नौसेना के खामोश शिकारी का नाम INS माहे क्‍यों? पल भर में दुश्‍मन का खेल खत्‍म

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Last Updated:November 25, 2025, 16:52 IST

INS Mahe : समंदर की खामोश लहरों के बीच भारतीय नौसेना का नया साइलेंट किलर INS माहे तैनात हो चुका है. 78 मीटर लंबा, 1,100 टन वॉरशिप, शैलो वॉटर में पनडुब्बियों का शिकार करने में माहिर है. हल-माउंटेड सोनार, ASW रॉकेट, टॉरपीडो और 30mm गन के साथ यह तटीय सुरक्षा का नया कवच है. पुडुचेरी के ऐतिहासिक तटीय क्षेत्र माहे के नाम पर रखा गया यह जहाज 80% स्वदेशी तकनीक का आधुनिक प्रतीक है.

नौसेना के खामोश शिकारी का नाम INS माहे क्‍यों? पल भर में दुश्‍मन का खेल खत्‍मआईएनएस माहे नेवी में शामिल हो गया है.

नई दिल्‍ली. समंदर की खामोशी भी कभी-कभी एक कहानी कह देती है. लहरों की धीमी थपकिया मानो किसी राज को किनारे तक लाने की कोशिश कर रही हों. भोर की नीम-उंगली रोशनी में भारतीय नौसेना का एक नया सिपाही जागता है. एक खामोश शिकारी यानी साइलेंट किलर जिसका नाम आईएनएस माहे है. भारतीय नौसेना ने हाल ही में अपने बेड़े में एक बेहद खास युद्धपोत आईएनएस माहे को शामिल किया है, जो माहे-क्लास एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट (ASW-SWC) का पहला जहाज है. इसे खासतौर पर कम गहराई वाले समुद्री इलाकों में पनडुब्बियों को खोजने, ट्रैक करने और मार गिराने के लिए बनाया गया है. नौसेना इसे अपना साइलेंट हंटर यानी खामोश शिकारी कहती है.

INS माहे नाम क्यों पड़ा?
अब सवाल यह है कि इस समंदर के राजा का नाम आईएनएस माहे ही क्‍यों पड़ा. दरअसल, इस जहाज का नाम पुडुचेरी के ऐतिहासिक तटीय इलाके माहे पर रखा गया है. माहे भारत का वह समुद्री द्वार है जिसने कई सदियों तक व्यापार, युद्धकला और समुद्री सभ्यता के उतार-चढ़ाव देखे. नौसेना ने इस शहर की समुद्री विरासत और उसकी विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान को सम्मान देने के लिए इस युद्धपोत का नाम INS माहे रखा है.

इसकी चोटी पर उरुमी यानी कि केरल की कलारिपयट्टु से आने वाली लचीली तलवार का चिन्ह है, जो इस पोत की पहचान को परिभाषित करता है:

·         फुर्तीला

·         लचीला

·         और खामोशी में भी जानलेवा

यही वजह है कि INS माहे सिर्फ एक जहाज नहीं बल्कि माहे की समुद्री आत्मा का आधुनिक रूप माना जा रहा है.

INS माहे की लंबाई, क्षमता और बनावट
INS माहे लगभग 78 मीटर लंबा और करीब 1,100 टन का युद्धपोत है. इसे कोचीन शिपयार्ड में बनाया गया है और इसमें 80% से ज्यादा स्वदेशी सामग्री का उपयोग हुआ है. इसमें 57–60 नाविकों का दल तैनात रह सकते हैं. कम गहराई वाले क्षेत्रों के लिए इसे विशेष रूप से डिजाइन किया गया है—इसका ड्राफ्ट सिर्फ 2.7 मीटर है. इससे यह उन इलाकों में आसानी से चल सकता है, जहां बड़े जहाज मुश्किल से प्रवेश कर पाते हैं.

INS माहे को क्‍यों कहा जाता है साइलेंट हंटर?
इसका वॉटर-जेट सिस्टम आवाज कम पैदा करता है, इसलिए इसे “साइलेंट हंटर” कहा जाता है. INS माहे डीजल इंजन और वॉटर-जेट प्रोपल्शन तकनीक से चलता है.

·         अधिकतम स्पीड: 25 नॉट्स

·         रेंज: 14 नॉट्स गति पर 1,800 नाविक मील

INS Mahe पूरी तरह से एंटी-सबमरीन युद्ध के लिए सुसज्जित है. इसमें हैं—

·         लाइटवेट टॉरपीडो सिस्टम

·         ASW रॉकेट लॉन्चर (RBU सिस्टम)

·         माइन लेइंग रेल्स

·         30mm नेवल गन

·         12.7mm रिमोट कंट्रोल मशीन गन

इसके साथ उन्नत हल माउंटेड सोनार, नेविगेशन रडार और फायर कंट्रोल सिस्टम इसे तकनीकी रूप से बेहद घातक बनाते हैं.

फायदे: भारत की तटीय सुरक्षा का नया अभेद कवच
·         यह विशेष रूप से तटीय इलाकों में छिपी पनडुब्बियों का शिकार कर सकता है.

·         चीन और पाकिस्तान की सबमरीन गतिविधियों पर नजर रखने में नौसेना को भारी बढ़त मिलेगी.

·         पुरानी अभेय-क्‍लास की जगह आधुनिक, तेज, साइलेंट और ज्यादा घातक जहाज शामिल होंगे.

·         खदान बिछाने, निकासी, निरीक्षण और तटरक्षक सहयोग जैसे मिशनों में भी सक्षम.

·         80% स्वदेशी निर्माण, जिससे रखरखाव व अपग्रेडिंग बेहद आसान.

Sandeep Gupta

पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्‍त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्‍कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...और पढ़ें

पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्‍त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्‍कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...

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First Published :

November 25, 2025, 16:52 IST

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