नई दिल्ली. बेंगलुरु में रहने वाले भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) के एक रिटायर्ड ऑफिसर की दिल दहला देने वाली सोशल मीडिया पोस्ट ने हज़ारों लोगों को इमोशनल कर दिया है. उन्होंने बताया कि अपनी इकलौती बेटी की मौत के बाद उन्हें हर कदम पर रिश्वत देनी पड़ी. के. शिवकुमार नाम के इस व्यक्ति ने, जिन्होंने खुद को BPCL का पूर्व चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर (CFO) बताया, प्रोफेशनल मीडिया प्लेटफॉर्म लिंक्डइन पर एक इमोशनल नोट लिखा. इसमें उन्होंने बताया कि कैसे उनकी 34 साल की बेटी अक्षया की मौत के बाद ऑफिशियल फॉर्मेलिटीज़ पूरी करते समय उन्हें भ्रष्टाचार और लापरवाही का सामना करना पड़ा.
अक्षया, जिन्होंने 11 साल तक काम किया था, जिसमें गोल्डमैन सैक्स में आठ साल शामिल हैं, की 18 सितंबर, 2025 को ब्रेन हेमरेज से घर पर मौत हो गई. उनके पास कंप्यूटर साइंस में B.Tech और IIM अहमदाबाद से MBA की डिग्री थी. अपनी पोस्ट में, जिसे बाद में डिलीट कर दिया गया था, शिवकुमार ने कहा कि उन्हें ज़रूरी फॉर्मेलिटीज़ पूरी करने और ज़रूरी डॉक्यूमेंट्स पाने के लिए एम्बुलेंस ऑपरेटरों और पुलिस अधिकारियों से लेकर श्मशान घाट के स्टाफ और बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (BBMP) ऑफिस तक, लगभग सभी को रिश्वत देनी पड़ी.
उन्होंने लिखा, “हाल ही में मेरा इकलौता बच्चा 34 साल की उम्र में गुज़र गया. एम्बुलेंस, FIR और पोस्ट-मॉर्टम रिपोर्ट के लिए पुलिस, रसीद देने के लिए श्मशान घाट, डेथ सर्टिफिकेट के लिए BBMP ऑफिस, ये सब खुलेआम रिश्वत मांग रहे थे.” शिवकुमार ने यह भी बताया कि पुलिस स्टेशन में भी उनसे कैश में पैसे लिए गए. उन्होंने आगे कहा, “चूंकि पुलिस को FIR और पोस्ट-मॉर्टम रिपोर्ट की कॉपी देनी थी, इसलिए हम चार दिन बाद मिले और उन्होंने खुलेआम कैश मांगा जो मैंने पुलिस स्टेशन में सबके सामने दिया.” उन्होंने आगे लिखा, “जिस पिता ने अपना इकलौता बच्चा खो दिया, उसके लिए कोई हमदर्दी नहीं. बहुत दुख की बात है. मेरे पास पैसे थे, मैंने दे दिए. गरीब लोग क्या करेंगे.”
शिवकुमार ने बताया कि एम्बुलेंस ड्राइवर ने उनकी बेटी की बॉडी को कसवनाहल्ली के एक हॉस्पिटल से कोरमंगला के सेंट जॉन हॉस्पिटल तक ले जाने के लिए 3,000 रुपये मांगे थे. उन्होंने पुलिस अधिकारियों के बुरे बर्ताव पर भी सवाल उठाया. उन्होंने पूछा, “क्या पुलिस अधिकारियों का कोई परिवार या भावनाएं नहीं होतीं जब वे पैसे मांगते हैं या ऐसे व्यक्ति से बदतमीजी से बात करते हैं जो पहले से ही सदमे में है और इमोशनल परेशानी में है?”
परेशानी यहीं खत्म नहीं हुई. शिवकुमार ने बताया कि परिवार को BBMP से डेथ सर्टिफिकेट लेने में भी बहुत मुश्किल हुई. उन्होंने दावा किया कि वह पांच दिनों तक ऑफिस गए, लेकिन हर बार उन्हें बताया गया कि चल रहे “जाति सर्वे” की वजह से कोई मौजूद नहीं है. सर्टिफिकेट आखिरकार उन्हें एक सीनियर BBMP अधिकारी से संपर्क करने के बाद ही मिला, लेकिन इसके लिए उनसे ऑफिशियल फीस से ज़्यादा पैसे लिए गए.
अपनी पोस्ट के आखिर में, शिवकुमार ने दिल से अपील करते हुए लिखा, “क्या नारायण मूर्ति, अज़ीम प्रेमजी (और) मजूमदार – अरबों रुपये वाले बड़े लोग – इस शहर को बचा सकते हैं?” यह पोस्ट वायरल होने और बड़े पैमाने पर गुस्सा फैलने के बाद, बेंगलुरु की व्हाइटफील्ड पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की.
पुलिस ने कहा, “शिवकुमार के ट्वीट में बताई गई घटना के सिलसिले में, बेलंदूर पुलिस स्टेशन के एक PSI और एक पुलिस कांस्टेबल को तुरंत सस्पेंड कर दिया गया है. पुलिस डिपार्टमेंट किसी भी हालत में ऐसे किसी भी गलत या अनुचित व्यवहार को बर्दाश्त नहीं करेगा.” इस बीच, बीजेपी की राज्य उपाध्यक्ष मालविका अविनाश ने के. शिवकुमार के प्रति सहानुभूति जताई, जिनकी बेटी की मौत के बाद भ्रष्टाचार के बारे में इमोशनल सोशल मीडिया पोस्ट से लोगों में गुस्सा फैल गया है.
उन्होंने कहा, “सबसे पहले, मैं श्री के. शिवकुमार के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करती हूं. उन्हें न केवल अपनी जवान बेटी को खोने का दुख झेलना पड़ा है, बल्कि उन्हें सरकार की लापरवाही भी झेलनी पड़ी है.” उन्होंने कर्नाटक की कांग्रेस सरकार को “खराब सिस्टम” के लिए ज़िम्मेदार ठहराया और मांग की कि डिप्टी चीफ मिनिस्टर डीके शिवकुमार बताएं कि एक दुखी पिता को ऐसी परेशानी का सामना क्यों करना पड़ा और बाद में उनकी पोस्ट क्यों डिलीट कर दी गई.
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6 hours ago
