Last Updated:October 30, 2025, 12:11 IST
India's First TOD Project: डीडीए का ईस्ट दिल्ली हब देश का पहला ट्रांजिट-ओरिएंटेड डेवलपमेंट प्रोजेक्ट बनने जा रहा है. कड़कड़डूमा में बन रही 48 मंजिला टॉवरिंग हाइट्स में फ्लैट बुकिंग 31 अक्टूबर से शुरू होगी. यह मॉडल दिल्ली में शहरी जीवन को नई दिशा देगा.
India’s First TOD Project: दिल्ली में अब एक ऐसी रिहायशी कॉलोनी बनने जा रही है, जहां लोग मेट्रो के बिल्कुल पास रहेंगे, पैदल चलने के लिए चौड़ी सड़कें होंगी और हर जरूरी चीज घर के आसपास ही मिलेगी. ‘ईस्ट दिल्ली हब’ प्रोजेक्ट के जरिए यह सपना अब हकीकत बनने जा रहा है. दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) का ये प्रोजेक्ट देश का पहला ट्रांजिट-ओरिएंटेड डेवलपमेंट (ट्रांजिट-ओरिएंटेड डेवलपमेंट ) प्रोजेक्ट होगा. इसके तहत तैयार हो रही ‘टॉवरिंग हाइट्स’ नाम की 48 मंज़िला इमारत में फ्लैट्स की बुकिंग शुक्रवार 31 अक्टूबर से शुरू होने जा रही है.
ट्रांजिट-ओरिएंटेड डेवलपमेंट एक ऐसा शहरी विकास मॉडल है, जिसमें घर, ऑफिस, बाजार और पार्क जैसी सारी सुविधाएं पब्लिक ट्रांसपोर्ट यानी मेट्रो या बस स्टेशन के आसपास ही बनाई जाती हैं. इसका मॉडल का मकसद लोगों की गाड़ियों पर निर्भरता कम करने के साथ ट्रैवल टाइम और पॉल्यूशन कम करना होता है. अब तक शहरों की प्लानिंग में घर, बाजार और ऑफिस इलाके अलग-अलग बनाए जाते थे. इससे लोगों को लंबा सफर करना पड़ता था और सड़क पर ट्रैफिक बढ़ता था.
लेकिन ट्रांजिट-ओरिएंटेड डेवलपमेंट में सब कुछ एक ही दायरे में होता है. मतलब ऑफिस, बाजार और मेट्रो सबकुछ आपके आसपास होगा. इसके कई फायदे हैं. लोगों का समय और पैसा दोनों बचते हैं, ट्रैफिक जाम घटता है और शहर में रहने की क्वालिटी बेहतर होती है. सरकारों के लिए भी ये मॉडल फायदेमंद होता है, क्योंकि पब्लिक ट्रांसपोर्ट के पास प्रॉपर्टी की कीमत तेजी से बढ़ती है, इसका सीधा फायदा राजस्व में मिलता है.
ट्रांजिट-ओरिएंटेड डेवलपमेंट की खास बातें
ट्रांजिट हब: ऐसे इलाके मेट्रो, रेलवे स्टेशन या बस टर्मिनल जैसे किसी बड़े ट्रांसपोर्ट के आसपास बनाए जाते हैं. यहां कई तरह की ट्रांसपोर्ट सुविधाएं एक साथ जुड़ी होती हैं, ताकि लोग आसानी से एक से दूसरे माध्यम में सफर कर सकें. पेडेस्ट्रियन फ्रेंडली होगा इलाका: ट्रांजिट-ओरिएंटेड डेवलपमेंट का बड़ा फोकस गाड़ियों को सड़क से कम करना है. इसलिए यहां चौड़े फुटपाथ, साइकिल ट्रैक और खुली जगहें जरूरी होती हैं. यहां रहने वाले लोग पैदल या साइकिल से भी अपने गंतव्य तक पहुंच सकते हैं. मिश्रित और घना विकास: ऐसे इलाके में घर, दफ्तर, दुकानें और पार्क सभी एक साथ होते हैं. इससे लोगों को शहर के अलग-अलग हिस्सों में जाने की जरूरत नहीं पड़ती. यह मॉडल ‘कॉम्पैक्ट सिटी’ को बढ़ावा देता है, यानी कम जगह में ज्यादा और बेहतर सुविधाएं.क्या है ईस्ट दिल्ली हब प्रोजेक्ट?
करीब 30 हेक्टेयर में फैला ईस्ट दिल्ली हब कड़कड़डूमा इलाके में बन रहा है. 2019 में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसका शिलान्यास किया था. इसे एक आधुनिक, अंतरराष्ट्रीय स्तर का मिक्स्ड-यूज़ अर्बन सेंटर बताया गया था. इस प्रोजेक्ट में 70% जमीन रिहायशी, 20% कमर्शियल और 10% पब्लिक सुविधाओं के लिए रखी गई है. कुल क्षेत्र का 30% हिस्सा हरित और खुले सार्वजनिक स्थानों के लिए आरक्षित है.
इस प्रोजेक्ट की सबसे बड़ी आकर्षण होगी ‘टॉवरिंग हाइट्स’, जो 155 मीटर ऊंची और 48 मंजिलों की इमारत होगी. ये दिल्ली की अब तक की सबसे ऊंची रिहायशी इमारत होंगी. इसमें 1,026 दो-बेडरूम वाले फ्लैट बनाए जा रहे हैं. रजिस्ट्रेशन 31 अक्टूबर से शुरू होंगे और फ्लैट्स की डिलीवरी जुलाई 2026 तक दी जाएगी. डीडीए यहां हरित भवन, सांस्कृतिक केंद्र, स्काईवॉक, और भूमिगत पार्किंग जैसी सुविधाएं भी विकसित कर रहा है.
2023 में पूरा होना था यह प्रोजेक्ट
योजना के अनुसार, यह प्रोजेक्ट 2023 तक पूरा होने वाला था, लेकिन अब इसकी टाइमलाइन खिसक चुकी है. डीडीए के मुताबिक, इसमें देरी की वजह वन विभाग की मंजूरी में रुकावटें और दिल्ली सरकार से मिलने वाली तमाम सर्विसेज से जुड़ी तकनीकी अड़चनें रहीं हैं. 2019 में जब प्रोजेक्ट लॉन्च हुआ था, तब कहा गया था कि इसमें 4,526 फ्लैट्स मिडल क्लास के लिए और 288 फ्लैट्स आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए होंगे. लेकिन अब प्रोजेक्ट का साइज घट गया है और फ्लैट्स की संख्या भी कम कर दी गई है.
Anoop Kumar MishraAssistant Editor
Anoop Kumar Mishra is associated with News18 Digital for the last 6 years and is working on the post of Assistant Editor. He writes on Health, aviation and Defence sector. He also covers development related to ...और पढ़ें
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First Published :
October 30, 2025, 12:11 IST

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