Rajasthan Governor Said Jodha-Akbar marriage a lie: राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने दावा किया है कि मुगल सम्राट अकबर और राजपूत राजकुमारी जोधाबाई के बीच शादी एक मनगढ़ंत कहानी थी. उदयपुर में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में बोलते हुए राज्यपाल ने आगे तर्क दिया कि अकबर के शासनकाल के आधिकारिक इतिहास ‘अकबरनामा’ में जोधा और अकबर के विवाह का कोई उल्लेख नहीं है. बागड़े ने दावा किया, “ऐसा कहा जाता है कि जोधा और अकबर का विवाह हुआ था और इस कहानी पर एक फिल्म भी बनी थी. इतिहास की किताबें भी यही कहती हैं, लेकिन यह झूठ है… भारमल नाम का एक राजा था और उसने एक दासी की बेटी की शादी अकबर से कर दी थी.”
बागड़े ने कहा, “अंग्रेजों ने हमारे नायकों का इतिहास बदल दिया. उन्होंने इसे ठीक से नहीं लिखा और इतिहास का उनका संस्करण शुरू में स्वीकार कर लिया गया. बाद में कुछ भारतीयों ने इतिहास लिखा, लेकिन यह अभी भी अंग्रेजों से प्रभावित था.” उन्होंने इस ऐतिहासिक दावे का भी खंडन किया कि राजपूत शासक महाराणा प्रताप ने अकबर को संधि पत्र लिखा था. उन्होंने इसे पूरी तरह से भ्रामक बताया. उन्होंने दावा किया, “महाराणा प्रताप ने कभी अपने स्वाभिमान से समझौता नहीं किया. इतिहास में अकबर के बारे में ज्यादा पढ़ाया जाता है और महाराणा प्रताप के बारे में कम.”
ये भी पढ़ें- Explainer: सीमा पर सेना की बजाए क्यों तैनात होते हैं अर्धसैनिक बल, क्या ज्यादातर देश करते हैं ऐसा
जोधा-अकबर का विवाह
कहा जाता है कि मुगल बादशाह अकबर ने 1562 में एक राजपूत राजकुमारी से विवाह किया था. हालांकि, कई लोग कहते हैं कि उनका जन्म का नाम जोधा बाई नहीं था. कथित तौर पर अकबर ने वर्तमान राजस्थान के आमेर या अंबर के शासक राजा भारमल की बेटी हरखा बाई से विवाह किया था. वह अकबर की तीसरी पत्नी थी. वह शादी के बाद आगरा किले के अंदर एक रानी के रूप में रहने लगी. कई इतिहासकारों ने इस मिलन को मुगलों और राजपूतों के बीच एक राजनीतिक गठबंधन के रूप में दर्ज किया है. जिसने शक्तिशाली भारतीय राजाओं की वफादारी हासिल करके मुगल साम्राज्य को मजबूत करने में मदद की. कई विवरण कहते हैं कि जोधाबाई अकबर की पसंदीदा रानी थी, जिसने उसे अधिक धर्मनिरपेक्ष बनने के लिए प्रेरित किया.
ये भी पढ़ें- Explainer: कौन हैं मुहाजिर, जिनके सामने पाकिस्तान में पहचान का संकट, क्यों मांगी पीएम मोदी से मदद
क्या जहांगीर की मां थी जोधा
फर्स्टपोस्ट के मुताबिक इस राजपूत राजकुमारी ने अकबर को मुगल साम्राज्य का उत्तराधिकारी सलीम दिया, जिसे बाद में जहांगीर के नाम से जाना गया. कोंडे नास्ट ट्रैवलर पत्रिका की रिपोर्ट के अनुसार, अकबर ने जोधा को मरियम-उज़-ज़मानी की उपाधि दी. जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘युग की मैरी.’ हालांकि इस बात पर सवाल उठाया जा सकता है कि क्या पुत्र प्राप्ति की इच्छा के कारण ही जोधा अकबर की प्रिय थी. कई इतिहासकार राजपूत रानी को इस बात का श्रेय देते हैं कि उसके प्रभाव की वजह से मुगल शासक धार्मिक रूप से सहिष्णु बना. जोधा एक बुद्धिमान और समझदार रानी थी, जिसका अकबर की राजनीतिक और सामाजिक नीतियों पर प्रभाव था. उसके प्रभाव में 1563 में अकबर ने गैर-मुसलमानों पर लगाया जाने वाला जजिया कर समाप्त कर दिया. जिससे उसे हिंदुओं का समर्थन मिला. उसने सुलह-ए-कुल की भी शुरुआत की, जिसका अर्थ है ‘सभी के साथ शांति.’ जिसने मुसलमानों और गैर-मुसलमानों को समान अधिकारों की गारंटी दी.
शाकाहारी बन गया अकबर
अपने इतिहास पॉडकास्ट एम्पायर में प्रसिद्ध इतिहासकार और लेखक विलियम डेलरिम्पल अकबर की सहिष्णुता के बारे में बात करते हैं. उन्होंने कहा, “सम्राट के रूप में अकबर ने प्रशासन के सभी स्तरों पर हिंदुओं को बढ़ावा दिया. एक राजपूत राजकुमारी से विवाह किया और अपनी सेना अपने पूर्व हिंदू प्रतिद्वंद्वी जयपुर के राजा मान सिंह को सौंपी.” कहा जाता है कि अकबर ने जोधा के लिए एक अलग रसोई का आदेश दिया था, जो शाकाहारी थी. शादी के बाद अकबर अपनी मर्जी से हफ़्ते में तीन दिन शाकाहारी रहा करता था. डेलरिम्पल के अनुसार, “अकबर ने व्यक्तिगत रूप से कई हिंदू और योगिक प्रथाओं को अपनाया, यहां तक कि वह शाकाहारी भी बन गया.”
ये भी पढ़ें- असम में क्यों स्थानीय नागरिकों के लिए मंजूर किया गया आर्म लाइसेंस, बाकी देश में क्या है इसके लिए प्रावधान
जोधा के महल में बनवाया मंदिर
फर्स्टपोस्ट के मुताबिक पढ़े-लिखे ना होने के कारण अकबर ने जोधा को आधिकारिक दस्तावेज ( फरमान ) जारी करने और महत्वपूर्ण निर्णय लेने का अधिकार दिया था. जोधा के प्रति उसके प्रेम ने उसे हिंदू रीति-रिवाजों को अपनाने के लिए प्रेरित किया. उसने न केवल जोधा के लिए एक महल बनवाया, बल्कि उसके अंदर भगवान कृष्ण को समर्पित एक मंदिर भी बनवाया. जोधा के महल का उपयोग बाद में जहांगीर ने किया और इसे जहांगीरी पैलेस के नाम से जाना जाने लगा. टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, आगरा में अकबर का मकबरा जोधा के मकबरे से सिर्फ एक किलोमीटर की दूरी पर है. जोधा के मकबरे के प्रवेश द्वार पर एएसआई की पट्टिका के अनुसार यह मकबरा मरियम-उज़-ज़मानी का है, जो अम्बर की राजकुमारी थी. उसने अकबर से शादी की थी.
वो दावे जो इसे झुठलाते हैं
अकबरनामा में जोधा का नाम न होने के कारण कुछ लोगों ने यह तर्क दिया है कि उसने अकबर से शादी नहीं की थी. इसके बजाय, कुछ इतिहासकारों का दावा है कि जोधा मुगल शासक अकबर के बेटे जहांगीर की पत्नी थी. पार्वती शर्मा की जीवनी अकबर ऑफ हिंदुस्तान में उल्लेख है कि अकबर ने राजा बिहारीमल कछवाहा की बेटी हरखा से विवाह किया था. पार्वती शर्मा ने लिखा कि उसे अक्सर जोधाबाई के रूप में गलत पहचाना जाता है. उसे अक्सर अकबर के जीवन के महान प्रेम के रूप में गलत तरीके से पेश किया जाता है. वास्तव में, हरखा का इतिहास में केवल अकबर की दुल्हन के रूप में ही उल्लेख नहीं है बल्कि वह अपने व्यापारिक संबंधों के लिए भी जानी जाती है. यह भी संभव है कि उसका अकबर पर बहुत प्रभाव था. पार्वती शर्मा ने यह भी पुष्टि की कि हरखा ने अकबर के पहले पुत्र को जन्म दिया था.
ये भी पढ़ें- Explainer: समुद्र के नीचे खंभात की खाड़ी में मिला कौन सा प्राचीन शहर, हड़प्पा से ज्यादा पुरानी सभ्यता
क्या वह पुर्तगाली महिला थी
लेखक लुइस डी असिस कोर्रिया ने दावा किया है कि जोधाबाई राजपूत राजकुमारी नहीं थी, बल्कि डोना मारिया मास्करेन्हास नाम की एक पुर्तगाली महिला थी. इंडिया टुडे के अनुसार, उन्होंने अपनी पुस्तक ‘पुर्तगाली भारत और मुगल संबंध 1510-1735’ में लिखा है कि मस्कारेन्हास को गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह ने पकड़ लिया था, जिसने उसे युवा अकबर को दे दिया था. वो इतनी खूबसूरत थी कि मुगल शासक उससे प्यार करने लगा और शादी कर ली. इतिहास में कई विरोधाभासी बातें मौजूद हैं, लेकिन इतिहासकार एक राजपूत राजकुमारी के अस्तित्व को स्वीकार करते हैं. इस राजकुमारी ने अकबर से विवाह किया था. भले ही उनकी ‘महान’ प्रेम कहानी पर सवाल उठते रहें.