Last Updated:June 09, 2025, 06:01 IST
India Turkey News: तुर्की के पाकिस्तान समर्थक रुख के बाद भारत में तुर्की से आयात पर प्रतिबंध की मांग उठ रही है. सरकार ने तुर्की की कंपनियों पर सख्ती की है, लेकिन उसके साथ व्यापारिक रिश्ते खत्म नहीं किए हैं. समझ...और पढ़ें

तुर्की खुलेआम पाकिस्तान का साथ दे रहा है, लेकिन इसके बावजूद भारत ने उससे व्यापारिक रिश्ते खत्म नहीं किए हैं.
हाइलाइट्स
भारत में तुर्की से आयात पर प्रतिबंध लगाने की मांग उठ रही है.भारत तुर्की को 2.73 अरब डॉलर का व्यापार सरप्लस चलाता है.राष्ट्रीय सुरक्षा पर सख्ती, व्यापारिक हितों पर सतर्कता बरती जा रही है.तुर्की के पाकिस्तान समर्थक रुख और भारत विरोधी बयानों के बाद देश में तुर्की से आयात पर प्रतिबंध लगाने की मांग तेजी से उठ रही हैं. खासकर हिमाचल के सेब उत्पादक और राजस्थान के मार्बल व्यापारी लगातार यह सवाल उठा रहे हैं कि जब तुर्की खुलेआम पाकिस्तान का साथ दे रहा है, तो भारत उससे व्यापारिक रिश्ते क्यों बनाए रखे हुए है?
इसका जवाब सीधा है… राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर जहां सरकार ने तुर्की की कंपनियों पर कार्रवाई की है, वहीं व्यापारिक मोर्चे पर अभी सतर्कता बरती जा रही है. कारण? भारत इस समय तुर्की के साथ 2.73 अरब डॉलर का माल व्यापार सरप्लस चलाता है. यानी हम तुर्की को जितना बेचते हैं, वह हमसे उससे कहीं कम सामान खरीदता है. ऐसे में अगर भारत कोई बड़ा प्रतिबंध लगाता है, तो इससे हमारे निर्यातकों को भी नुकसान हो सकता है – खासकर इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स और केमिकल जैसे क्षेत्रों में.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में वाणिज्य मंत्रालय के एक अधिकारी के हवाले से बताया गया कि, ‘हमें तुर्की से आयात रोकने की कई मांगें मिली हैं, हिमाचल के सेब उत्पादकों ने भी इसके लिए अपील की है. लेकिन हमें अपने निर्यातकों के हित भी ध्यान में रखने हैं. व्यापार पर रोक एक मजबूत भू-राजनीतिक संदेश जरूर हो सकता है, लेकिन सवाल यह है कि आप इसे कितनी दूर तक ले जाना चाहते हैं.’
साल 2024-25 में भारत ने तुर्की को 5.72 अरब डॉलर का माल निर्यात किया, जिसमें से अकेले इंजीनियरिंग सामान की हिस्सेदारी 3 अरब डॉलर रही. गौर करने वाली बात यह है कि इनमें से 35-40% निर्यात MSME सेक्टर से आया, यानी छोटे और मध्यम कारखानों की सीधी भागीदारी रही.
भारत से क्या-क्या सामान मंगाता है तुर्की?
वहीं, तुर्की से भारत का आयात कुल 2.99 अरब डॉलर रहा, जिसमें से 270.83 मिलियन डॉलर का सोना और करीब 107 मिलियन डॉलर के फल और मेवे शामिल थे. फल और मेवे, खासकर सेब, के आयात में पिछले वर्ष के मुकाबले लगभग 10% की वृद्धि हुई है.
हिमाचल के बागवानों का कहना है कि तुर्की से सब्सिडी पर आने वाले सेब उनके पूरे कारोबार को बर्बाद कर रहे हैं और इससे पहाड़ी राज्यों की आर्थिकी पर बड़ा असर पड़ रहा है. इसी तरह, राजस्थान के उदयपुर से मार्बल प्रोसेसरों ने भी तुर्की से मार्बल के आयात पर रोक की मांग की है. उन्होंने यह मांग इसलिए भी रखी क्योंकि तुर्की ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान का साथ दिया था.
टर्किश कंपनियों पर सरकार की सख्ती
इस बीच, भारत सरकार ने सुरक्षा के मोर्चे पर तुर्की की कंपनियों पर सख्ती भी शुरू कर दी है. हाल ही में, नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (BCAS) ने तुर्की की कंपनी सेलेबी एविएशन की भारतीय इकाई की सुरक्षा मंजूरी रद्द कर दी थी. हालांकि बॉम्बे हाईकोर्ट ने 26 मई को मुंबई एयरपोर्ट प्रबंधन को टेंडर प्रक्रिया पर रोक लगा दी है, जब तक कि सेलेबी की याचिका पर सुनवाई पूरी नहीं होती.
इस घटनाक्रम से साफ है कि भारत सरकार तुर्की से जुड़ी कंपनियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर कड़ा रुख अपना रही है, लेकिन व्यापार को पूरी तरह खत्म करना फिलहाल रणनीतिक रूप से उचित नहीं माना जा रहा. इसके पीछे आर्थिक तर्क यह है कि भारत फिलहाल तुर्की से ज्यादा उसे बेच रहा है और इस व्यापार से देश के हजारों छोटे व्यवसायी और MSME जुड़े हुए हैं.
इसलिए सरकार एक संतुलित नीति अपना रही है- जहां राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में कड़ाई दिखाई जा रही है, वहीं आर्थिक हितों को देखते हुए व्यापारिक मोर्चे पर कदम फूंक-फूंककर रखे जा रहे हैं.
An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें
An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...
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New Delhi,Delhi