पीएम मोदी पहलगाम अटैक के बाद पहली बार जम्‍मू-कश्‍मीर के दौरे पर

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Last Updated:June 06, 2025, 07:57 IST

PM Modi Jammu-Kashmir Visit Live: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहलगाम अटैक और ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद पहली बार जम्‍मू-कश्‍मीर के दौरे पर जा रहे हैं. वे दुनिया के सबसे ऊंचे रेल ब्रिज का उद्घाटन करेंगे. इस तरह...और पढ़ें

पीएम मोदी पहलगाम अटैक के बाद पहली बार जम्‍मू-कश्‍मीर के दौरे पर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को जम्‍मू-कश्‍मीर में होंगे. वे देश को दुनिया की सबसे ऊंची चेनाब ब्रिज की सौगात देंगे. (फोटो: पीटीआई)

PM Modi Jammu-Kashmir Visit Live: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार 6 जून 2025 को पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों के नरसंहार के बाद पहली बार जम्‍मू-कश्‍मीर के दौरे पर होंगे. पीएम मोदी देश को दुनिया के सबसे ऊंचे रेल ब्रिज की सौगात देंगे. ब्रिज के जरिये जम्‍मू और श्रीनगर दशकों के बाद रेल लिंक से जुड़ जाएगा. कई साल पहले घाटी को देश के अन्‍य हिस्‍सों से रेल नेटवर्क से जोड़ने का सपना देखा गया था. अब जाकर वह साकार हुआ है. इससे कश्‍मीर वैली में न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि व्‍यवसाय-कारोबार को भी नए पंख मिलने की उम्‍मीद है. इसके साथ ही पीएम मोदी उम्‍मीद वक्‍फ एप्‍प भी लॉन्‍च करेंगे.

केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को देश के अन्य हिस्सों से रेलवे लाइन के माध्यम से जोड़ना सदियों पुराना सपना था, जो अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दृढ़ इच्छाशक्ति और अथक प्रयासों से साकार हो रहा है. चेनाब रेल ब्रिज का उद्घाटन देश के लिए एक ऐतिहासिक क्षण होगा. इसके साथ ही दो वंदे भारत ट्रेनों का भी लोकार्पण किया जाएगा, जो इस क्षेत्र में रेल कनेक्टिविटी को और मजबूत करेंगी. अश्विनी वैष्णव ने बताया कि जम्मू-कश्मीर की भौगोलिक चुनौतियों के बावजूद इस परियोजना को पूरा करना एक अभूतपूर्व उपलब्धि है. जम्मू स्टेशन पर चल रहे काम के कारण वंदे भारत ट्रेनें फिलहाल कटरा से श्रीनगर तक चलेंगी, लेकिन सितंबर 2025 से ये ट्रेनें जम्मू से श्रीनगर तक पूरे रूट पर ऑपरेट होंगी. इस रेल परियोजना में दो इंजीनियरिंग चमत्कार (चिनाब ब्रिज और अंजी ब्रिज शामिल हैं) जो अत्याधुनिक तकनीक और डिजाइन के प्रतीक हैं.

चिनाब ब्रिज दुनिया का सबसे ऊंचा रेल आर्च ब्रिज है. यह भूकंप के लिहाज से जोन-5 में स्थित है. यह ब्रिज दो पहाड़ों के बीच बना है, जहां तेज हवाओं की वजह से विंड टनल फिनोमेना देखा जाता है. इस चुनौती को ध्यान में रखते हुए ब्रिज को 260 किलोमीटर प्रति घंटा की हवा की गति का सामना करने के लिए डिजाइन किया गया है. वैष्णव ने बताया कि इस ब्रिज के निर्माण में नींव और मेन स्‍ट्रक्‍चर को जोड़ने में कई जटिल चुनौतियों का सामना करना पड़ा. प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाते हुए इन चुनौतियों को पार किया गया, जिससे यह परियोजना न केवल तकनीकी, बल्कि पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी अनूठा है. चिनाब और अंजी ब्रिज के निर्माण में भारतीय इंजीनियरों की तकनीकी विशेषज्ञता और इनोवेशन का प्रदर्शन हुआ है. इन पुलों को बनाने में जटिल तकनीकों का उपयोग किया गया, जो विश्व स्तर पर इंजीनियरिंग के क्षेत्र में देश की बढ़ती साख को दर्शाता है.

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