क्या भारत विरोधी हैं बालेंद्र शाह, बॉलीवुड फिल्मों पर रोक, ग्रेटर नेपाल मैप

4 days ago

नेपाल की सरकार को उखाड़ फेंकने वाले युवाओं के विद्रोह के बाद जिन दो युवा नेताओं के नाम अब वहां सबसे ज्यादा लिये जा रहे हैं, वो काठमांडु के मेयर बालेंद्र शाह बालेन और सुदन गुरुंग के हैं. इसमें बालेंद्र शाह के कुछ बयानों और कामों को भारत विरोधी माना गया, हालांकि उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की उच्च शिक्षा कर्नाटक के विश्वेरैया इंजीनिरिंग कॉलेज में दो साल रहकर हासिल की.

बालेंद्र शाह ने भारत के कर्नाटक राज्य में पढ़ाई की है. उन्होंने विश्वेश्वरैया प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, बेलगावी, कर्नाटक से स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री हासिल की. हालांकि वो कभी अपनी कर्नाटक में पढाई के बारे में सार्वजनिक तौर कोई बात नहीं करते.

बालेंद्र शाह 35 साल के हैं. उनका जन्म 27 अप्रैल 1990 को काठमांडू, नेपाल में हुआ. उनके पिता एक आर्युवेदिक चिकित्सक थे. ये कहना चाहिए बालेन की शख्सियत प्रभावशाली है. वह सख्त प्रशासक और साफसुथरे तरीके से काम करने वाले मेयर हैं. उनके भाषण असरदार होते हैं. नेपाल का युवा वर्ग उनका दीवाना है. उन्होंने कम से कम दो ऐसे काम किए, जिससे ये धारणा बनी कि वह भारत विरोधी हैं.

उन्होंने काठमांडु में बॉलीवुड फिल्मों पर प्रतिबंध लगा दिया. साथ ही “ग्रेटर नेपाल” के नक्शे को लेकर उनके रुख ने भारत में विवाद पैदा किया. वो भी ये मानते हैं कि भारत ने नेपाल के कई इलाकों पर जबरन कब्जा कर रखा है.

बॉलीवुड फिल्मों पर रोक लगा दी

2023 में बालेंद्र शाह ने काठमांडू में बॉलीवुड फिल्मों के प्रदर्शन पर रोक लगाने का आदेश दिया. विशेष रूप से फिल्म आदिपुरुष के एक संवाद को लेकर, जिसमें माता सीता को “भारत की बेटी” कहा गया. शाह का तर्क था कि यह संवाद नेपाल की मान्यता के खिलाफ है, जो यह मानती है कि माता सीता का जन्म नेपाल के जनकपुर में हुआ था.

उन्होंने फिल्म निर्माताओं को संवाद हटाने के लिए तीन दिन का समय दिया. जब ऐसा नहीं हुआ, तो उन्होंने काठमांडू में सभी हिंदी फिल्मों पर प्रतिबंध लगा दिया.

हालांकि नेपाल के पाटन हाई कोर्ट ने 22 जून 2023 को मेयर बालेन शाह के भारतीय फिल्मों पर प्रतिबंध के फैसले को रद्द कर दिया था. कोर्ट ने इसे गैर-कानूनी माना और नेपाल सरकार के सूचना एवं संचार मंत्रालय ने भी इस प्रतिबंध की आलोचना करते हुए इसे अवैध ठहराया.

हालांकि शाह ने बाद में स्पष्ट किया कि उनका विरोध आदिपुरुष के विशिष्ट संवाद और उसकी सामग्री तक सीमित था, न कि भारत या बॉलीवुड के खिलाफ व्यापक रूप से. वैसे उन्होंने ये भी कहा कि बॉलीवुड ने कुछ मामलों में पाकिस्तान को बदनाम किया है, जिससे लगता है कि पाकिस्तान के प्रति भी बेहतर सोच रखते हैं.

बॉलीवुड फिल्मों को नेपाल के लिए अच्छा नहीं मानते

बॉलीवुड फिल्मों को लेकर उनके बयानों से ये झलका है कि ये फिल्में नेपाल की संस्कृति और परंपराओं से खिलवाड़ करके एक खास विचारधारा फैलाती हैं. जिसका असर नेपाल में युवाओं पर अच्छा नहीं पड़ता. ऐसा लगता है कि वो नहीं चाहते कि भारत की फिल्में नेपाल में दिखाई जाएं. इसके बदले वह नेपाली फिल्मों को प्रोमोट करना चाहते हैं

बालेंद्र शाह का मानना था कि भारतीय फिल्मों में दिखाए जाने वाले कंटेंट से नेपाल की अपनी सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान पर प्रभाव पड़ता है. उन्होंने ये चिंता भी अक्सर जाहिर की है कि भारतीय फिल्मों में दिखाई जाने वाली विचारधारा, भाषा, जीवनशैली और सामाजिक नैतिकता से नेपाली युवा प्रभावित हो रहे हैं, जिससे उनकी खुद की संस्कृति कमजोर हो सकती है.

ग्रेटर नेपाल का नक्शा बनाया

शाह ने भारत के “अखंड भारत” के नक्शे के जवाब में अपने कार्यालय में “ग्रेटर नेपाल” का नक्शा लगाया, जिसमें भारत के कुछ हिस्से शामिल किए. इसमें उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार और हिमाचल प्रदेश के क्षेत्र शामिल हैं. भारत में कई लोगों ने इसे उकसावे वाला कदम माना. यह कदम भारत की नई संसद में “अखंड भारत” के नक्शे के जवाब में देखा गया, जिसे नेपाल में कुछ लोगों ने अपनी संप्रभुता पर सवाल उठाने वाला माना.

ग्रेटर नेपाल के नक्शे में कौन से भारतीय इलाके

“ग्रेटर नेपाल” का नक्शा ऐतिहासिक सुगौली संधि (1816) से पहले के नेपाल के क्षेत्रीय दावों पर आधारित है, जो नेपाल और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच हुई थी. इस नक्शे में निम्नलिखित भारतीय क्षेत्रों को शामिल किया गया.

उत्तर प्रदेश – उत्तर प्रदेश के कई हिस्से, विशेष रूप से गोरखपुर, बस्ती, और बहराइच जैसे तराई क्षेत्रों नक्शे में रखा गया. ये क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से गोरखा साम्राज्य का हिस्सा माने जाते थे.

बिहार – बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र, जिसमें दरभंगा, मधुबनी, और अन्य मैथिली भाषी क्षेत्र शामिल हैं. इन क्षेत्रों को नेपाल के जनकपुर से सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से जोड़ा जाता है, क्योंकि यह माना जाता है कि माता सीता का जन्म यहीं हुआ था.

हिमाचल प्रदेश – पश्चिमी कांगड़ा और हिमाचल के कुछ अन्य पहाड़ी क्षेत्र. ये क्षेत्र सुगौली संधि से पहले गोरखा साम्राज्य के अधीन माने जाते थे.

पश्चिम बंगाल- दार्जिलिंग और सिलीगुड़ी जैसे क्षेत्र, जो नेपाल के पूर्वी हिस्सों से सटे हैं. कुछ स्रोतों में पश्चिम बंगाल के तराई क्षेत्रों को भी शामिल बताया गया.

उत्तराखंड – उत्तराखंड के कुछ हिस्से, विशेष रूप से कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्र, जो गोरखा साम्राज्य के समय नेपाल के अधीन थे. नैनीताल और अल्मोड़ा जैसे क्षेत्रों को भी इस नक्शे में शामिल किया गया.

सिक्किम- कुछ रिपोर्ट्स में सिक्किम को भी “ग्रेटर नेपाल” के नक्शे में शामिल बताया गया, क्योंकि यह क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से नेपाल के प्रभाव क्षेत्र में माना जाता था.

तब नेपाल के कुछ कानूनी विशेषज्ञों और संविधानविदों ने बालेन शाह के इस कदम को “बचकाना” और नेपाल के संविधान के खिलाफ बताया, क्योंकि मेयर का अधिकार केवल काठमांडू तक सीमित है, न कि राष्ट्रीय नीतियों पर.

क्या शाह भारत विरोधी हैं?

हां, कुछ हद तक. शाह के कुछ काम, जैसे बॉलीवुड फिल्मों पर प्रतिबंध और ग्रेटर नेपाल का नक्शा, भारत के प्रति आलोचनात्मक रुख को ही दिखाते हैं. उनके बयानों और कदमों को भारत में कई लोगों ने नेपाल की संप्रभुता को बढ़ावा देने के लिए भारत के खिलाफ उकसावे के रूप में देखा.
हालांकि ये भी कहा जाता है कि उन्हें भारत विरोधी नहीं माना जा सकता. क्योंकि उन्होंने फिल्म आदिपुरुष के संवाद या अखंड नेपाल के नक्शे को छोड़कर कभी कोई ऐसा काम नहीं किया, जो भारत के लिए उकसावे वाला माना जा सकता है.

न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।

Read Full Article at Source