India Military Exercises 2025: भारत अब जियोपॉलिटिक्स और ट्रेड में ही नहीं, डिफेंस में भी कूटनीति का कमाल दिखा रहा है. एक तरफ सेना उज्बेकिस्तान के साथ सैन्य अभ्यास कर रही है तो दूसरी ओर, वायुसेना UAE में फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ युद्धाभ्यास करने वाली है.
एजेंसियांLast Updated :April 20, 2025, 18:33 ISTDeepak Verma
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भारतीय वायुसेना (IAF) की एक टुकड़ी रविवार को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के अल धफरा एयर बेस पहुंची. वायुसेना का दल यहां एक बहुराष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय हवाई युद्धाभ्यास ‘डेजर्ट फ्लैग-10’ में हिस्सा लेगा. इसमें भारत और यूएई के अलावा फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, बहरीन, कतर, दक्षिण कोरिया और तुर्की जैसे देश शामिल हैं.
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रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, भारतीय वायुसेना के मिग-29 और जगुआर विमान अभ्यास में हिस्सा ले रहे हैं. यह अभ्यास 21 अप्रैल से 8 मई तक आयोजित किया जाएगा. इस अभ्यास का उद्देश्य दुनिया की कुछ सबसे सक्षम वायु सेनाओं के साथ परिचालन ज्ञान को साझा करना है. इसके अलावा वायुसेना से जुड़ी सर्वोत्तम अभ्यासों के आदान-प्रदान के साथ जटिल और विविध लड़ाकू अभियानों को अंजाम दिया जाएगा.
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मंत्रालय का कहना है कि इस तरह के अभ्यासों में भाग लेने से आपसी समझ और अंतर-संचालन क्षमता बढ़ती है. साथ ही, सैन्य सहयोग मजबूत होता है. भारतीय वायुसेना की भागीदारी मित्र देशों के साथ रक्षा संबंधों और अंतर-संचालन क्षमता को मजबूत करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है.
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उधर, पुणे में उज्बेकिस्तान के साथ ‘डस्टलिक’ नामक संयुक्त सैन्य अभ्यास चल रहा है. यह पूरी तरह आतंकवाद विरोधी अभियानों पर केंद्रित है. इसमें ऐसे हालात तैयार किए गए हैं, जहां दुश्मन ने किसी इलाके पर कब्जा कर लिया है, और सेनाएं उसे छीनने की कोशिश कर रही हैं. भारतीय सेना इस अभ्यास में आधुनिक हथियारों और रणनीतियों के साथ मैदान में है. छापेमारी, खोज और टारगेटेड अटैक – सब कुछ एक्शन में है. यहां एक अस्थायी हेलीपैड तैयार किया गया है, जो अभियान की अगली रणनीति के लिए इस्तेमाल हो रहा है.
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दोनों अभ्यास दिखाते हैं कि भारत अब सैन्य स्तर पर सिर्फ रिएक्ट नहीं करता, बल्कि प्रोऐक्टिव होकर मोर्चा संभालता है. एक तरफ वो दुनिया की बड़ी सेनाओं के साथ खड़ा है, दूसरी ओर अपने क्षेत्रीय सहयोगियों के साथ गहरी सैन्य समझ विकसित कर रहा है. डेजर्ट फ्लैग और डस्टलिक भले ही दो अलग-अलग जियोलोकेशन में हो रहे हों, लेकिन इनका असर दिल्ली से बीजिंग और इस्लामाबाद तक महसूस किया जा रहा है. भारत की यह दोतरफा सैन्य सक्रियता साफ संकेत देती है कि कोई भी मोर्चा अब उसके लिए दूर या मुश्किल नहीं रहा.