अमेरिकी लड़ाकू विमानों का काल बना हुती विद्रोहियों का ये हथियार, कहीं पलट न जाए बाजी

3 hours ago

अमेरिका ने सऊदी अरब समेत कई मित्र देशों के साथ मिलकर हुती विद्रोहियों के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. विद्रोहियों को भारी नुकसान झेलना पड़ा है. लेकिन हुती विद्रोहियों के हाथ अब ऐसा हथियार लग गया है, जो अमेरिका के लड़ाकू विमानों एफ 16 औऱ एफ 35 के लिए खतरे की घंटी बन गया है. 

हुती लड़ाकों के पास ऐसी इन्फ्रारेड सेंसर वाली मिसाइलें हैं, जो अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों को मार गिरा सकती हैं. साथ ही ये रडार और अन्य निगरानी सिस्टम के भी आसानी से पकड़ में नहीं आतीं. ईरान समर्थित हुती लड़ाकों के ऐसे हथियार से अमेरिकी वायुसेना भी टेंशन में आ गई है. 

वैसे तो यमन के हुती लड़ाकू हथियारों, टैंकों जैसे पारंपरिक हथियारों से ही अपनी जमीन बचाने में जुटे हैं, लेकिन ये मिसाइलों का जखीरा टेंशन बढ़ाने वाला है. द वॉर जोन की रिपोर्ट के अनुसार, विद्रोहियों के पास आर-27 और आर-73 जैसी घातक इन्फ्रारेड गाइडेड मिसाइलों का जखीरा है. इन्हें हुती विद्रोहियों ने थकीब 1 और थकीब 2 नाम दिया  है. 

ये मिसाइलें बिना पकड़ में आए सतह से हवा में टारगेट को निशाना बना सकती हैं.लड़ाकों के पास सतह से हवा में लक्ष्य को साधने वाली सक्र मिसाइलें भी हैं, जिनमें घूमने और कलाबाजी के साथ लक्ष्य भेदने की ताकत होती है.

सक्र मिसाइलें काफीा ऊंचाई पर उड़ रहे फाइटर जेट को को निशाना बना सकती हैं. थकीब-1 और थकीब-2 की मारक क्षमता अमेरिका खुद जानता है. हुती विद्रोहियों ने पश्चिमी देशों के हथियारबंद ड्रोन के गिराए जाने के फुटेज जारी किए हैं,. इन्हें सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों से मार गिराया गया. इन्फ्रारेड सेंसर और रडार गाइडेड मिसाइलों के ऐसे पराक्रम से अमेरिका हैरान है. 

इन्फ्रारेड सेंसर से कैसे घातक हो रहे हूती
विशेषज्ञों का कहना है कि एक्टिव रडार सिस्टम से अलग इन्फ्रारेड सेंसर वाले हथियारों का पता लगाना मुश्किल होता है. लड़ाकू विमानों के पायलट यह भांप भी नहीं पाते कि कोई खतरा उनकी ओर बढ़ रहा है. रडार की आंखों से ओझल स्टील्थ फाइटर जेट भी इसकी पकड़ से दूर नहीं है. इन्फ्रारेड सेंसर मिसाइल सिस्टम के कारण इनका रेडिएशन भी पता नहीं चलता और विमान को जब तक पता चलता है कि कोई मिसाइल उनकी ओर बढ़ रही है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है.

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