Last Updated:December 17, 2025, 11:39 IST
CJI Surya Kant News: सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची ने केंद्र को बड़ी सीख दी. उन्होंने कहा कि एनसीआर में अपराधी अक्सर चंद किलोमीटर का फासला तय करके एक शहर से दूसरे शहर भाग जाते हैं और पुलिस के साथ-साथ कोर्ट के अधिकार क्षेत्र को उलझा देते हैं. उन्होंने इसके साथ ही ऐसे मामलों से निपटने के लिए एक तय अदालत और पुलिस बनाने की सलाह दी.
सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची ने केंद्र को बड़ी सीख दी.सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने कहा कि एनसीआर में अपराधी अक्सर चंद किलोमीटर का फासला तय करके एक शहर से दूसरे शहर भाग जाते हैं और पुलिस के साथ-साथ कोर्ट के अधिकार क्षेत्र को उलझा देते हैं. उन्होंने इसके साथ ही ऐसे मामलों से निपटने के लिए एक तय अदालत और पुलिस बनाने की सलाह दी.
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते संगठित अपराध और आतंक से जुड़े मामलों को लेकर एक अहम कदम उठाया है. कोर्ट ने कहा कि दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम जैसे इलाकों में अपराधी कानून की कमियों का फायदा उठाकर बच निकलते हैं और ट्रायल को जानबूझकर लंबा खींचते हैं. कोर्ट का साफ कहना है कि मौजूदा व्यवस्था में ऐसे ‘शातिर अपराधियों’ को फायदा मिल रहा है, जो समाज और देश के हित में नहीं है.
कैसे कोर्ट और पुलिस को उलझाते हैं पुलिस?
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने कहा कि एनसीआर में अपराधी अक्सर चंद किलोमीटर का फासला तय करके एक शहर से दूसरे शहर भाग जाते हैं और पुलिस के साथ-साथ कोर्ट के अधिकार क्षेत्र को उलझा देते हैं. इससे एक ही अपराध से जुड़े कई मामले अलग-अलग थानों, एजेंसियों और अदालतों में बंट जाते हैं, जांच बिखर जाती है और ट्रायल में सालों की देरी हो जाती है. कोर्ट ने कहा कि इसका सीधा फायदा अपराधियों को मिलता है.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार से सवाल किया कि आखिर एनसीआर के लिए कोई खास कानून क्यों नहीं है, जैसा महाराष्ट्र में MCOCA (मकोका) है. मकोका के तहत पुलिस को संगठित अपराध और गैंग के खिलाफ कड़े अधिकार मिलते हैं, जैसे सर्विलांस और डिजिटल इंटरसेप्शन. कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में अपराध करके आरोपी गुरुग्राम, गाजियाबाद या नोएडा चला जाता है, फिर वापस दिल्ली आ जाता है. ऐसे में एक ऐसा कानून क्यों नहीं हो सकता, जो पूरे एनसीआर को एक साथ कवर करे.
एक अदालत, एक पुलिस पर क्यों दी हिदायत?
जब सरकार की ओर से बताया गया कि मकोका दिल्ली में लागू है, तो कोर्ट ने आगे सवाल किया कि फिर पूरे एनसीआर के लिए एक जैसी व्यवस्था क्यों नहीं बनाई जा सकती. कोर्ट ने कहा कि कई बार अपराध सीमावर्ती इलाकों में होते हैं और अलग-अलग राज्यों की पुलिस व कोर्ट इसमें उलझ जाती हैं. अगर कानून में यह साफ हो जाए कि ऐसे मामलों में एक तय अदालत और एजेंसी ही केस देखेगी, तो अपराधियों को फायदा नहीं मिलेगा.
कोर्ट ने यह भी कहा कि अभी स्थिति यह है कि एक केस से जुड़ी सुनवाई अलग-अलग जगहों पर होती है… एनआईए कोर्ट दिल्ली में, मनी लॉन्ड्रिंग का केस नोएडा में और कोई दूसरा मामला गुरुग्राम में. इससे केस कमजोर होता है. कोर्ट ने सुझाव दिया कि एनआईए एक्ट की तरह कोई व्यवस्था बनाई जा सकती है, जिसमें कई राज्यों से जुड़े मामलों को एक ही एजेंसी और एक ही कोर्ट के तहत लाया जाए.
सीजेआई सूर्यकांत ने साफ कहा कि यह सिर्फ अदालतों से हल होने वाला मुद्दा नहीं है, बल्कि इसमें कानून बनाने की जरूरत है. उन्होंने केंद्र सरकार से कहा कि वह इस पर गंभीरता से विचार करे, ताकि दिल्ली-एनसीआर में अपराध से निपटने की पुलिस और कानूनी व्यवस्था ज्यादा मजबूत, तेज और प्रभावी बन सके.
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An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें
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New Delhi,Delhi
First Published :
December 17, 2025, 11:30 IST

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