कुपवाड़ा में शहादत: नायब सूबेदार जबीर अहमद, परिवार कैसे संभालेगा ये दर्द

4 hours ago

Last Updated:December 16, 2025, 19:25 IST

Jammu Kashmir News: कुपवाड़ा में LoC पर हुए विस्फोट में राजौरी के नायब सूबेदार जबीर अहमद शहीद हो गए. 22 साल तक सेना में सेवा देने वाले जबीर अहमद अपने पीछे पत्नी, तीन बच्चों और बुजुर्ग मां को छोड़ गए हैं. पूरे सैन्य सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी जाएगी.

 नायब सूबेदार जबीर अहमद, परिवार कैसे संभालेगा ये दर्दराजौरी के नायब सूबेदार ज़बीर अहमद कुपवाड़ा LoC पर विस्फोट में शहीद. (फोटो PTI)

Jammu Kashmir News: देश ने एक बार फिर अपना एक जांबाज़ सपूत खो दिया है. जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में नियंत्रण रेखा (LoC) पर हुए विस्फोट में भारतीय सेना के नायब सूबेदार जबीर अहमद शहीद हो गए. राजौरी जिले के रहने वाले जबीर अहमद ने देश की रक्षा करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया. उनके शहीद होने की खबर ने न सिर्फ उनके परिवार, बल्कि पूरे इलाके को गहरे शोक में डुबो दिया है.

22 साल तक भारतीय सेना में निष्ठा, अनुशासन और साहस के साथ सेवा देने वाले नायब सूबेदार जबीर अहमद अपने पीछे पत्नी, तीन बच्चों और बुजुर्ग मां को छोड़ गए हैं. जिस घर में अब तक उनकी वर्दी पर गर्व था, वहां आज सन्नाटा और आंसू हैं. यह सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि पूरे देश की क्षति है.

कौन थे नायब सूबेदार जबीर अहमद?

नायब सूबेदार जबीर अहमद जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले के रत्तल, चौधरी नार गांव के निवासी थे. सेना में 22 सालों की सेवा के दौरान उन्होंने कई चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में ड्यूटी निभाई. अनुशासन, ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा उनकी पहचान थी. साथी जवान उन्हें एक भरोसेमंद और शांत स्वभाव वाले सैनिक के रूप में याद कर रहे हैं.

कैसे हुआ कुपवाड़ा में हादसा?

सूत्रों के अनुसार नायब सूबेदार जबीर अहमद कुपवाड़ा सेक्टर में संवेदनशील LoC क्षेत्र में तैनात थे. ड्यूटी के दौरान हुए एक विस्फोट में वे गंभीर रूप से घायल हो गए और वीरगति को प्राप्त हुए. यह इलाका पहले से ही संवेदनशील माना जाता है, जहां सेना के जवान हर पल चौकसी में रहते हैं.

परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़

शहीद जबीर अहमद अपने पीछे पत्नी, तीन छोटे बच्चों और बुजुर्ग मां को छोड़ गए हैं. परिवार के लिए यह आघात शब्दों से परे है. जिन बच्चों ने अपने पिता को वर्दी में सलाम करना सीखा था, उनके सिर से पिता का साया उठ गया. मां ने अपना बेटा खो दिया और पत्नी ने जीवनसाथी. गांव में हर आंख नम है. लोग शहीद के घर पहुंचकर परिवार को ढांढस बंधा रहे हैं. लेकिन यह दर्द ऐसा है जो समय के साथ भी पूरी तरह नहीं भर सकता.

राजौरी में शोक की लहर

शहीद होने की खबर मिलते ही राजौरी जिले और आसपास के इलाकों में शोक की लहर दौड़ गई. स्थानीय लोग, रिश्तेदार और शुभचिंतक बड़ी संख्या में शहीद के घर पहुंच रहे हैं. हर कोई जबीर अहमद को एक सच्चे देशभक्त और जमीन से जुड़े इंसान के रूप में याद कर रहा है.

क्यों खास है LoC पर तैनाती?

नियंत्रण रेखा पर तैनात सैनिक हर दिन जान जोखिम में डालकर देश की सीमाओं की रक्षा करते हैं. यहां मौसम, भूगोल और हालात तीनों बेहद चुनौतीपूर्ण होते हैं. ऐसे में हर जवान का योगदान असाधारण होता है. नायब सूबेदार जबीर अहमद का बलिदान LoC पर तैनात हर सैनिक की कठिन जिम्मेदारी को दर्शाता है.

अंतिम विदाई की तैयारी

सूत्रों के अनुसार सभी कानूनी और प्रशासनिक औपचारिकताओं के बाद शहीद का पार्थिव शरीर कल उनके पैतृक गांव लाया जाएगा. पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा. गांव और आसपास के लोग अपने इस वीर सपूत को नम आंखों से अंतिम विदाई देंगे.

About the Author

Sumit Kumar

सुमित कुमार News18 हिंदी में सीनियर सब एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. वे पिछले 3 साल से यहां सेंट्रल डेस्क टीम से जुड़े हुए हैं. उनके पास जर्नलिज्म में मास्टर डिग्री है. News18 हिंदी में काम करने से पहले, उन्ह...और पढ़ें

First Published :

December 16, 2025, 19:21 IST

homenation

कुपवाड़ा में शहादत: नायब सूबेदार जबीर अहमद, परिवार कैसे संभालेगा ये दर्द

Read Full Article at Source