हल से हौसलों तक, किसान का बेटा NDA में सफल, अब बनेगा सेना में अफसर

2 hours ago

Last Updated:May 01, 2025, 11:08 IST

Indian Army NDA Story: हौंसला अगर बुलंद है और अडिग संकल्प के साथ सही मार्गदर्शन मिल जाए, तो उसे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है. ऐसी ही कहानी एक 19 वर्षीय लड़के की है, जो गांव से NDA तक का सफर पूरा किया है.

हल से हौसलों तक, किसान का बेटा NDA में सफल, अब बनेगा सेना में अफसर

NDA Indian Army Story: किसान के बेटे ने NDA में कमाल कर दिया है.

हाइलाइट्स

NDA की परीक्षा में 160वीं रैंक हासिल की हैं.वह किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं.अब भारतीय सेना में ऑफिसर बनेंगे.

Indian Army NDA Story: अगर कोई भी इंसान कड़ी मेहनत, सही मार्गदर्शन और अडिग संकल्प के साथ किसी भी काम में लगता है, तो उसे पूरा होने से कोई नहीं रोक सकता है. ऐसी ही कहानी एक लड़के की है, जिन्होंने केवल 19 वर्ष की उम्र में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के जरिए आयोजित प्रतिष्ठित NDA की परीक्षा में 160वीं रैंक प्राप्त कर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की हैं. उन्होंने नेशनल लेवल पर अपनी एक अलग पहचान बनाई है. हम जिनकी बात कर रहे हैं, उनका नाम वेदांत वायंगडे (NDA Cadet Vedant Wayangade) है.

10वीं में 98% अंक और NDA में 160वीं रैंक
UPSC NDA की परीक्षा में 160वीं रैंक हासिल करने वाले वेदांत वायंगडे महाराष्ट्र के सांगली जिले के मिराज तालुका के तुंग गांव के रहने वाले हैं. उनकी शुरुआती एजुकेशन आष्टा के बी.के. चौगुले माध्यमिक विद्यालय से हुई है, जहां उन्होंने कक्षा 10वीं में 98% अंक प्राप्त कर अपनी प्रतिभा का परिचय दिया है. उनकी इसी प्रतिभा ने वेदांत वायंगडे को छत्रपति संभाजीनगर के सेवा परीक्षा संस्थान (SPI) में प्रवेश दिलाया है.

NDA के लिए ऐसे की तैयारी
वेदांत वायंगडे ने SPI में रहते हुए मेजर सैय्यदा फिरासत, लेफ्टिनेंट कर्नल उदय पोल, सूबेदार महेश जगताप और उत्तम आधव जैसे अनुभवी सेना के ऑफिसर्स से मार्गदर्शन प्राप्त किया है. वहां उन्होंने NDA की कठिन चयन प्रक्रिया के लिए कड़ी मेहनत की, जिसमें लिखित परीक्षा, पांच दिवसीय SSB इंटरव्यू और मेडिकल टेस्ट शामिल हैं. वेदांत ने हर चरण में दृढ़ निश्चय और अडिग समर्पण के साथ बेहतरीन परफॉर्म किया है.

किसान परिवार से रखते हैं ताल्लुक
NDA में सफलता हासिल करने वाले वेदांत एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनके दादा शमराव वायंगडे और पिता प्रवीण वायंगडे ने उन्हें जीवन में अनुशासन, परिश्रम और लक्ष्य के प्रति समर्पण का महत्व सिखाया, जो उनकी सफलता की नींव बना. ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने के बावजूद उन्होंने साबित कर दिया कि इच्छाशक्ति और अनुशासन से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है.

खड़कवासला में नए अध्याय की शुरुआत
अब वेदांत पुणे स्थित एनडीए की खड़कवासला अकादमी में 154वें कोर्स में प्रशिक्षण के लिए तैयार हैं, जहां वह एक मिलिट्री ऑफिसर बनने के लिए औपचारिक ट्रेनिंग प्राप्त करेंगे. वेदांत की उपलब्धि न केवल उनके परिवार और गांव के लिए गौरव का विषय है, बल्कि यह सांगली जिले और समूचे ग्रामीण भारत के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है.

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