Last Updated:July 21, 2025, 06:45 IST
भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दिखी चीन और पाकिस्तान की गलबहियां से बड़ी सीख ली है. अब वह अंतरिक्ष में बड़ी तैयारी कर रहा है, जिसकी मदद से वह दुश्मन देश के चप्पे पर नजर रख सकेगा.

पाकिस्तान के चप्पे-चप्पे पर अब भारतीय सेना की बाज वाली नजर रहेगी.
हाइलाइट्स
भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद सैटेलाइट निगरानी बढ़ाई.भारत अब अंतरिक्ष में 52 नए सैटेलाइट तैनात करेगा.मैक्सर जैसी कंपनियों से हाई-रिजोल्यूशन सैटेलाइट तस्वीरें लेने की तैयारीदुश्मन के चप्पे-चप्पे पर अब भारतीय सेना की बाज वाली नजर रहेगी. भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दिखी चीन-पाकिस्तान की गलबहियां के मद्देनजर अपनी सैन्य निगरानी क्षमताओं को और मजबूत बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है. सरकार ने अब धरती पर नजर रखने वाली कई अंतरराष्ट्रीय सैटेलाइट कंपनियों से संपर्क साधा है ताकि हाई-रिजोल्यूशन सैटेलाइट तस्वीरों की मदद से रीयल-टाइम निगरानी को और प्रभावी बनाया जा सके.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया कि मई में हुए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान यह संकेत मिले थे कि चीन ने पाकिस्तान को लाइव सैटेलाइट इनपुट्स मुहैया कराए थे. सेना के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि जब भारत और पाकिस्तान के बीच डीजीएमओ स्तर की बातचीत चल रही थी, उस दौरान पाकिस्तान ने भारत के कुछ ‘खास ठिकानों’ की तस्वीरें दिखाकर निशाने पर लेने जानकारी दी थी. ऐसा माना जा रहा है कि ये तस्वीरें उसे चीनी सैटेलाइट की मदद से ही मिली थी.
मैक्सार जैसी कंपनियों से चल रही बात
रिपोर्ट के मुताबिक, एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘हम कमर्शियल सैटेलाइट तस्वीरें देने वालों के साथ बातचीत कर रहे हैं. हमें अपनी निगरानी क्षमताओं को और मजबूत बनाना होगा.’ इन चर्चाओं का मकसद युद्ध जैसे हालात में रीयल-टाइम इंटेलिजेंस के जरिये बेहतर सैन्य कार्रवाई सुनिश्चित करना है.
भारत जिन कंपनियों से संपर्क में है, उनमें अमेरिका की मैक्सर टेक्नोलॉजी भी शामिल है, जो दुनिया की सबसे हाईटेक सैटेलाइट सिस्टम में से एक संचालित करती है. इसके सैटेलाइट 30 सेंटीमीटर तक की उच्च-रिज़ोल्यूशन तस्वीरें ले सकते हैं, जिनसे इन्फ्रास्ट्रक्चर, हथियार प्रणाली और सैन्य वाहनों तक की स्पष्ट पहचान संभव है. हालांकि, Maxar के प्रवक्ता ने इस बारे में टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा, ‘हम अनुबंध वार्ताओं पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देते.’
भारतीय सैटेलाइट की अगली पीढ़ी की तैयारी
अब तक Cartosat और RISAT जैसे भारतीय सैटेलाइटों ने दुश्मन की हलचलों पर नजर रखने, हमलों की पुष्टि करने और सैन्य रणनीति तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. हालांकि, विशेषज्ञ मानते हैं कि कार्टोसैट-3 की वास्तविक ऑपरेशनल रिज़ोल्यूशन करीब 50 सेंटीमीटर तक सीमित है और इसकी एकल उपस्थिति के चलते बार-बार एक ही क्षेत्र की स्कैनिंग करना संभव नहीं हो पाता — जो तेजी से बदलते युद्धक्षेत्र में बेहद जरूरी होता है.
भारत तैनात करेगा अपने 52 सैटेलाइट
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने SBS-III (Space Based Surveillance) कार्यक्रम के तहत 52 नए सैटेलाइटों की तैनाती की प्रक्रिया तेज़ कर दी है. इनमें ज़मीन और समुद्र दोनों सीमाओं की निगरानी के लिए उन्नत इमेजिंग और हर मौसम में काम करने वाले सैटेलाइट शामिल होंगे. एक अधिकारी ने बताया, ‘इन सैटेलाइटों की लॉन्चिंग अगले साल से शुरू होगी और 2029 तक पूरी तैनाती पूरी कर ली जाएगी.’
पिछले वर्ष अक्टूबर में केंद्र सरकार ने इस महत्वाकांक्षी योजना के लिए $3.2 बिलियन (करीब 26,000 करोड़ रुपये) की मंजूरी दी थी. इसमें शुरुआती 21 सैटेलाइट ISRO तैयार करेगा और लॉन्च करेगा, जबकि शेष 31 सैटेलाइट निजी कंपनियों द्वारा बनाए जाएंगे. इस पूरे सिस्टम का संचालन डिफेंस स्पेस एजेंसी के अधीन होगा.
यह कदम भारत की सुरक्षा रणनीति में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है, जिससे देश को सीमाओं पर हर गतिविधि की सटीक और तुरंत जानकारी मिल सकेगी और किसी भी चुनौती का प्रभावी जवाब समय पर दिया जा सकेगा.
An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें
An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...
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