Last Updated:September 11, 2025, 13:51 IST
Bihar Mahagathbandhan News:बिहार में राहुल गांधी के 'वोटर अधिकार यात्रा' के बाद कन्हैया कुमार और पप्पू यादव को महत्व मिलना शुरू हो गया है. क्या यह आरजेडी और तेजस्वी यादव को चुनौती है? क्या महागठबंधन में तेजस्वी...और पढ़ें

पटना. दिल्ली में दो दिन पहले ही राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ कन्हैया कुमार और पप्पू यादव की एक तस्वीर सामने आई थी. इस तस्वीर ने बिहार चुनाव से पहले महागठबंधन की काफी कहानी खुद बयां कर दी थी. अब इस तस्वीर का असर भी दिखने लगा है. बिहार कांग्रेस के दिग्गजों के साथ कन्हैया और पप्पू की इस तस्वीर को देखकर तेजस्वी यादव की नींद उड़ गई है. दरअसल, महागटबंधन में सीट शेयरिंग के मुद्दे पर राहुल गांधी ने इन दोनों नेताओं को अहमियत देकर बड़ा मैसेज दिया है. कन्हैया की राहुल के साथ नजदीकी किसी से छुपी नहीं है. लेकिन कन्हैया राहुल के जितना नजदीक हैं, उतना ही तेजस्वी यादव से दूर हैं. यही हाल पप्पू यादव का भी है. हालांकि पप्पू ने पिछले दिनों वोटर अधिकार यात्रा के दौरान तेजस्वी यादव को जननायक बोलकर इस दूरी को कम करने का प्रयास किया था. लेकिन लगता है कि पप्पू और तेजस्वी का मन मिला, लेकिन दिल अभी भी नहीं मिल सका. क्या महागठबंधन में सीट शेयरिंग के फॉर्मूले पर कन्हैया और पप्पू मिलकर तेजस्वी यादव का खेल बिगाड़ेंगे?
बिहार की सियासत में इन दिनों सबसे बड़ी चर्चा महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर हो रही है. जहां एक तरफ राजद अपने हिस्से में ज्यादा से ज्यादा सीटें लेने के लिए आतुर है, वहीं कांग्रेस भी ज्यादा से ज्यादा सीटें मांग रही है. ऐसे में राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा तेज है कि जिस तेजस्वी यादव ने पटना में कन्हैया कुमार और पप्पू यादव को राहुल गांधी के साथ मंच पर जगह नहीं दी थी, उन्हीं की राय अब दिल्ली में सीटों के बंटवारे पर अहम हो रही है. क्या यह महज एक संयोग है या फिर कांग्रेस की सोची-समझी रणनीति जिसके तहत वह तेजस्वी को किनारे कर खुद को मजबूत करना चाहती है?
क्या राहुल गांधी बिहार में अब कन्हैया कुमार को आगे करेंगे?
कैसे बुलंद हुआ कन्हैया और पप्पू का सितारा?
‘वोटर अधिकार यात्रा’ ने बिहार में कांग्रेस के प्रति लोगों के बीच एक नई चेतना जगाई है. कन्हैया कुमार की ओजस्वी भाषण शैली और पप्पू यादव का जमीन से जुड़ाव इस यात्रा को सफल बनाने में महत्वपूर्ण साबित हुआ है. इस यात्रा के बाद कांग्रेस को यह महसूस हुआ है कि कन्हैया और पप्पू के पास जनता को अपने पाले में लाने की क्षमता है. कन्हैया कुमार राहुल गांधी के बेहद करीबी माने जाते हैं. वह कांग्रेस की नई पीढ़ी के ऐसे नेता हैं, जो भाजपा को सीधे तौर पर वैचारिक चुनौती दे सकते हैं. राहुल गांधी के लिए कन्हैया एक ऐसे नेता हैं जो सिर्फ जाति की बात नहीं, बल्कि मुद्दों की बात करते हैं.
पप्पू यादव का जनाधार
पप्पू यादव भले ही पूर्णिया से निर्दलीय सांसद हों, लेकिन कोसी क्षेत्र में उनका अपना मजबूत जनाधार है. कांग्रेस को यह समझ आ गया है कि बिहार में अगर उसे अपनी खोई हुई जमीन वापस पानी है तो उसे ऐसे नेताओं का साथ लेना होगा जिनका जनता के बीच प्रभाव है. ऐसे में अभी तक या 2020 के विधानसभा चुनाव या 2024 के लोकसभा चुनाव में आरजेडी ही सीटों के बंटवारे पर अपनी बात मनवाता रहा है. लेकिन कन्हैया और पप्पू की एंट्री के बाद कांग्रेस ज्यादा सीटों की मांग कर रही है. अगर तेजस्वी कांग्रेस की मांग को ठुकराते हैं तो महागठबंधन में फूट पड़ सकती है, जिसका सीधा फायदा एनडीए को मिलेगा.
महागठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर तकरार जारी है.
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कन्हैया और पप्पू का कद बढ़ना सीधे तौर पर तेजस्वी के नेतृत्व पर सवाल उठाता है. यह दिखाता है कि कांग्रेस तेजस्वी के नेतृत्व को उतना मजबूत नहीं मानती है जितना वह दावा करते हैं. यह स्थिति तेजस्वी को न केवल राजनीतिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी कमजोर कर सकती है. हालांकि, अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि तेजस्वी यादव हाशिये पर चले गए हैं, लेकिन यह जरूर कहा जा सकता है कि उनका ‘एकछत्र राज’ खतरे में है. अब उन्हें न केवल अपने विरोधियों से लड़ना है, बल्कि अपने ही गठबंधन के भीतर उभरे नए शक्ति केंद्र से भी मुकाबला करना है.
रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...
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First Published :
September 11, 2025, 13:51 IST