ना रुकने का ठिकाना होता था और ना खाने का; RSS को कहां से मिलता है पैसा?

2 hours ago

Last Updated:November 16, 2025, 16:30 IST

Mohan Bhagwat News: जयपुर में मोहन भागवत ने आरएसएस की यात्रा, कार्यकर्ताओं के समर्पण, फंडिंग की गुरु दक्षिणा पर चर्चा की. उन्होंने डॉक्टर हेडगेवार के संघर्षों का भी जिक्र किया. संघ की फंडिंग के बारे में मोहन भागवत ने बताया कि यह 'गुरु दक्षिणा' है. संगठन के सदस्य उसे अपने खर्चे से चलाते हैं.

ना रुकने का ठिकाना होता था और ना खाने का; RSS को कहां से मिलता है पैसा?राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत. (फाइल फोटो)

जयपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने संगठन की यात्रा का वर्णन किया है. जयपुर में एक कार्यक्रम के दौरान मोहन भागवत ने संघ के प्रति कार्यकर्ताओं के समर्पण और संगठन को बढ़ाने के लिए फंडिंग जैसे विषयों पर चर्चा की.

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि संघ की स्थितियां बदल गई हैं. शुरुआत में संघ का काम बहुत छोटा और उपेक्षित था. बहुत लोग संघ के कामों और डॉक्टर हेडगेवार पर हंसते थे. मोहन भागवत ने कहा, “लोग उपहास उड़ाते थे कि ‘नाक साफ कर नहीं सकते, ऐसे बच्चों को लेकर ये राष्ट्र निर्माण करने चले हैं.’ संगठन के विचारों को लेकर भी लोगों की सोच अमान्य थी.”

उन्होंने बताया कि पहले काम करने के लिए शरीर चल सके, इस तरह की भी व्यवस्था नहीं थी. एक प्रचारक का उदाहरण देते हुए मोहन भागवत ने कहा, “उनको भागलपुर भेजा गया था. डॉक्टर हेडगेवार ने एक टिकट निकालने की व्यवस्था की थी और लगभग सवा रुपया उन प्रचारक के पास था. उन्होंने बिहार में अपने निवास का प्रबंधन पटना और भागलपुर के बीच चलने वाली एक लोकल में किया. वे रातभर उसी में काटते थे. उन्होंने स्टेशन की ही सुविधाओं का इस्तेमाल किया. दिन में वे पूरे नगर में घर-घर घूमते थे. खाने की भी व्यवस्था नहीं थी, तो वे कुछ चने खरीदकर पेट भरते थे.”

संघ के प्रति कार्यकर्ताओं के समर्पण भाव के बारे में बताते हुए मोहन भागवत ने कहा, “एक स्वयंसेवक के घर पर किसी काम से किसी ब्राह्मण को बुलाना पड़ा. जब ब्राह्मण आया, तो मां ने उसे रसोई में खाना परोसते और ताजी रोटियां देते देखा. उन्हें एहसास हुआ कि इस युवक ने हिंदू समाज के कल्याण के लिए निस्वार्थ भाव से काम करने के लिए अपने करियर के सारे अवसर त्याग दिए हैं.”

संघ प्रमुख ने बताया कि उस मां ने ब्राह्मण के लिए सुबह-शाम के खाने का प्रबंध किया और यह भी संकल्प लिया कि अगर वे खाना खाने नहीं आएंगे तो वह खुद भी खाना नहीं खाएंगी. यही व्यवस्था तीन पीढ़ी तक चलती रही.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की फंडिंग के बारे में मोहन भागवत ने बताया कि यह ‘गुरु दक्षिणा’ है. संगठन के सदस्य उसे अपने खर्चे से चलाते हैं. सिर्फ खर्चे से चलाते नहीं हैं, बल्कि और अधिक धन दे सकें, इसके लिए अपने व्यक्तिगत जीवन में कुछ कमी करके बचा हुआ धन वहां लगाते हैं.

Rakesh Ranjan Kumar

राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h...और पढ़ें

राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h...

और पढ़ें

न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।

Location :

Jaipur,Rajasthan

First Published :

November 16, 2025, 16:26 IST

homenation

ना रुकने का ठिकाना होता था और ना खाने का; RSS को कहां से मिलता है पैसा?

Read Full Article at Source