Last Updated:October 25, 2025, 12:34 IST
Carbide Gun: मध्य प्रदेश में दिवाली पर कार्बाइड गन से 300 लोगों की आंखें चोटिल हो गईं, इनमें 30 गंभीर हैं. सोशल मीडिया पर इस गन के वीडियो वायरल होने से भी हादसे बढ़े.
मध्य प्रदेश में कार्बाइड गन से जुड़ी चोटों की बढ़ती घटनाओं के बाद अधिकारियों ने कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है.Carbide Gun: दिवाली के जश्न ने मध्य प्रदेश में उस समय दुखद रूप ले लिया जब कार्बाइड बंदूकों की वजह से लगभग 300 लोगों की आंखों में गंभीर से लेकर मामूली चोटें आई हैं. सोमवार और मंगलवार को जिन लोगों को आंखों की दिक्कत हुई है, उनमें ज्यादातर बच्चे शामिल हैं. इनमें से 30 की हालत गंभीर बतायी जा रही है और वे अपनी आंखों की रोशनी खो सकते हैं. इन लोगों ने दिवाली के दौरान घर पर बनायी गयी कार्बाइड बंदूकों से खेलने के बाद अपनी आंखों को नुकसान पहुंचा लिया है. इस होममेड खिलौने की तुलना विशेषज्ञों ने ‘रासायनिक बम’ से की है. इन लोगों ने कार्बाइड गन से पटाखे चलाए, जिनका इस्तेमाल किसान मुख्य रूप से बंदरों और पक्षियों को भगाने के लिए करते हैं.
हैं खिलौना, लेकिन बेहद खतरनाक
कार्बाइड बंदूकें घर में बने उपकरण होते हैं, जो आमतौर पर प्लास्टिक या टिन के पाइप से बनाए जाते हैं. ये कैल्शियम कार्बाइड और पानी का इस्तेमाल करके केमिकल रिएक्शन पैदा करते हैं, जिससे एक तेज विस्फोट होता है. विशेषज्ञों का कहना है कि हालांकि ये खिलौने जैसे दिखते हैं, लेकिन ये उपकरण बेहद खतरनाक होते हैं. अधिकारियों ने बताया कि कार्बाइड गन में कैल्शियम कार्बाइड, माचिस की तीलियों और बारूद का मिश्रण होता है. कैल्शियम कार्बाइड में पानी मिलाने से एसिटिलीन गैस बनती है, जिसके जलने से शक्तिशाली विस्फोट होते हैं जिससे तीव्र गर्मी और हानिकारक गैसें निकलती हैं. अधिकारियों ने बताया कि कार्बाइड गन को ऑनलाइन ‘पीवीसी मंकी रिपेलर गन’ के नाम से बेचा जाता है. ये पारंपरिक पटाखों के विकल्प के रूप में उभरी है.
रेटिना फटने से तत्काल अंधापन
जब कार्बाइड बंदूक में विस्फोट नहीं होता तो बच्चे प्रायः बैरल में झांकने लगते हैं. एक क्षण की चूक से इतना शक्तिशाली विस्फोट हो सकता है कि रेटिना फट जाए और तत्काल अंधापन हो जाए. एनडीटीवी के मुताबिक भोपाल के हमीदिया अस्पताल में भर्ती 17 वर्षीय नेहा ने बताया, “हमने एक घर में बनी कार्बाइड बंदूक खरीदी थी. जब वह फटी, तो मेरी एक आंख पूरी तरह जल गई. मुझे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है.” दैनिक जागरण ने भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (बीएमएचआरसी) की नेत्र रोग विभागाध्यक्ष डॉ. हेमलता यादव के हवाले से कहा, “इसके परिणामस्वरूप होने वाली रासायनिक जलन से कॉर्निया, आइरिस और रेटिना को नुकसान पहुंच सकता है, जिससे अक्सर ऑप्टिक तंत्रिका को चोट पहुंचने और स्टेम सेल के नष्ट होने के कारण स्थायी विजुअल इम्पेयरमेंट या दृष्टि हानि हो सकती है. भोपाल की नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. अदिति दुबे ने चेतावनी दी है कि एसिटिलीन गैस में सांस लेना और भी अधिक खतरनाक है. जो कैल्शियम कार्बाइड को पानी में मिलाने से उत्पन्न होती है. इसके संभावित प्रभावों में मस्तिष्क में सूजन, हाइपोक्सिया, सिरदर्द, चक्कर आना और स्मृति दोष जैसी दीर्घकालिक समस्याएं शामिल हैं.
घातक होती है अल्कलाइन इंजरी
हालांकि सरकार द्वारा कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं दिया गया, लेकिन अनौपचारिक रिपोर्टों ने ‘अल्कलाइन इंजरी’ की अलग-अलग डिग्री के 300 मामले सामने आने की बात की है. टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक एम्स भोपाल के डॉक्टरों ने कहा कि आंख में दो मुख्य प्रकार की चोट थी- एसिड और अल्कलाइन. एसिड की चोटें सीमित प्रवेश के कारण कम गंभीर होती हैं, लेकिन अल्कलाइन इंजरी काफी खतरनाक होती हैं. एम्स भोपाल में नेत्र रोग विभाग के प्रमुख डॉ. भावना शर्मा ने कहा, “अल्कलाइन से होने आंख की चोटें ठीक न होने वाली क्षति का कारण बनती हैं और इलाज आगे की गिरावट को रोकने पर केंद्रित होता है. कुछ मामलों में आंखों की रोशनी को नुकसान हो सकता है.”
प्रतिबंध के बाद भी बिकती रही गन
अधिकारियों ने दिवाली से दो हफ्ते पहले इस समस्या की पहचान की और प्रतिबंध लागू कर दिए. सरकार ने इसकी बिक्री और इस्तेमाल पर भी प्रतिबंध लगा दिया था. 150 से 200 रुपये की कीमत वाले इन उपकरणों को खुले बाजार में मनोरंजन के सामान के तौर पर बेचा जा रहा था, जबकि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर इनकी कीमत 500 से 2,000 रुपये तक थी. प्रतिबंधों के बावजूद ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म कार्बाइड-आधारित बंदूकों की बिक्री जारी रखे हुए हैं. ये उत्पाद धातु या पीवीसी पाइप के रूप में उपलब्ध हैं और या तो स्वयं निर्मित या उपयोग के लिए तैयार इकाइयों के रूप में उपलब्ध हैं. विक्रेता इग्निशन मैकेनिज्म और सुरक्षात्मक दस्ताने जैसी अतिरिक्त वस्तुएं भी शामिल करते हैं, जिससे सुरक्षा और वैधता का झूठा आभास होता है.
सोशल मीडिया की भूमिका
कई रिपोर्टों में बताया गया है कि इस दिवाली के क्रेज में वृद्धि सोशल मीडिया, विशेष रूप से इंस्टाग्राम रील्स और यूट्यूब शॉर्ट्स के कारण हुई है. एक पीड़ित ने स्वीकार किया, “मैंने सोशल मीडिया पर वीडियो देखे और घर पर पटाखा बंदूक बनाने की कोशिश की. यह मेरे चेहरे पर फट गई… और मेरी एक आंख चली गई.” यूट्यूब शॉर्ट्स पर ‘कार्बाइड गन’ हैशटैग के तहत टैग किए गए क्लिप वायरल हो रहे हैं, जिनमें लोग कार्बाइड गन चलाते हुए दिखाई दे रहे हैं. कई क्रिएटर्स घर पर इसे बनाने का तरीका भी बताते हुए देखे जा सकते हैं.
जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई
एक रिपोर्ट के मुताबिक उप-मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य विभाग के प्रभारी राजेंद्र शुक्ला ने कहा, “अधिकांश मामले भोपाल और कुछ पड़ोसी जिलों से रिपोर्ट किए गए थे और यहां के अस्पतालों में उनका इलाज किया जा रहा था. लगभग 50 ग्वालियर और जबलपुर से रिपोर्ट किए गए थे.” राजेंद्र शुक्ला ने कहा कि जैसे ही हमें पता चला एक समीक्षा बैठक बुलायी गयी. भोपाल में सात बच्चे गंभीर रूप से घायल हुए और उन्हें हमीदिया अस्पताल में भर्ती कराया गया, कुछ ग्वालियर और विदिशा में भी हैं. बच्चों की देखभाल और उन्हें सभी सुविधाएं प्रदान करने के लिए एक मेडिकल टीम का गठन किया गया है. उन्होंने कहा कि प्रशासन इस घटना के लिए जिम्मेदार सभी लोगों पर कार्रवाई कर रहा है.
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
October 24, 2025, 12:36 IST

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