नरसंहार नहीं, आतंकी थे दफन… कश्मीर मास ग्रेव की ये सर्वे खोल रहा पोल

4 hours ago

Last Updated:September 07, 2025, 19:35 IST

Kashmir Mass Grave Truth: SYSFF की रिपोर्ट ‘अनरेवलिंग द ट्रुथ’ में कश्मीर की 4056 कब्रों में 90% से अधिक आतंकियों की पहचान हुई, नागरिक नरसंहार का नैरेटिव चुनौतीपूर्ण साबित हुआ. Pakistan जिम्मेदार बताया गया.

नरसंहार नहीं, आतंकी थे दफन… कश्मीर मास ग्रेव की ये सर्वे खोल रहा पोलकश्‍मीर का सच सामने आ गया. (Representational Picture)

उत्तर कश्मीर के तथाकथित मास ग्रेव्स यानी सामूहिक कब्रों को लेकर लंबे समय से सवाल उठते रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कई बार यह नैरेटिव पेश किया गया कि घाटी में बड़ी संख्या में निर्दोष नागरिकों को मारकर गुपचुप दफनाया गया. लेकिन अब एक ताजा फील्ड स्टडी ने इस दावे को पूरी तरह चुनौती दे दी है.

कश्मीर स्थित NGO सेव यूथ सेव फ्यूचर फाउंडेशन (SYSFF) की रिपोर्ट ‘अनरेवलिंग द ट्रुथ’ के मुताबिक घाटी में मिले 4,056 कब्रों में से 90% से अधिक विदेशी और स्थानीय आतंकियों की हैं, जो सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ों में मारे गए थे. टीम ने 2018 से 2024 के बीच बारामुला, कुपवाड़ा, बांदीपोरा और गांदरबल जिलों के 373 कब्रिस्तानों का फिजिकल सर्वे किया. इस दौरान GPS टैगिंग, फोटो डॉक्यूमेंटेशन, मौखिक गवाही और आधिकारिक रिकॉर्ड का सहारा लिया गया.

आधे से ज्‍यादा विदेशी आतंकी
रिपोर्ट कहती है कि 2,493 कब्रें (61.5%) विदेशी आतंकियों की थीं, जो पहचान छुपाकर पाकिस्तान की ओर से भेजे गए थे. वहीं 1,208 कब्रें (29.8%) स्थानीय आतंकियों की थीं. केवल 9 कब्रें (0.2%) आम नागरिकों की पाई गईं, जबकि 70 कब्रें 1947 के कबायली हमलावरों की निकलीं. यानी जिन कब्रों को लेकर “नागरिकों के नरसंहार” का नैरेटिव गढ़ा गया, वे ज्‍यादातर आतंकवादियों की कब्रें निकलीं.

276 कब्रों पर स्थिति अब भी स्‍पष्‍ट नहीं
टीम ने 276 कब्रों को वास्तविक अनमार्क्ड बताया है और मांग की है कि DNA टेस्ट के जरिए इनकी पहचान की जाए. रिपोर्ट के मुताबिक 1990–2000 का दशक इस उछाल के लिए जिम्मेदार रहा।  सोवियत-अफगान युद्ध के बाद पाकिस्तान ने अपने प्रशिक्षित जिहादियों और हथियारों का रुख कश्मीर की ओर मोड़ दिया. इसी दौरान लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठन ताक़तवर बने.

कब्र की पहचान से बच रहा पाकिस्‍तान
अध्ययन का अहम निष्कर्ष यह भी है कि पाकिस्तान अपने नागरिकों की कब्रों की पहचान और उनके परिवारों से संपर्क से बचता रहा है, जिससे न केवल पाकिस्तानी परिवार अंधेरे में रहे बल्कि स्थानीय कश्मीरी समुदायों पर भी इन कब्रों की देखरेख का बोझ पड़ा. इसे शोधकर्ताओं ने मानवीय असफलता बताया.

Sandeep Gupta

पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्‍त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्‍कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...और पढ़ें

पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्‍त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्‍कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...

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First Published :

September 07, 2025, 19:35 IST

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