Last Updated:November 16, 2025, 16:13 IST

अमरावती. भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बी आर गवई ने रविवार को दोहराया कि वह अनुसूचित जातियों (एससी) के आरक्षण में क्रीमी लेयर को शामिल न करने के पक्ष में हैं. गवई ने ’75 वर्षों में भारत और जीवंत भारतीय संविधान’ नामक एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आरक्षण के मामले में एक आईएएस अधिकारी के बच्चों की तुलना एक गरीब खेतिहर मजदूर के बच्चों से नहीं की जा सकती.
न्यायमूर्ति गवई ने कहा, “मैंने आगे बढ़कर यह विचार रखा कि क्रीमी लेयर की अवधारणा, जैसा कि इंद्रा साहनी (बनाम भारत संघ एवं अन्य) के फैसले में पाया गया है, लागू होनी चाहिए. जो अन्य पिछड़ा वर्ग पर लागू होता है, वही अनुसूचित जातियों पर भी लागू होना चाहिए, हालांकि इस मुद्दे पर मेरे फैसले की व्यापक रूप से आलोचना हुई है.”
उन्होंने कहा, “हालांकि, मेरा अब भी मानना है कि न्यायाधीशों से सामान्यतः अपने फैसलों को सही ठहराने की अपेक्षा नहीं की जाती है, और मेरी सेवानिवृत्ति में अभी लगभग एक सप्ताह बाकी है.” प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में देश में समानता या महिला सशक्तीकरण बढ़ा है.
न्यायमूर्ति गवई ने 2024 में कहा था कि राज्यों को अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के बीच भी क्रीमी लेयर की पहचान करने और उन्हें आरक्षण का लाभ देने से इनकार करने के लिए एक नीति विकसित करनी चाहिए.
राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h...और पढ़ें
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Location :
Amravati,Maharashtra
First Published :
November 16, 2025, 16:13 IST

1 hour ago
