Last Updated:September 11, 2025, 20:47 IST
INS ARAVALI: हिंद महासागर व्यापार की दृष्टि से बेहद अहम है. अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि दुनिया भर के बड़े कार्गो में से एक तिहाई, कंटेनर शिप में से करीब आधे और तेल ले जा रहे शिप में से दो तिहाई शिप यही से गुजरते हैं.

INS ARAVALI: भारतीय नौसेना के लिए 12 सितंबर एक खास दिन होगा. दिल्ली NCR में नौसेना का नया नेवल बेस कमिशन होने जा रहा है. नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी की मौजूदगी में गुरुग्राम में इसे नौसेना में शामिल किया जाएगा. इस नेवल बेस का नाम है INS अरावली, जिसका नाम अरावली पर्वत श्रृंखला से लिया गया है. यह नेवल बेस भारतीय नौसेना के अलग-अलग इंफॉरमेशन और कम्यूनिकेशन सेंटर को सपोर्ट करेगा, जो भारत और भारतीय नौसेना की कमांड, कंट्रोल और मेरिटाइम डोमेन अवेयरनेस (MDA) के लिए बेहद जरूरी है. इसका मोटो है ‘सामुद्रिकसुरक्षायाः सहयोगं’. इस नेवल बेस के क्रेस्ट में अरावली पर्वत और उगते सूरज की तस्वीर है. इस नेवल बेस में इंफॉरमेशन मैनेजमेंट एंड एनालिसिस सेंटर (IMAC) और इनफॉर्मेशन फ्यूजन सेंटर- इंडियन ओशन रीजन (IFC-IOR) मौजूद हैं.
नीले समंदर पर रखी जाएगी यहां से नजर
नीला समंदर जितना बड़ा है, उतनी ही बड़ी चुनौती होती है हर इलाके पर नजर रखना. लेकिन भारतीय नौसेना ना सिर्फ अपने समुद्री क्षेत्र की निगरानी करती है बल्कि मित्र देशों के साथ जानकारी भी साझा करती है. ऐसा सेंटर दिल्ली NCR के गुरुग्राम में साल 2018 से ही मौजूद है. इसका नाम है इनफॉर्मेशन फ्यूजन सेंटर- इंडियन ओशन रीजन (IFC-IOR). इसका मकसद है हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में मेरिटाइम डोमेन अवेयरनेस (Maritime Domain Awareness-MDA) को बढ़ाना और समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करना. इस सेंटर के इंफॉरमेशन मैनेजमेंट एंड एनालिसिस सेंटर (IMAC) के मॉनिटरिंग रूम में हिंद महासागर क्षेत्र में मूव करने वाले हर शिप को मॉनिटर किया जा सकता है. अगर किसी भी तरह का खतरा या फिर कोई दुर्घटना दिखती है तो तुरंत उसकी जानकारी संबंधित कमांड को भेज दी जाती है. यहा से तटीय इलाकों की सुरक्षा को भी सुनिश्चित किया जाता है. यह सेंटर नेवी के सभी बेस के साथ सैटेलाइट के जरिए कनेक्ट है और किसी भी तरह की जानकारी को तुरंत रीले कर सकता है. लाइव टाइम मॉनिटरिंग भी की जाती है. यह सेंटर इंफॉरमेशन मैनेजमेंट एंड एनालिसिस सेंटर (IMAC) में स्थित है.
गेमचेंजर है INS अरावली
हिंद महासागर क्षेत्र से दुनिया का 80% से ज्यादा तेल और 75% समुद्री व्यापार होता है, जो कि रणनीतिक तौर पर बेहद महत्वपूर्ण है। IFC-IOR इस क्षेत्र में सुरक्षा और सहयोग को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. INS अरावली में मौजूद IFC-IOR का मुख्य काम है समुद्री डकैती, आतंकवाद, तस्करी, अवैध मछली पकड़ने (IUU Fishing), और मानव तस्करी जैसे गैर-पारंपरिक खतरों से निपटने के लिए क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना. यह सेंटर सूचनाओं के आदान-प्रदान, समन्वय और विशेषज्ञता के जरिए शांतिपूर्ण, स्थिर और समृद्ध हिंद महासागर क्षेत्र की दिशा में काम करता है. 25 देशों के 43 मल्टीनैशनल सेंटर के सिस्टम की लाइव फीड यहां मिलती है. IFC-IOR ने 28 देशों के साथ 76 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय संपर्क स्थापित किए हैं. इसमें 12 इंटरनेशनल लायजिंग ऑफिसर ( Liaison Officers – ILO) शामिल हैं, जिनमें ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जापान, अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम जैसे देश शामिल हैं.
IMAC की नजर से कुछ नहीं छिपता
इंफॉर्मेशन मैनेजमेंट एंड एनालिटिक सेंटर (आईमेक) में बड़ी सी स्क्रीन पर समंदर में हो रही हर हरकत और गतिविधियों को मॉनिटर किया जाता है. आईमेक की स्क्रीन पर भारतीय नौसेना के सिस्टम के जरिए मिल रही फीड के साथ ही दूसरे देशों से मिल रही फीड पर लगातार नजर रखी जाती है.
– हर शिप का रजिस्ट्रेशन नंबर होता है, वह किस देश का है, उसमें कौन कैप्टन है, क्रू क्या है, क्या सामान आ रहा है, कहां से आ रहा है कहां जा रहा है यह सब जानकारी बस एक क्लिक पर मिल जाती है.
– आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस और बिग डेटा अनालिसिस के जरिए चंद सेकंड में पता चल जाता है कि हमारे समंदर में कितने जहाज होते हैं और क्या कोई अतिरिक्त गतिविधि समंदर में दिख रही है.
– कुछ गड़बड़ दिखी तो तुरंत अलर्ट हो कर एक्शन लिया जा सकता है
– शिप अगर झूठा ट्रांसमिशन दिखाकर (स्पूफिंग) कोई हरकत करता है उसे भी IMAC पकड़ लेगा है.
– अभी करीब 7600 किलोमीटर के समुद्री सीमाओं में 90 के करीब कोस्टल रडार स्टेशन लगाए जाने हैं इसमें से ज्यादातर लग गए हैं.
– जमीन और स्पेस बेस्ड 89 ऑटोमेटिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम भारतीय समंदर पर चौकसी कर रहे हैं
– पल पल की निगरानी बॉम्बे, कोच्चि, विशाखापटनम और पोर्टब्लेर में बने चार जॉइंट ऑपरेशन सेंटर में होती है
– 20 मीटर से बड़ी कोई भी बोट या स्टीमर होता है उसका अपना आइडेंटिफिकेशन नंबर होता है.
– 20 मीटर से कम की बोट को ट्रैक करने के लिए ट्रांसपोडर लगाए गए हैं.
– हमारे समुद्री इलाके में करीब 2 लाख 20 हजार से ज्यादा बोट हैं जो 20 मीटर से कम की साइज की हैं.
– बोट पर लगाए गए ट्रांसपोडर सिग्नल सेटेलाइट के जरिए मिलेंगे। इन्हें भी फिर आईमेक में देख सकेंगे
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First Published :
September 11, 2025, 20:47 IST