जातियों के सब कैटेगराइजेशन से सधेगा संतुलन, पीएम मोदी ने खेल दिया बड़ा दांव

6 hours ago

Last Updated:May 01, 2025, 04:01 IST

Caste Census Analysis : मोदी सरकार ने जाति जनगणना का फैसला कर राजनीतिक समीकरण बदल दिए हैं. ओबीसी आबादी का बड़ा हिस्सा देखते हुए ये फैसला सिक्सर साबित हो सकता है. एनडीए की एकजुटता भी मजबूत होगी.

जातियों के सब कैटेगराइजेशन से सधेगा संतुलन, पीएम मोदी ने खेल दिया बड़ा दांव

मोदी के दांव से तेजस्वी-अखिलेश होंगे चित

भारतीय जनता पार्टी 50-50 की लड़ाई हर चुनाव में पसंद करती है. ये रिजल्ट से क्लियर है. उत्तर प्रदेश में 2014 के लोकसभा चुनाव से लेकर 2024 तक के सभी चुनावों में ये साबित हुआ है. वो तो अखिलेश यादव और तेजस्वी यादव हैं जिनके एमवाई के चक्कर में 50 परसेंट की लड़ाई का दायरा घटता-बढ़ता है. पर नरेंद्र मोदी सरकार ने जाति जनगणना का फैसला कर सारा गेम ही पलट दिया है. अगर बिहार में नीतीश कुमार के जाति सर्वे को देखें तो आबादी में लगभग 63 परसेंट हिस्सा अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का है. इसमें यादव शामिल हैं. उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश में भी ओबीसी आबादी का हिस्सा 50 परसेंट या इससे ज्यादा है. इस लिहाज से मोदी कैबिनेट का फैसला सिक्सर है. 2011 में जो सामाजिक-आर्थिक सर्वे कराया गया उसके आंकड़ें कांग्रेस ने जारी नहीं किए. सारा डर हिस्सेदारी की लड़ाई पर है. लेकिन एक बात ध्यान रखने लायक है. मोदी कैबिनेट ने जाति जनगणना का फैसला किया है , न कि इसके आधार पर रिजर्वेशन का.

जाति जनगणना के आंकड़े कमोबेश क्या आएंगे, ये सबको पता है. बीजेपी का पॉलिटिकल प्लान रोहिणी कमिशन वाला ही है जिसकी रिपोर्ट अभी तक सार्वजनिक नहीं हुई है. उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ ने भी जस्टिस राघवेंद्र कुमार कमिटी बनाई. सिफारिशें लीक हुईं लेकिन लागू नहीं हुई है. इसके मुताबिक ओबीसी जातियों को तीन भागों में बांटना चाहिए. यादव-कुर्मी जैसी दबंग जातियों को 27 परसेंट ओबीसी रिजर्वेशन में सात परसेंट हिस्सा मिले, ज्यादा पिछड़ी ओबीसी जातियों को 11 परसेंट रिजर्वेंशन दिया जाए और अति पिछड़ी जातियों को 9 परसेंट. यानी आबादी के मुताबिक रिजर्वेशन देने के बदले 27 परसेंट में ही बंटवारा. मुझे लगता है देश भर में जाति जनगणना के बाद यही बहस छिड़ने वाली है.

मोदी सरकार के लिए ये फैसला करना सुप्रीम कोर्ट ने भी आसान बना दिया. पिछले साल दिए ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी वर्ग में सब-कैटेगराइजेशन की इजाजत दे दी थी. अगर पॉलिटिक्स तेज हुई तो मायावती से लेकर अखिलेश-तेजस्वी सबके हथियार बीजेपी कुंद कर सकती है. जैसे यूपी में गैर जाटव वोट छिटक कर बीजेपी या अखिलेश के पास आ चुका है. माना जा रहा है कि पिछले लोकसभा चुनाव में ये वोट अखिलेश यादव के फेवर में गया. लेकिन अगर बीजेपी ने 21 परसेंट एससी रिजर्वेशन को गैर जाटवों में बांटने की जिरह छेड़ी तो नुकसान किसका होगा और फायदा किसका ये समझना आसान है. बिहार चुनाव में नीतीश कुमार की अगुआई में फायदा तो तय है.

अश्विनी वैष्णव ने फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि कांग्रेस ने सिर्फ सर्वे किया गणना नहीं की. अब बीजेपी दावा कर सकती है कि सामाजिक न्याय की असली चिंता वही करती है. इसके साथ एनडीए की एकजुटता भी मजबूत होगी. चिराग पासवान, नीतीश कुमार, चंद्रबाबू नायडू इस फैसले पर खुशी जता चुके हैं.

जोखिम कितना है
सवर्णों का बड़ा तबका बीजेपी का कोर वोट बैंक रहा है. इस फैसले के बाद उनकी नाराजगी झेलनी पड़ सकती है. हालांकि रिजर्वेशन के दायरे को सीमित रखने का नैरेटिव मजबूती से सामने रखने पर शायद उतना नुकसान न हो. पर, यही बीजेपी कल तक जाति के आधार पर समाज को बांटने का आरोप राहुल गांधी पर लगा रही थी. दीन दयाल उपाध्याय के रास्ते पर मानव मात्र के कल्याण को वैचारिक आधार बताने वाली बीजेपी ने अचानक जाति जनगणना का फैसला क्यों किया, इस पर आम वोटर सोच विचार तो करेगा.

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