क्या है यह शत्रु संपत्ति? कैसे फंस गए सैफ अली खान, 15000 करोड़ का लगेगा चूना

7 hours ago

Last Updated:July 05, 2025, 07:45 IST

सैफ अली खान की करीब 15000 करोड़ रुपये की संपत्ति को लेकर वर्षों से चले आ रहे विवाद में अब एक नया मोड़ आ गया है. भोपाल स्थित उनकी कई पुश्तैनी संपत्तियों को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया गया है. जानें यह पूरा मामला...और पढ़ें

क्या है यह शत्रु संपत्ति? कैसे फंस गए सैफ अली खान, 15000 करोड़ का लगेगा चूना

सैफ अली खान की करीब 15000 करोड़ रुपये की संपत्ति को लेकर वर्षों से चले आ रहे विवाद में अब एक नया मोड़ आ गया है.

हाइलाइट्स

भोपाल नवाब संपत्ति विवाद में सैफ अली खान की मुश्किलें बढ़ीं.हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट का आदेश रद्द किया.सैफ की संपत्तियों को शत्रु संपत्ति घोषित किया गया.

भोपाल नवाब परिवार की संपत्ति को लेकर वर्षों से चले आ रहे विवाद में अब एक नया मोड़ आ गया है. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के उस पुराने आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें अभिनेता सैफ अली खान, उनकी मां शर्मिला टैगोर और बहनें सोहा और सबा अली खान को भोपाल नवाब हमीदुल्लाह खान की संपत्ति का उत्तराधिकारी माना गया था. अब इस मामले की सुनवाई ट्रायल कोर्ट में एक बार फिर से नए सिरे से होगी.

लेकिन इस पूरे विवाद में एक और पहलू बेहद अहम है… शत्रु संपत्ति (Enemy Property), जिसे लेकर सैफ अली खान की कानूनी मुश्किलें और बढ़ गई हैं. दरअसल, भारत सरकार ने भोपाल स्थित उनकी कई पुश्तैनी संपत्तियों को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया है, जिसकी वजह से 15,000 करोड़ रुपये की संपत्ति पर उनका अधिकार अब संकट में पड़ गया है.

क्या होती है शत्रु संपत्ति?

शत्रु संपत्ति में ऐसी संपत्तियों को रखा गया है जो उन लोगों की होती है जो पाकिस्तान चले गए हैं और भारत की नागरिकता छोड़ दी. 1965 के भारत-पाक युद्ध के बाद, भारत सरकार ने 1968 में शत्रु संपत्ति अधिनियम बनाया, जिसके तहत ऐसे प्रवासी नागरिकों की संपत्तियां कस्टोडियन ऑफ एनेमी प्रॉपर्टी नामक संस्था के अधीन आ गईं.

इन संपत्तियों में जमीन, मकान, सोना-चांदी, गहने, और कंपनियों में शेयर जैसी चल और अचल संपत्तियां शामिल हैं. भारत सरकार ने इन संपत्तियों को अपने नियंत्रण में लेने के लिए शत्रु संपत्ति अधिनियम, 1968 (Enemy Property Act, 1968) लागू किया.

कब और क्यों लाया गया यह कानून?

शत्रु संपत्ति कानून इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री रहने के दौरान वर्ष 1968 में लागू हुआ था. यह कानून 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद बनाया गया, जिसका मकसद उन संपत्तियों को नियंत्रित करना था, जो पाकिस्तानी नागरिकों के नाम पर भारत में छूट गई थीं. इसके बाद, 1962 में भारत-चीन युद्ध हुआ तो उसमें भी इस कानून को लागू किया गया, ताकि चीनी नागरिकों की संपत्तियों को भी शामिल किया जा सके.

1965 और 1971 के युद्धों के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच ताशकंद घोषणा में यह सहमति हुई थी कि दोनों देश एक-दूसरे की जब्त की गई संपत्तियों को लौटाने पर विचार करेंगे. हालांकि, 1971 में पाकिस्तान ने इन संपत्तियों को नष्ट कर दिया, जिसके बाद भारत ने भी इन संपत्तियों को अपने नियंत्रण में रखने का फैसला किया.

इस कानून का मकसद था कि भारत के ‘दुश्मन’ देशों में चले गए लोगों की संपत्तियों को देश के हित में सुरक्षित रखा जाए और उनका प्रयोग देश विरोधी गतिविधियों में न हो.

सैफ अली खान का क्या है मामला?

सैफ अली खान की मौसेरी नानी और भोपाल नवाब हमीदुल्लाह खान की बेटी अबिदा सुल्तान, भारत के विभाजन के बाद पाकिस्तान चली गई थीं और वहां की नागरिकता ले ली थी. जबकि उनकी बहन साजिदा सुल्तान भारत में ही रहीं और उन्हीं के वंश में सैफ अली खान आते हैं.

सरकार ने इसी आधार पर सैफ के फ्लैग स्टाफ हाउस, नूर-उस-सबा पैलेस, दारुस सलाम, अहमदाबाद पैलेस, हबीबी बंगला, कोहेफिज़ा जैसी अनेक प्रॉपर्टीज़ को 2014 में शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया.

सैफ अली खान ने इसके खिलाफ 2015 में कोर्ट का रुख किया और उन्हें अस्थायी राहत भी मिली थी, लेकिन 13 दिसंबर 2024 को हाई कोर्ट ने वह स्टे हटा दिया, जिससे अब यह संपत्तियां कानूनी रूप से शत्रु संपत्ति के दायरे में आ गई हैं.

कोर्ट ने उन्हें 30 दिन का समय दिया था ताकि वे इस आदेश के खिलाफ दावा दायर कर सकें, लेकिन तय समय में कोई दावा दाखिल नहीं हुआ.

क्यों अहम है यह फैसला?

इस फैसले के बाद भारत में शत्रु संपत्ति कानून की व्याख्या को लेकर एक नई मिसाल बन सकती है. अबिदा सुल्तान के पाकिस्तान जाने को आधार बनाकर भारत में रह गई संतानों और उत्तराधिकारियों के अधिकारों को चुनौती दी जा रही है.

हालांकि मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) एक्ट, 1937 के अनुसार, संपत्ति के बंटवारे में सभी उत्तराधिकारियों को हिस्सा मिलना चाहिए. इसी आधार पर हमीदुल्लाह खान की अन्य संतानों और उत्तराधिकारियों ने 1999 में ट्रायल कोर्ट में मुकदमा दाखिल किया था.

अब हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया है कि वह एक साल के भीतर इस मामले की सुनवाई पूरी करे. इससे संपत्ति के अधिकार को लेकर सैफ अली खान की स्थिति फिर से बदल सकती है, अगर अदालत ने यह माना कि साजिदा सुल्तान के वारिसों का दावा वैध है.

Saad Omar

An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें

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