Last Updated:July 21, 2025, 11:09 IST
Bihar Chunav 2025: उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश कुमार के बेटे निशांत के जन्मदिन पर उन्हें JDU की नई उम्मीद बताते हुए नीतीश को सलाह दी कि वे सरकार और पार्टी दोनों को एक साथ न चलाएं. कुशवाहा ने कहा कि नीतीश का अनुभव ...और पढ़ें

नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार को लेकर उपेंद्र कुशवाहा की सलाह बिहार की सियासत में नया मोड़ ला सकती है.
हाइलाइट्स
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि नीतीश का स्वास्थ्य और उम्र अब सरकार और पार्टी दोनों चलाने की इजाजत नहीं देता. उपेंद्र कुशवाहा का दावा है कि JDU के हजारों कार्यकर्ता चाहते हैं कि CM नीतीश कुमार पार्टी की जिम्मेदारी छोड़ें. सवाल यह कि उपेंद्र कुशवाहा ने निशांत को 'JDU की नई उम्मीद' कहकर अपनी राजनीति साधने की कोशिश की?पटना. राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) के प्रमुख और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पुराने सहयोगी उपेंद्र कुशवाहा ने सीएम नीतीश के बेटे निशांत कुमार के जन्मदिन पर ट्वीट कर बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी. उन्होंने नीतीश कुमार को सलाह दी कि वे अब सरकार और जनता दल यूनाइटेड (JDU) दोनों को एक साथ चलाना बंद करें और पार्टी की कमान निशांत को सौंप दें. कुशवाहा ने कहा कि यह सुझाव उनका अकेले का नहीं, बल्कि JDU के हजारों कार्यकर्ताओं की राय है. इस बयान ने कई सवाल खड़े किए हैं-क्या कुशवाहा निशांत को JDU का भविष्य मानते हैं? क्या वे खुद के लिए कोई सियासी जमीन तैयार कर रहे हैं? या फिर JDU को बचाने के लिए यह एक रणनीति है?
उपेंद्र कुशवाहा इस बयान के राजनीतिक निहितार्थों को हम आगे समझेंगे, लेकिन पहले यह जानते हैं कि कुशवाहा ने अपने पोस्ट में लिखा क्या है. कुशवाहा ने निशांत कुमार को जन्मदिन की बधाई और आशीर्वाद देते हुए सीएम नीतीश को संबोधित करते हुए लिखा, आदरणीय श्री नीतीश कुमार जी से अति विनम्र आग्रह है कि समय और परिस्थिति की नजाकत को समझते हुए इस सच को स्वीकार करने की कृपा करें कि अब सरकार और पार्टी दोनों का (साथ-साथ) संचालन स्वयं उनके लिए भी उचित नहीं है. सरकार चलाने का उनका लंबा अनुभव है जिसका लाभ राज्य को आगे भी मिलता रहे, यह फिलहाल राज्य हित में अतिआवश्यक है. परन्तु पार्टी की जवाबदेही के हस्तांतरण (जो वक्त मेरी ही नहीं स्वयं उनकी पार्टी के हजारों कार्यकर्ताओं/नेताओं की राय में अब आ चुका है) के विषय पर समय रहते ठोस फैसला ले लें. यही उनके दल के हित में है, और इसमें विलंब दल के लिए अपूर्णीय नुकसान का कारण बन सकता है. शायद ऐसा नुकसान जिसकी भरपाई कभी हो भी नहीं पाए.
निशांत का नाम और कुशवाहा का मकसद!
इसके साथ ही उपेंद्र कुशवाहा ने अपने पोस्ट के नीचे में एक नोट लिखा- मैं जो कुछ कह रहा हूं, जदयू के नेता शायद मुख्यमंत्री जी से कह नहीं पाएंगे और कुछ लोग कह भी सकते हों, तो वैसे लोग वहां तक पहुंच ही नहीं पाते होंगे. जाहिर है उपेंद्र कुशवाहा के पोस्ट के गहरे राजनीतिक मायने हैं. दरअसल, उपेंद्र कुशवाहा और नीतीश कुमार का रिश्ता पुराना है जो उतार-चढ़ाव से भी भरा रहा है. कुशवाहा 2003 में JDU के गठन से जुड़े थे और नीतीश के करीबी रहे. उन्होंने 2004 में विपक्ष के नेता के रूप में नीतीश का साथ दिया, लेकिन 2007, 2013 और 2023 में नीतीश से मतभेद के चलते JDU छोड़कर अपनी पार्टी बना ली. वर्ष 2014 में NDA के साथ लोकसभा चुनाव जीतकर वे केंद्रीय मंत्री बने, लेकिन 2018 में NDA छोड़कर महागठबंधन में शामिल हो गए. 2020 के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को कोई सीट नहीं मिली और बाद में वे फिर JDU में लौटे. 2023 में नीतीश कुमार के साथ उनका फिर तब विवाद हो गया जब नीतीश ने तेजस्वी यादव को 2025 के लिए महागठबंधन का नेता घोषित किया. कुशवाहा ने इसे JDU की कमजोरी माना और नई पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल बनाई. अब NDA में वापस लौटकर कुशवाहा का यह बयान राजनीति के जानकारों की नजर में एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा लगता है.
उपेंद्र कुशवाहा की बिहार का मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा रही है और नीतीश कुमार से उनके रिश्ते उतार-चढ़ाव वाले रहे हैं.
उपेंद्र कुशवाहा की सलाह का सियासी मतलब
उपेंद्र कुशवाहा का कहना है कि नीतीश का स्वास्थ्य और उम्र अब सरकार और पार्टी दोनों को एक साथ चलाने की इजाजत नहीं देता. दरअसल, 74 साल के नीतीश लंबे समय से बिहार के मुख्यमंत्री हैं, लेकिन हाल के वीडियो में उनकी कमजोरी और भूलने की आदत चर्चा में रही है. उपेंद्र कुशवाहा ने निशांत कुमार को ‘JDU की नई उम्मीद’ कहकर यह संदेश दिया कि नीतीश को उत्तराधिकारी चुनने की जरूरत है. उनका यह भी कहना है कि JDU के कार्यकर्ता नीतीश से यह बात कहने से डरते हैं या उन तक पहुंच नहीं पाते, यह बयान JDU के अंदर असंतोष और नेतृत्व संकट की ओर भी संकेत करता है.
कुशवाहा का निशांत पर दांव लगाने के मायने!
उपेंद्र कुशवाहा की सलाह के पीछे कई तरह के संदेश की संभावना है. पहला तो यह कि वे निशांत कुमार को आगे लाकर JDU को मजबूत करने की बात कर रहे हों. हालांकि, निशांत अभी राजनीति में सक्रिय नहीं हैं और उनकी सियासी समझ को लेकर सवाल उठते हैं. फिर भी, कुशवाहा का निशांत पर दांव लगाना नीतीश की विरासत को बनाए रखने की रणनीति हो सकती है. लेकिन, दूसरा तथ्य यह है कि नीतीश ने हमेशा परिवारवाद से दूरी बनाई है. एक संभावना यह है कि कुशवाहा खुद को JDU में मजबूत स्थिति में लाना चाहते हैं, क्योंकि कुशवाहा की मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा पुरानी है और वे नीतीश कुमार के बाद नेतृत्व की दौड़ में शामिल हो सकते हैं. इसके साथ ही यह भी कि कुशहवाहा का बयान NDA के सहयोगियों के बीच नीतीश की स्थिति को कमजोर करने की कोशिश हो सकती है, ताकि 2025 के विधानसभा चुनाव में BJP या अन्य सहयोगी ज्यादा हिस्सेदारी मांग सकें.
JDU और बिहार की सियासत पर क्या असर?
उपेंद्र कुशवाहा का यह बयान बिहार की राजनीति में कई तरह की अटकलों को जन्म दे रहा है. दरअसल, JDU के लिए 2025 का विधानसभा चुनाव अहम है, क्योंकि नीतीश की सरकार पर अपराध और शराब माफिया को लेकर सवाल उठ रहे हैं. इस बीच उपेंद्र कुशवाहा का निशांत कुमार को आगे लाने का सुझाव JDU के कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा ला सकता है, लेकिन इसके खतरे भी हैं. ऐसा इसलिए कि यह नीतीश कुमार की छवि (परिवारवाद का विरोध) को भी कमजोर कर सकता है. शायद यही कारण है कि JDU के प्रवक्ता राजीव रंजन ने उपेंद्र कुशवाहा की सलाह को खारिज करते हुए कहा कि नीतीश ही पार्टी का चेहरा हैं और कार्यकर्ता उनके साथ हैं. लेकिन कुशवाहा का बयान NDA के अंदरखाने ही ‘अनदेखा टेंशन’ पैदा कर सकता है, क्योंकि चिराग पासवान जैसे नेता भी मजबूत नेतृत्व की मांग कर चुके हैं.
जेडीयू कार्यकर्ताओं की आड़ में नीतीश पर दबाव!
वहीं, विपक्ष इस बयान को नीतीश कुमार के कमजोर होने के सबूत के रूप में पेश कर रहा है. तेजस्वी यादव पहले से ही नीतीश कुमार की उम्र और स्वास्थ्य को मुद्दा बना रहे हैं. ऐसे में उपेंद्र कुशवाहा का यह बयान RJD को और हमला करने का मौका दे गया है. इसके साथ ही कुशवाहा की सलाह JDU के कोर वोटरों, खासकर कुर्मी-कोइरी (लव-कुश) समुदाय की राजनीतिक सोच को प्रभावित कर सकती है जो नीतीश का मजबूत आधार हैं.
उपेंद्र कुशवाहा की महत्वाकांक्षा की राह में चिराग पासवान और जीतन राम मांझी जैसे नेता रोड़ा. वहीं, सवाल यह कि निशांत कुमार के नाम को आगे लाना नीतीश कुमार को कमजोर बताकर NDA में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की कवायद तो नहीं है.
उपेंद्र कुशवाहा का असली सियासी मकसद क्या?
राजनीति के जानकारों की नजर में कुशवाहा का यह बयान सिर्फ निशांत कुमार को आगे लाने की वकालत नहीं, बल्कि नीतीश और JDU को दबाव में लाने की कोशिश प्रतीत हो रही है. शायद वह चाहते हैं कि नीतीश कुमार जल्दी उत्तराधिकारी चुनें, ताकि वे खुद या उनके समर्थक नेतृत्व की दौड़ में शामिल हो सकें.उपेंद्र कुशवाहा का बार-बार JDU छोड़ना और लौटना उनकी ‘सियासी चुतुराई’ को बताता है.ऐसा लगता है कि वह NDA में अपनी स्थिति मजबूत करना चाहते हैं, खासकर तब जब BJP नीतीश कुमार पर निर्भरता कम करना चाहती है.
कुशवाहा के बयान का राजनीतिक निहितार्थ यह तो नहीं!
बहरहाल, राजनीति के जानकार कहते हैं कि नीतीश कुमार को उपेंद्र कुशवाहा की सलाह बिहार की सियासत में एक नया मोड़ ला सकती है, क्योंकि यह JDU के अंदर नेतृत्व संकट और नीतीश की उम्र को लेकर चर्चा को तेज करती दिख रही है. निशांत कुमार को सामने लाने का सुझाव नीतीश की विरासत को बचाने की कोशिश हो सकता है, लेकिन यह कुशवाहा की अपनी सियासी महत्वाकांक्षा को भी बताता है. बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक है और यह कुशवाहा का यह बयान NDA और JDU के लिए चुनौतियां बढ़ा सकता है. ऐसे में नीतीश कुमार के सामने अब यह सवाल है कि वे अपनी पार्टी और बिहार को कैसे आगे ले जाएंगे, जबकि कुशवाहा और चिराग जैसे सहयोगी नई सियासी जमीन तलाश रहे हैं.
पत्रकारिता क्षेत्र में 22 वर्षों से कार्यरत. प्रिंट, इलेट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन. नेटवर्क 18, ईटीवी, मौर्य टीवी, फोकस टीवी, न्यूज वर्ल्ड इंडिया, हमार टीवी, ब्लूक्राफ्ट डिजिट...और पढ़ें
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