क्‍या सोची समझी साजिश थी कैंसलेशन क्राइसिस? DGCA की जांच में कहां फंसी इंडिगो!

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Last Updated:December 13, 2025, 07:36 IST

Indigo Cancellation Crisis Realty: सरकार हो या आम जनता, हर किसी के जहन में एक ही सवाल कौंध रहा है कि क्‍या कैंसलेशन क्राइसिस इंडिगो की सोची समझी साजिश थी. डीजीसीए की जांच में कुछ तथ्‍य ऐसे सामने आए हैं, जो इंडिगो के लिए गले की फांस बन सकते हैं. वहीं, इंडिगो के मसले पर सरकार ने भी लगातार सख्‍त रुख अख्तियार कर रखा है. उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू का साफ कहना है कि इस मामले में ऐसी मिसाल बनाई जाएगी, जिससे भविष्‍य में इस तरह की कभी दिक्‍कत उत्‍पन्‍न न हो.

क्‍या सोची समझी साजिश थी कैंसलेशन क्राइसिस? DGCA की जांच में कहां फंसी इंडिगो!इंडिगो कैंसलेशन क्राइसिस पर डीजीसीए की चार सदस्‍यीय टीम जांच कर रही है.

Indigo Cancellation Crisis Realty: कैंसलेशन क्राइसिस को लेकर इंडिगो मैनेजमेंट की भूमिका सवालों के घेरे में है. क्राइसिस को लेकर लगातार यह सवाल खड़ा हो रहा है कि क्‍या यह क्राइसिस इंडिगो की सोची समझी साजिश का नतीजा है? क्‍या फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशंस (एफडीटीएल) के नए नियमों के मसले पर इंडिगो इस क्राइसिस के जरिए उड्डयन मंत्रालय और डायरेक्‍टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) के ऊपर दबाव बनाना चाह रही थी? इन सवालों के जवाब में पहले इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स ने वीडियो के जरिए सफाई दी. और फिर, चेयरमैन विक्रम मेहता ने वीडियो जारी कर एयरलाइन पर लगे यह सारे आरोप गलत हैं.

लेकिन, जांच के दौरान कुछ बातें ऐसी सामने आईं हैं, जो इंडिगो के तमाम दावों को गलत बताने के लिए काफी हैं. मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, एफडीटीएल के नए रूल्‍स के कंप्‍लायंस के लिए सभी एयरलाइंस को पर्याप्‍त समय दिया गया था. इंडिगो सहित सभी एयरलाइंस को यह पता था कि पहली नवंबर को एफडीटीएल का सेकेंड फेज लागू होने वाला है. एफडीटीएल रूल्‍स लागू होने से पहले और नवंबर के महीने में कंप्‍लायंस को लेकर इंडिगो सहित सभी एयरलाइंस से कई राउंड में बात की गई थी. डीजीसीए ने सभी एयरलाइंस से बात की. सभी ने कहा कि हम सभी लागू कर रहे हैं. इंडिगो ने भी कहा था कि हम एफडीटीएल कंप्लाई कर रहे हैं और हमें कोई प्रॉब्लम नहीं है.

पहली दिसंबर को मीटिंग में भी खामोश रही इंडिगो
उन्‍होंने बताया कि डीजीसीए की किसी भी मीटिंग में इंडिगो की तरफ से एक बार भी यह नहीं कहा गया कि उन्‍हें किसी तरह की कोई दिक्‍कत है. नवंबर के महीने में सभी एयरलाइंस अच्‍छी तरह से ऑपरेट कर रहीं थी. नवंबर में कुछ एवरेज कैंसलेशंस हुए, उन पर डीजीसीए की निगाह बनी हुई थी. एफडीटीएल को लेकर डीजीसीए और इंडिगो के बीच पहली दिसंबर को भी एक मीटिंग हुई. इस मीटिंग में एफडीटीएल को लेकर कुछ क्लैरिफिकेशन मांगे गए थे. मीटिंग के दौरान क्‍लैरिफिकेशन पर बात हुई, लेकिन इंडिगो की तरफ से तब भी पायलट और केबिन क्रू की कमी को लेकर कोई चर्चा नहीं की. इंडिगो ने किसी भी मीटिंग में कभी नहीं कहा कि उनके साथ कोई क्रू की कमी का इश्‍यू है.

इंडिगो के लिए गले की फांस बनी यह 4 बातें

पायलट हायरिंग न होने को लेकर खड़े हुए सवाल
मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, पिछले छह महीनों से इंडिगो ने कोई भी नया पायलट हायर नहीं किया है, जबकि कंपनी को पता था कि नए एफडीटीएल नियमों के बाद रोस्टरिंग बेहद सख्त हो जाएगी. बावजूद इसके क्रू की उपलब्धता और हायरिंग के ऊपर इंडिगो ने कोई ध्‍यान नहीं दिया. ऐसी स्थिति में हायरिंग रोकना मैनेजमेंट की गंभीर चूक मानी जा रही है. इंडिगो की इस चूक की वजह से पायलटों की कमी बढ़ी, जिसका सीधा असर फ्लाइट ऑपरेशन पर पड़ा. फ्लाइट कैंसिलेशन की जानकारी पहले से क्यों नहीं दी गई?
डीजीसीए का एक बड़ा सवाल यह भी है कि जब इंटरनल ऑपरेशन बिगड़ रहे थे और सिस्टम में डिले व कैंसलेशन साफ दिख रहे थे, तो पैसेंजर्स को समय रहते इसकी जानकारी क्यों नहीं दी गई. हजारों पैसेंजर्स एयरपोर्ट पहुंच गए. उन्‍हें बात में पता चला कि फ्लाइट ऑपरेट ही नहीं हो सकती. अगर इंडिगो को पहले से पता था कि क्रू मैनेजमेंट फेल हो रहा है, तो ऐसी स्थिति तक जाने क्यों दिया गया? फ्लाइट ऑपरेशन के नाम पर पैसेंजर्स को क्‍यों किया गया गुमराह?
डीजीसीए का सवाल यह भी है कि जब अंदरूनी तौर पर इंडिगो मैनेजमेंट को यह पता था कि क्रू उपलब्‍ध नहीं है, ऐसे में पैसेंजर्स से यह क्‍यों कहा गया कि फ्लाइट ऑपरेट होंगी. एयरलाइन के ऐसा से पैसेंजर्स के बीच भ्रम फैला और उन्‍हें घंटों एयरपोर्ट पर परेशान होना पड़ा. सवाल यह है कि जानकारी अपडेट करने और पैसेंजर्स को सही समय पर सच बताने की जिम्मेदारी किसकी थी और इसमें इंडिगो फेल क्‍यों हुई? आखिरकार इंडिगो ने इस स्थिति तक मामला क्यों पहुंचने दिया?
इंडिगो के सामने गंभीर सवाल यह भी है कि अगर मैनेजमेंट को पता था कि रोस्टरिंग, क्रू की उपलब्धता और एफडीटीएल कंप्‍लायंस में समस्या है, तो उन्होंने ऑपरेशन को उस स्तर तक क्यों पहुंचने दिया, जहां बड़े पैमाने पर कैंसलेशन रुक ही नहीं रहे थे. यह साफतौर पर एयरलाइन की प्लानिंग न होने और समय पर कार्रवाई न करने की वजह से हुआ. इस स्थिति को बेहतर तरीके से टाला जा सकता था, लेकिन इंडिगो ने स्थिति संभालने की जगह बिगड़ने क्‍यों दी?

इंडिगो की फ्लाइट्स कैंसल होने का कारण नए एफडीटीएल नियम नहीं, बल्कि एयरलाइन की आंतरिक रोस्टरिंग गड़बड़ी है. एफडीटीएल के नियम सभी स्‍टेकहोल्‍डर्स से बातचीत के बाद लागू किए गए थे. इंडिगो ने भी नियमों का पूरी तरह पालन का वादा किया था, लेकिन आंतरिक कमियों की वजह से क्राइसिस उत्‍पन्‍न हुई और पैसेंजर्स को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा. डीजीसीए ने शो-कॉज नोटिस जारी कर दिया है और चार सदस्‍यीय कमेटी मामले की जांच कर रही है. जांच के बाद दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी. उन्होंने स्पष्ट कहा कि कोई भी एयरलाइन कितनी बड़ी क्यों न हो, पैसेंजर्स को परेशान करना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. – राम मोहन नायडू, नागरिक उड्डयन मंत्री

इंडिगो को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं इन सवालों के जवाब

मंत्रालय द्वारा गठित डीजीसीए की चार सदस्‍यी कमेटी की भूमिका क्‍या रहेगी?
डीजीसीए ने चार सदस्यीय कमेटी इसलिए बनाई है ताकि इस पूरे मामले की गहराई से जांच की जा सके और सभी सवालों के सही और तथ्यात्मक जवाब सामने आ सकें. यह कमेटी इंडिगो के पूरे ऑपरेशन की समीक्षा करेगी, जिसमें क्रू रोस्टरिंग, फ्लाइट शेड्यूलिंग, पायलट मैनेजमेंट और इंटरनल कम्‍युनिकेशन मैनेजमेंट शामिल है. इस जांच का मकसद यह पता लगाना है कि गलती कहां हुई और किस स्तर पर चूक हुई. रिपोर्ट आने के बाद सरकार ने स्पष्ट कहा है कि अगर किसी की भी लापरवाही साबित होती है तो उस पर निश्चित रूप से कार्रवाई की जाएगी.

क्‍या डीजीसीए से कई मौके मिलने के बावजूद इंडिगो ने रेगुलेटर को कोई जानकारी नहीं दी?
डीजीसीए का कहना है कि वे नवंबर से ही इंडिगो के साथ संपर्क में थे और सभी एयरलाइंस के साथ मिलकर नए एफडीटीएल नियमों पर चर्चा कर रहे थे. इस दौरान जब भी डीजीसीए ने इंडिगो से उनकी स्थिति पूछी, एयरलाइन ने यही कहा कि सब कुछ सामान्य है और वे एफडीटीएल रूल्‍स को कंप्‍लाई करने जा रहे हैं. यहां तक कि 1 दिसंबर की डीजीसीए ने इंडिगो के साथ एक मीटिंग की थी, तब भी एयरलाइन की तरह से कुछ नहीं बताया गया. ऐसे में इस क्राइसिस को इंडिगो मैनेजमेंट की गंभीर विफलता माना जा रहा है, क्योंकि अगर समय रहते सही जानकारी दी जाती, तो पैसेंजर और सिस्टम दोनों बड़ी परेशानियों से बच सकते थे.

क्‍या एयरलाइंस का रोस्‍टर और डेली ऑपरेशन देखना डीजीसीए की जिम्‍मेदारी है?
इस सवाल के जवाब में मंत्रालय का कहना है कि डीजीसीए का काम सेफ्टी नॉर्म्स बनाना, उन पर निगरानी रखना और एयरलाइंस को नियमों के दायरे में रखना है. लेकिन क्रू मैनेजमेंट, पायलट रोस्टर, इंटरनल शेड्यूलिंग और ऑपरेशन मैनेजमेंट को संभालने की जिम्‍मेदारी एयरलाइंस को होती है. मंत्रालय का कहना है कि डीजीसीए किसी एयरलाइंस के इंटरनल सिस्टम को रोजाना मॉनिटर नहीं कर सकता है. अगर कोई एयरलाइन खुद अपने ऑपरेशन नहीं संभाल पा रही, तो उसका पूरा बोझ रेगुलेटर पर नहीं डाला जा सकता है.

जब नवंबर में सब ठीक था, फिर दिसंबर में अचानक ऑपरेशनल क्राइसिस क्‍यों आ गई?
मंत्रालय के अनुसार, नवंबर तक इंडिगो का संचालन सामान्य था. छोटे-मोटे कैंसिलेशन छोड़ दें तो किसी भी तरह के बड़े ऑपरेशनल क्राइसिस का कोई संकेत नहीं मिला था. एयरलाइन भी यह दावा कर रही थी कि उसके पास पर्याप्त क्रू मौजूद है और नए नियमों से उन्हें कोई विशेष परेशानी नहीं होगी. इसलिए जब दिसंबर की शुरुआत में अचानक हजारों फ्लाइटें कैंसल होने लगीं. कैंसलेशन की वजह क्रू की कमी बताई गई. इंडिगो का यह जवाब सभी को चौंकाने वाला लगा. मंत्रालय के अनुसार, अगर इंडिगो ने समय रहते सच्चाई बताई होती, तो कई समस्याओं को पहले ही कंट्रोल किया जा सकता था.

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Anoop Kumar MishraAssistant Editor

Anoop Kumar Mishra is associated with News18 Digital for the last 6 years and is working on the post of Assistant Editor. He writes on Health, aviation and Defence sector. He also covers development related to ...और पढ़ें

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December 13, 2025, 07:36 IST

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