही तीसरी परमाणु पनडुब्बी

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