दिल्ली के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले जमीन मालिकों के लिए बड़ी खुशखबरी सामने आ रही है. दिल्ली सरकार करीब 17 साल बाद कृषि भूमि के सर्किल रेट में बड़ा इजाफा करने की तैयारी में है. अगर सरकार का यह ड्राफ्ट प्रस्ताव मंजूरी पा जाता है, तो आज 53 लाख रुपये प्रति एकड़ के भाव पर दर्ज होने वाली जमीन की कीमत सीधे 5 करोड़ रुपये प्रति एकड़ तक पहुंच सकती है. यानी जमीन की सरकारी कीमत में लगभग आठ गुना तक की ऐतिहासिक बढ़ोतरी होने वाली है.
जानकारी के मुताबिक, दिल्ली में कृषि भूमि के सर्किल रेट आखिरी बार साल 2008 में बदले गए थे. तब से लेकर अब तक दिल्ली में जबरदस्त शहरीकरण हुआ, गांवों के आसपास रिहायशी कॉलोनियां, सड़कें और व्यावसायिक गतिविधियां बढ़ीं, लेकिन जमीन का सरकारी मूल्य जस का तस बना रहा. मौजूदा समय में पूरे दिल्ली में कृषि भूमि का सर्किल रेट एक समान है, करीब 53 लाख रुपये प्रति एकड़. जबकि हकीकत यह है कि बाजार में यही जमीन कई करोड़ रुपये में बिक रही है.
रेखा सरकार क्यों बढ़ाने जा रही सर्किल रेट?
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्व विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि सर्किल रेट और वास्तविक लेन-देन की कीमतों में भारी अंतर पैदा हो गया है. जमीन करोड़ों में बिक रही है, लेकिन स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन सिर्फ 53 लाख रुपये के आधार पर हो रहा है. इससे सरकार को राजस्व का बड़ा नुकसान हो रहा है. इसी अंतर को खत्म करने के लिए कृषि भूमि के सर्किल रेट में बड़े बदलाव का प्रस्ताव तैयार किया गया है.
सूत्रों के अनुसार, नए ड्राफ्ट में पूरे दिल्ली के लिए एक समान सर्किल रेट रखने की बजाय लोकेशन आधारित दरें तय करने की योजना है. यानी जिस गांव की जमीन शहर, हाइवे, मेट्रो, इंडस्ट्रियल एरिया या विकसित रिहायशी कॉलोनियों के पास होगी, वहां सर्किल रेट ज्यादा तय किया जाएगा. वहीं जिन इलाकों में अब भी बड़े पैमाने पर खेती हो रही है और शहरीकरण कम है, वहां अपेक्षाकृत कम बढ़ोतरी की जा सकती है.
प्रस्ताव के तहत कुछ इलाकों में कृषि भूमि का सर्किल रेट 5 करोड़ रुपये प्रति एकड़ तक पहुंच सकता है. यह मौजूदा दर से लगभग आठ गुना ज्यादा है. इससे दिल्ली के ग्रामीण बेल्ट में जमीन रखने वाले हजारों लोग कागजों पर ही करोड़पति बन सकते हैं. जमीन बेचने, लीज पर देने या किसी प्रोजेक्ट में लगाने पर उन्हें कहीं ज्यादा कीमत और मुआवजा मिलने की संभावना बढ़ जाएगी.
किन-किन जगहों में बढ़ जाएंगे जमीन के दाम?
राजस्व विभाग के अनुमान के मुताबिक, दिल्ली में अब भी 200 से ज्यादा गांवों में करीब 50 हजार एकड़ जमीन कृषि उपयोग में दर्ज है. इनमें उत्तर दिल्ली, पश्चिम दिल्ली और दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के कई गांव शामिल हैं. टिगीपुर, खामपुर, हमीदपुर, झंगोला, बांकेर, भोरगढ़, लामपुर, बख्तावरपुर, दरियापुर कलां, नजफगढ़, बिजवासन और ढिचाऊ कलां जैसे गांव इस सूची में आते हैं, जहां सर्किल रेट बढ़ने का सीधा असर दिखेगा.
सरकार ने इस प्रस्ताव से पहले किसानों और कृषि संगठनों से व्यापक बातचीत भी की है. पिछले दो महीनों में कई बैठकें हुईं, जिनमें किसानों ने साफ कहा कि जमीन की सरकारी कीमत बाजार से बेहद कम है. किसान संगठनों ने सुझाव दिया कि लोकेशन और विकास के आधार पर सर्किल रेट 6 से 8 करोड़ रुपये प्रति एकड़ तक होना चाहिए. सरकार ने हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे पड़ोसी राज्यों के सर्किल रेट का भी अध्ययन किया है ताकि तुलना के आधार पर नई दरें तय की जा सकें.
किसे-किसे होगा फायदा?
यह कदम सिर्फ किसानों को फायदा पहुंचाने तक सीमित नहीं है, बल्कि दिल्ली में प्रॉपर्टी वैल्यूएशन सिस्टम को दुरुस्त करने की दिशा में बड़ा बदलाव माना जा रहा है. दरअसल, दिल्ली सरकार पूरे शहर के सर्किल रेट सिस्टम की समीक्षा कर रही है. अक्टूबर 2025 में गठित एक कमेटी को रिहायशी, व्यावसायिक और औद्योगिक संपत्तियों के सर्किल रेट की जांच का जिम्मा सौंपा गया है. कृषि भूमि के मामले में अलग से इसलिए काम किया जा रहा है, क्योंकि यहां 17 साल से कोई संशोधन नहीं हुआ.
ड्राफ्ट में यह भी प्रस्ताव है कि भविष्य में कृषि भूमि के सर्किल रेट को तय अंतराल पर नियमित रूप से बढ़ाया जाए, ताकि दोबारा इतना बड़ा अंतर न पैदा हो. फिलहाल सरकार ने इसे लागू करने की कोई तय तारीख नहीं बताई है, लेकिन संकेत साफ हैं कि मंजूरी मिलते ही दिल्ली के ग्रामीण इलाकों में जमीन की कीमतों में बड़ा उछाल देखने को मिलेगा.
अगर यह प्रस्ताव लागू होता है, तो सच में दिल्लीवाले मालामाल हो सकते हैं, क्योंकि आज जिस जमीन की सरकारी कीमत 50 लाख के आसपास है, वह जल्द ही कागजों पर ही 5 करोड़ की हो सकती है.

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