बंगाल की खाड़ी में ब्रह्मोस की दहाड़, कॉम्बैट मोड में सेना का सटीक वार

1 hour ago

Last Updated:December 01, 2025, 21:49 IST

बंगाल की खाड़ी में भारतीय सेना ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का हाई-इंटेंसिटी कॉम्बैट लॉन्च कर दुनिया को दिखा दिया कि हिंद महासागर में उसकी मारक क्षमता कितनी घातक और सटीक है. साउदर्न कमांड और अंडमान-निकोबार कमांड के संयुक्त ऑपरेशन में मिसाइल ने रियल-वार जैसी परिस्थितियों में लक्ष्य को सटीकता से ध्वस्त किया. यह संदेश साफ है कि भारत हर मोर्चे पर आक्रामक और पूरी तरह तैयार है.

बंगाल की खाड़ी में ब्रह्मोस की दहाड़, कॉम्बैट मोड में सेना का सटीक वारब्रह्मोस का वार.

नई दिल्‍ली. भारत ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि हिंद महासागर में उसकी मारक क्षमता किसी भी प्रतिद्वंद्वी को चुनौती देने के लिए पर्याप्त से कहीं ज्यादा है. भारतीय सेना ने मंगलवार को बंगाल की खाड़ी में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का एक हाई-इंटेंसिटी कॉम्बैट लॉन्च किया, जिसने न सिर्फ अपनी सटीकता का शानदार प्रदर्शन किया बल्कि भारत की लंबी दूरी की स्ट्राइक क्षमता को दोगुनी मजबूती के साथ दुनिया के सामने रख दिया. यह टेस्ट सिर्फ तकनीकी प्रदर्शन नहीं था, यह सीधा संदेश था कि भारत समुद्र, सीमा और आसमान, हर मोर्चे पर तैयार है.

यह मिशन भारतीय सेना की साउदर्न कमांड की ब्रह्मोस यूनिट ने अंडमान-निकोबार कमांड (ANC) के साथ मिलकर पूरा किया. अंडमान-निकोबार कमांड भारत की पहली और एकमात्र ट्राई-सर्विस कमांड है, जो सेना, नेवी और एयरफोर्स तीनों के संयुक्त ऑपरेशंस को संभालती है. इस कॉम्बाइंड ऑपरेशन ने यह साफ कर दिया है कि भारत अब सिर्फ अपनी जमीन पर ही नहीं बल्कि पूरे हिंद महासागर क्षेत्र में किसी भी खतरे का जवाब देने के लिए तैयार है.

मिसाइल ने हवा चीरते हुए लक्ष्य को भेदा
जिस ब्रह्मोस मिसाइल का परीक्षण किया गया वह उन्नत गाइडेंस सिस्टम से लैस थी. मिसाइल की सबसे बड़ी ताकत उसकी सुपरसोनिक गति यानी आवाज की गति से लगभग तीन गुना तेज (Mach 2.8–3.0) उड़ान भरना है. इतनी रफ्तार पर उड़ते हुए लक्ष्य पर सटीक वार करना किसी भी हथियार प्रणाली के लिए आसान नहीं होता, लेकिन ब्रह्मोस ने यह फिर साबित कर दिया कि भारतीय सेना की तकनीकी क्षमता दुनिया के टॉप मिसाइल सिस्टम्स में से एक है. लॉन्च के बाद मिसाइल ने बिल्कुल स्थिर और नियंत्रित उड़ान भरी, मध्यम-स्तर की ऊंचाई से लक्ष्य की ओर जाती हुई उसने अंतिम क्षणों में अपनी टर्मिनल गाइडेंस एक्टिवेट की और सेंटिमीटर-लेवल प्रिसिजन के साथ लक्ष्य को भेद दिया.

यह सटीकता किसी भी ‘रियल वॉर’ स्थिति में दुश्मन के कमांड सेंटर, वैल्यू टार्गेट या स्ट्रैटेजिक इन्फ्रास्ट्रक्चर को खत्म करने की क्षमता देती है. भारतीय सेना इसे ‘कॉम्बैट लॉन्च’ इसलिए कह रही है क्योंकि यह सिर्फ एक तकनीकी टेस्ट नहीं था—बल्कि सेना की उन परिस्थितियों में मिसाइल दागने की क्षमता की पुष्टि करना था, जिनमें मौसम, कम्युनिकेशन, इंटर-कमांड कोऑर्डिनेशन और दबाव बिल्कुल वास्तविक युद्ध जैसा होता है.

हिंद महासागर में ‘नो-गो ज़ोन’ बनाए बिना नहीं रुकेगा भारत
हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में चीन की बढ़ती गतिविधियों के बीच भारत का यह परीक्षण सिर्फ एक टेस्ट नहीं, बल्कि एक रणनीतिक संकेत भी है. चीन की नौसेना पिछले कुछ वर्षों में IOR में अपनी उपस्थिति बढ़ाती रही है, जिसमें स्पाई शिप्स, रिसर्च वेसल और युआन-क्लास सबमरीन्स की तैनाती शामिल है. ऐसे में ब्रह्मोस की यह क्षमता कि वह द्वीपों और समुद्री प्लेटफॉर्म्स से भी दुश्मन पर लंबी दूरी का सटीक हमला कर सकता है भारत को सीधा बढ़त देती है. इस लॉन्च के जरिए यह साफ संदेश गया है कि हिंद महासागर भारत का ‘प्रभाव क्षेत्र’ है और दुश्मन की किसी भी हरकत का जवाब अब पहले से भी ज्यादा तेज और घातक तरीके से दिया जाएगा.

“हर परिस्थिति में तैयार है भारतीय सेना”
साउदर्न कमांड के GOC-in-C लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ ने इस लॉन्च की सराहना करते हुए कहा कि यह भारतीय सेना की मिशन-तैयारी और वास्तविक युद्ध जैसी परिस्थितियों में सटीक स्ट्राइक की क्षमता का स्पष्ट प्रमाण है. उन्होंने यह भी कहा कि यह उपलब्धि सिर्फ तकनीकी जीत नहीं है, बल्कि भारतीय सेना की पेशेवर क्षमता और ऑपरेशनल दक्षता का भी प्रदर्शन है. उनके शब्दों में—

भारतीय सेना किसी भी परिस्थिति में अपनी जमीन, सीमा और समुद्री हितों की रक्षा करने के लिए पूरी तरह तैयार है. ब्रह्मोस यूनिट्स ने इसे एक बार फिर साबित किया.

आत्मनिर्भर भारत का मजबूत कदम
इस लॉन्च की एक और अहम बात है इसकी तकनीकी आत्मनिर्भरता. ब्रह्मोस मिसाइल प्रोजेक्ट में आज 75% से अधिक तकनीक भारत में विकसित होती है. लगातार किए जा रहे अपग्रेड जैसे नई गाइडेंस प्रणाली, बेहतर प्रोपल्शन, उन्नत सॉफ्टवेयर और लंबी मारक क्षमता भारत को ऐसे राष्ट्रों की सूची में खड़ा करते हैं जो अपनी क्रूज मिसाइल क्षमता खुद विकसित कर रहे हैं. यह लॉन्च ‘आत्मनिर्भर भारत’ की उस दिशा में एक और बड़ा कदम है, जिसमें भारत सिर्फ रक्षा उपकरण खरीदने वाला देश नहीं, बल्कि उन्हें बनाने, सुधारने और एक्सपोर्ट करने वाला वैश्विक खिलाड़ी बन चुका है.

क्यों खास है यह लॉन्च?
यह मिसाइल सीधी वार जैसी परिस्थितियों में दागी गई
इंटर-कमांड ऑपरेशन: Southern Command + ANC
द्वीप/समुद्री क्षेत्र से लंबी दूरी की स्ट्राइक क्षमता का प्रदर्शन
तेज रफ्तार पर भी अत्यधिक सटीकता
क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वियों के लिए स्पष्ट संदेश—भारत सिर्फ डिफेंसिव नहीं, आक्रामक रूप से तैयार है.

First Published :

December 01, 2025, 21:49 IST

homenation

बंगाल की खाड़ी में ब्रह्मोस की दहाड़, कॉम्बैट मोड में सेना का सटीक वार

Read Full Article at Source