Last Updated:May 01, 2025, 09:17 IST
Census News: केंद्र सरकार ने जनगणना में जाति के सवाल को शामिल करने का फैसला किया है. 2020-21 में कोरोना के कारण टली जनगणना अब 2026 तक पूरी होने की उम्मीद है. इसमें जाति के सवाल को शामिल किए जाने के बाद एक बड़ी ...और पढ़ें

जाति जनगणना में अब 32 सवाल हो सकते हैं.
हाइलाइट्स
जनगणना में जाति का सवाल शामिल होगा.जनगणना 2026 तक पूरी होने की उम्मीद.जनगणना के लिए 2025-26 में 574 करोड़ रुपये का बजट.Census News: भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने जनगणना में जाति के सवाल को शामिल करने का फैसला कर लिया है. लंबे समय से देश में जाति जनगणना की मांग हो रही थी. अब सरकार के फैसला ले लेने के बाद देश में जल्द जनगणना कराए जाने की संभावना है. देश में इससे पहले 2011 में जनगणना हुई थी. आमतौर पर हर 10 साल पर जनगणना कराई जाती है. लेकिन, 2020-2021 में कोरोना महामारी की वजह से यह जनगणना टाल दी गई थी.
सरकारी सूत्रों के मुताबिक अब जल्द जनगणना का काम शुरू हो सकता है. अधिकारियों को उम्मीद है कि 2026 के अंत तक इसे पूरा कर लिया जाएगा. हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक बीते तीन-चार साल से जनगणना को टालने की मुख्य वजह इसमें जाति को शामिल करने का मुद्दा था. सरकार फैसला नहीं ले पा रही थी कि जनगणना में जाति को शामिल करना चाहिए या नहीं.
बजट का सवाल
रिपोर्ट के मुताबिक जातिगणना को शामिल करने का फैसला लिया गया है. ऐसे में अब घरों की सूची बनाने और जनगणना के दौरान हर परिवार से जानकारी लेने के लिए सवालों की संख्या 31 से बढ़कर 32 हो सकती है. इस साल मार्च में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने संसदीय समिति को बताया कि जनगणना की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि जनगणना के लिए 2024-25 में 1,309 करोड़ रुपये का बजट था, जो 2025-26 में घटाकर 574 करोड़ रुपये कर दिया गया. मंत्रालय ने कहा था कि जनगणना की कई तैयारियां पूरी हो चुकी हैं और तकनीकी उन्नयन का काम चल रहा है. जब जनगणना शुरू होगी तब जरूरत के हिसाब से और धन मांगा जाएगा.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कई बार कहा है कि जनगणना जरूर है. 2019 में केंद्र सरकार ने जनगणना 2021 करने का फैसला लिया था. इसके लिए 8,754.23 करोड़ रुपये और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को अपडेट करने के लिए 3,941.35 करोड़ रुपये का बजट मंजूर किया गया था. इस तरह पूरी प्रक्रिया की लागत लगभग 12,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है.
यह जनगणना मूल रूप से 2020-21 में होनी थी लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसे टाल दिया गया. भारत में पहली बार 1881 में जनगणना हुई थी. तब से हर 10 साल में बिना रुकावट यह प्रक्रिया होती आ रही है. यह देश की जनसंख्या, सामाजिक-आर्थिक स्थिति और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी का सबसे बड़ा स्रोत है. इस जानकारी का उपयोग योजनाएं बनाने, नीतियां तय करने और सरकारी योजनाओं के प्रभाव को समझने के लिए किया जाता है. साथ ही यह डेटा संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों को निर्धारित करने और राज्यों को संसद में प्रतिनिधित्व देने में भी मदद करता है.