Sunjay Kapur Will: दिवंगत उद्योगपति और सोना कॉमस्टार के पूर्व चेयरमैन संजय कपूर की संपत्ति को लेकर एक उत्तराधिकार विवाद सामने आया है. उनकी मां रानी, पूर्व पत्नी एक्ट्रेस करिश्मा कपूर और उनके दो बच्चे, वर्तमान पत्नी प्रिया सचदेव कपूर संपत्ति के उत्तराधिकार को लेकर कानूनी लड़ाई में उलझे हुए हैं. संजय कपूर की संपत्ति की कीमत लगभग 30,000 करोड़ रुपये है. जून में लंदन में पोलो खेलते समय 53 वर्ष की आयु में दिल का दौरा पड़ने से संजय कपूर की मृत्यु हो गई, जिससे उनकी कंपनी में उथल-पुथल मच गयी.
इस संपत्ति विवाद में ताजा मामला ये है कि करिश्मा कपूर से संजय कपूर की दूसरी शादी से हुए उनके बच्चों समायरा कपूर और कियान कपूर ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर संपत्ति में हिस्सा मांगा है. समायरा और कियान ने संजय की वर्तमान पत्नी प्रिया कपूर और उनके बेटे, रानी कपूर (संजय की मां) और वसीयत की एक्जीक्यूटर श्रद्धा सूरी मारवाह के खिलाफ 8 सितंबर को मुकदमा दायर किया है. उन्होंने संजय कपूर की संपत्ति के संबंध में किसी भी तीसरे पक्ष के अधिकारों के ट्रांसफर, डिस्पोजल या क्रिएशन पर स्टे मांगा है. उन्होंने सभी चल और अचल संपत्तियों में से प्रत्येक में 1/5 हिस्सा भी मांगा है. बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट में करिश्मा के बच्चों द्वारा उठाए गए मुद्दों में से एक यह था कि संजय कपूर की वसीयत रजिस्टर्ड या पंजीकृत नहीं थी और इसलिए इसकी वैधता पर सवाल उठते हैं. क्या वसीयत का पंजीकरण अनिवार्य है? यह कैसे होता है? अगर नहीं हुआ तो क्या होगा? इसे कब पंजीकृत करवाना चाहिए? ये सारी जानकारी विस्तार से जानिए.
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उत्तराधिकार सुनवाई में क्या हुआ?
करिश्मा कपूर के बच्चों ने अपने दिवंगत पिता की संपत्ति में हिस्सेदारी की मांग करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. याचिका में मुख्य रूप से प्रिया कपूर के दावे को चुनौती दी गई है, जो संज कपूर की तीसरी पत्नी थीं. जिनसे उन्होंने करिश्मा कपूर से तलाक के बाद शादी की थी. भाई-बहन समायरा कपूर और कियान राज कपूर ने आरोप लगाया है कि उनके पिता की मृत्यु के बाद उन्हें जो वसीयत बतायी गयी थी वह ‘जाली और मनगढ़ंत’ थी. सीनियर एडवोकेट महेश जेठमलानी ने परिस्थितियों को संदिग्ध बताते हुए कहा कि ताज होटल में वसीयतनामा जल्दबाजी में पढ़ा गया और एक्जीक्यूटर श्रद्धा सूरी को खुद इसकी जानकारी एक दिन पहले ही हुई. जेठमलानी ने कंपनी के एक कर्मचारी दिनेश अग्रवाल जिसने कथित तौर पर परिवार को वसीयत का खुलासा किया था की संलिप्तता पर भी सवाल उठाया और इस कृत्य को ‘तर्क से परे’ बताया.
तलाक के क्या मिला था करिश्मा और बच्चों को
संजय कपूर और करिश्मा कपूर की शादी सितंबर 2003 में हुई थी और जून 2016 में तलाक से पहले उनके दो बच्चे थे. इस साल की शुरुआत में एएनआई ने बताया था कि तलाक के दौरान संजय कपूर ने अपने दोनों बच्चों के लिए 14 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे थे. उन्होंने अपने पिता के एक घर का स्वामित्व भी करिश्मा को दे दिया था. बाद में संजय कपूर ने अप्रैल 2017 में प्रिया कपूर से शादी की और उनका एक बच्चा है. वसीयत की एक्जीक्यूटर श्रद्धा सूरी ने करिश्मा को सूचित किया है कि न तो वह और न ही उनके बच्चे लाभार्थी हैं. हालांकि उन्हें श्रद्धा सूरी के कार्यालय में वसीयत का निरीक्षण करने का विकल्प दिया गया है. रानी कपूर की ओर से पेश हुए वैभव गग्गर ने अदालत को बताया कि परिवार के उत्तराधिकार विवाद में कुछ गड़बड़ चल रहा है. सुनवाई के दौरान अदालत ने निर्देश दिया कि सभी संबंधित पक्षों के लिखित बयान दो सप्ताह के भीतर दाखिल किए जाने चाहिए. उसके बाद एक सप्ताह के भीतर कोई भी प्रतिउत्तर या जवाब दाखिल किया जाना चाहिए.
किस कानून से नियंत्रित होता है वसीयत पंजीकरण
भारत में, वसीयत पंजीकरण, पंजीकरण अधिनियम, 1908 द्वारा शासित होता है. लेकिन यह अनिवार्य नहीं है, क्योंकि अधिनियम की धारा 18(ई) वसीयत को ऐसे दस्तावेजों में वर्गीकृत करती है जिनका पंजीकरण वैकल्पिक है. पंजीकरण, वसीयतकर्ता के निवास क्षेत्र के सब-रजिस्ट्रार द्वारा मामूली शुल्क पर किया जाता है.
कैसे बना सकते हैं वसीयत?
वसीयत सादे कागज पर बनायी जा सकती है. यह हस्तलिखित या टाइप की हुई भी हो सकती है, बशर्ते वसीयत बनाने वाला व्यक्ति (जिसे वसीयतकर्ता भी कहा जाता है) मानसिक रूप से स्वस्थ हो और उसकी आयु कम से कम 18 वर्ष हो. दस्तावेज को कानूनी रूप से वैध बनाने के लिए वसीयतकर्ता को कम से कम दो गवाहों की उपस्थिति में उस पर हस्ताक्षर करने होंगे. गवाहों को भी वसीयत पर हस्ताक्षर करना आवश्यक है.
वसीयत कब और कैसे रजिस्टर की जा सकती है?
आपके जीवनकाल में कभी भी रजिस्टर की जा सकती है. अधिनियम की धारा 40 के तहत आपका एक्जीक्यूटर या वसीयत के तहत दावा करने वाला कोई भी व्यक्ति जैसे कि लाभार्थी, स्थानीय सब-रजिस्ट्रार में पंजीकरण के लिए वसीयत प्रस्तुत कर सकता है.
इसे निम्नलिखित मामलों में प्राथमिकता के आधार पर किया जाना चाहिए:
जटिल पारिवारिक संरचना, एकाधिक लाभार्थी, या यदि आपको अपनी परिसंपत्तियों पर संभावित विवाद की आशंका है.
यदि आपके पास अचल संपत्तियां हैं जैसे कि फ्लैट, वाणिज्यिक संपत्ति या आवासीय संपत्ति तो अपनी वसीयत को पंजीकृत कराने से मदद मिल सकती है. क्योंकि ऐसी संपत्तियों के ट्रांसफर के समय स्थानीय प्राधिकारी पंजीकृत वसीयत पर अधिक भरोसा करते हैं.
क्या वसीयत का रजिस्टर कराना अनिवार्य है?
आम धारणा के विपरीत वसीयत को कानूनी रूप से वैध बनाने के लिए भारतीय कानून (पंजीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 18 (ई)) के तहत उसका पंजीकरण अनिवार्य नहीं है.
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वसीयत का रजिस्ट्रेशन किस प्रकार मददगार?
पंजीकृत वसीयत की आधिकारिक प्रति सरकारी प्राधिकारी द्वारा रखी जाती है. जो इसे खोने, चोरी होने, नष्ट होने या छेड़छाड़ से बचाती है. यह पुष्टि करता है कि दस्तावेज प्रामाणिक है, क्योंकि इसके लिए आपको पहचान सत्यापन के लिए सरकारी अधिकारी के समक्ष उपस्थित होना आवश्यक है. आधिकारिक रिकॉर्ड से यह दावा करने की संभावना कम हो जाती है कि आपके हस्ताक्षर जाली हैं या वसीयत बनाते समय आप दबाव या अनुचित प्रभाव में थे.
क्या रजिस्टर वसीयत को चुनौती दी जा सकती है?
हां, लेकिन अदालत में इसे एक मजबूत और ठोस सबूत माना जाता है. अगर आप अपनी वसीयत को रजिस्टर करा लेते हैं, तो आपकी मृत्यु के बाद आपकी संपत्ति उसी व्यक्ति को मिलेगी, जिसे आप देना चाहते थे.
वसीयत को चुनौती दी जाती है तो क्या होता है?
प्रोबेट प्रक्रिया रोक दी जाती है और अदालत चुनौती देने वाले से धोखाधड़ी, अनुचित प्रभाव, मानसिक क्षमता की कमी या अनुचित निष्पादन के आधार पर इसकी अमान्यता साबित करने के लिए कहती है. यदि चुनौती सफल होती है तो वसीयत को अमान्य घोषित कर दिया जाता है. संपत्ति का वितरण किसी पूर्व वैध वसीयत या पृथक विचार न करने योग्य नियमों के तहत किया जाता है. यदि चुनौती देने वाला असफल हो जाता है तो वसीयत मान्य रहती है और बंटवारे की प्रक्रिया आगे बढ़ती है. पंजीकृत वसीयत को कोर्ट में एक मजबूत सबूत के तौर पर देखा जाता है, जिससे आपकी इच्छाओं का सम्मान होता है.
जानिए सोना कॉमस्टार के बारे में
संजय कपूर सोना कॉमस्टार नामक एक प्रमुख ऑटोमोटिव कंपोनेंट कंपनी के चेयरमैन थे. इसका वैश्विक संचालन भारत, चीन, मेक्सिको, सर्बिया और अमेरिका में भी है. फोर्ब्स द्वारा 2024 में उनकी कुल संपत्ति 1.2 अरब डॉलर (10,300 करोड़ रुपये) आंकी गई थी, जिसका उच्चतम मूल्यांकन 1.6 अरब डॉलर (13,000 करोड़ रुपये) था. सोना कॉमस्टार की स्थापना उनके पिता सुरिंदर कपूर ने 1997 में की थी. 2015 में सुरिंदर की मृत्यु के बाद संजय कपूर ने इसकी बागडोर संभाली थी.
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