अगर किराएदार अनुंबध खत्म होने के बाद भी मकान खाली नहीं करे तो क्या विकल्प

10 hours ago

अगर 11 महीने का रेंट एग्रीमेंट खत्म हो चुका है. इसके बावजूद किराएदार मकान खाली नहीं कर रहा, तो मकान-मालिक के पास कौन से रास्ते हैं. कानूनी तौर पर वह क्या कर सकता है और कानून से अलग भी क्या कोई व्यावहारिक रास्ते हैं.

11 महीने का रेंट एग्रीमेंट खत्म होने के बाद भी तो किराएदार को कानूनी रूप से अनधिकृत कब्जेदार माना जा सकता है. ऐसे में मकान मालिक का पूरा अधिकार होता है कि वो उससे मकान खाली करा ले. हां, बिजली-पानी काटना, ताला लगाना, जबरन निकालना अवैध है. जानते हैं कि इसमें क्या कर सकते हैं.

सबसे पहला कानूनी कदम

किसी वकील के जरिए लीगल नोटिस भेजें. नोटिस में लिखें – एग्रीमेंट की अवधि खत्म हो चुकी है. 15–30 दिन में मकान खाली करने को कहा जाए. इसमें हर्जाने की मांग भी कर सकते हैं. कई मामलों में नोटिस से ही मामला सुलझ जाता है

अगर किराएदार टर्म खत्म होने के बाद भी किराया देता रहे

अगर आप कांट्रैक्ट खत्म होने के बाद किराया लेते रहे तो इसे कानून मंथ-टू-मंथ टेनेंसी मान सकता है. ऐसे में Transfer of Property Act, Section 106 लागू होगी. मकान खाली कराने के लिए 15 दिन का लिखित नोटिस जरूरी होगा.

अगर किराया नहीं ले रहे तो…

किराएदार का पक्ष कमजोर हो जाता है. कब्जा पूरी तरह अवैध माना जा सकता है. तब कोर्ट में जाना चाहिए. सिविल कोर्ट में बेदखली का केस कर सकते हैं. ऐसे मामलों में एक ही सुनवाई में कोर्ट फैसला सुना देता है, जो ज्यादातर मकानमालिक के हक में जाता है.

क्या पुलिस में शिकायत कर सकते हैं

सिर्फ मकान खाली नहीं करने पर पुलिस सीधे कुछ नहीं करती लेकिन अगर किराएदार धमकी दे. जबरन कब्जा कर ले. एग्रीमेंट फर्जी साबित हो तो IPC 441/447 (criminal trespass) के तहत शिकायत हो सकती है और पुलिस कार्रवाई कर सकती है.

एग्रीमेंट खत्म होने के बाद आनलाइन किराया आता रहे तो …

अगर एग्रीमेंट की अवधि खत्म होने के बाद भी किराएदार मकान खाली नहीं करे और आनलाइन किराया भेज दे तो क्या रास्ता है. एग्रीमेंट खत्म होने के बाद किराएदार का ऑनलाइन किराया भेज देना मालिक के लिए दोधारी तलवार बन सकता है. अगर आपने ऑनलाइन भेजा गया किराया स्वीकार कर लिया हो, भले ही एग्रीमेंट खत्म हो चुका हो तो तो कानून इसे मंथ टू मंथ टेनेंसी के तौर पर देखता है. ऐसी स्थिति में किराएदार को अचानक “अनधिकृत कब्जेदार” कहना मुश्किल हो जाता है.

– ऐसे में किराएदार का भेजा किराया स्वीकार नहीं करें, उसे रिफंड कर दें. व्हाट्सऐप / ई-मेल / लीगल नोटिस में लिखें, “किराया स्वीकार नहीं किया गया है क्योंकि एग्रीमेंट समाप्त हो चुका है”. इससे यह साफ हो जाता है कि आप टेनेंसी बढ़ाने के पक्ष में नहीं हैं. किराएदार का कब्जा अवैध माना जाएगा.

– अगर आनलाइन किराया आपने स्वीकार कर लिया, लौटाया नहीं तो कोर्ट मान सकता है कि आपने होल्डिंग ओवर स्वीकार कर लिया है. यानि नई मंथ-टू-मंथ टेनेंसी बन गई है.

हालांकि इसका मतलब यह नहीं कि आप अब कुछ नहीं कर सकते. तुरंत लीगल नोटिस दें. Transfer of Property Act, Section 106 के तहत, 15 दिन (रेजिडेंशियल) का नोटिस दें. इसमें लिखें, इसमें लिखें – “किराया स्वीकार करना मकान खाली करने के अधिकार को प्रभावित नहीं करेगा”. नोटिस अवधि के बाद खाली कराने का मुकदमा फाइल करें.

एक स्थिति और आती है, जिसमें किराया आपने स्वीकार किया, लेकिन लिखित आपत्ति पहले से भेज रखी थी. यह सबसे सुरक्षित स्थिति है, क्योंकि रिकॉर्ड में यह दिखता है कि आप किराएदार को अवैध मानते रहें. किराया केवल उसके मकान के इस्तेमाल के तौर पर लिया गया है.

क्या बिल्कुल नहीं करना चाहिए

– ऑनलाइन किराया चुपचाप लेते रहना
– कोई लिखित आपत्ति न भेजना
– महीनों तक इंतजार करना.

एग्रीमेंट खत्म होते ही लिखित रूप में कह दें, “मैं आगे किराया स्वीकार नहीं करूंगा”

रेंट एग्रीमेंट क्यों ज़रूरी है?

रेंट एग्रीमेंट ये तय करता है कि कौन मालिक है, कौन किराएदार है, किराया कितना है, कब से कब तक किरायेदारी है. बिना एग्रीमेंट के कोर्ट में मौखिक बातों की कोई वैल्यू नहीं. पुलिस या प्रशासन हस्तक्षेप नहीं करता. ये कब्ज़े की वैधता तय करता है. एग्रीमेंट के दौरान किराएदार का कब्ज़ा कानूनी होता है. अवधि खत्म होते ही वही कब्ज़ा अवैध हो सकता है.

एग्रीमेंट मालिक की सबसे बड़ी ढाल है. मकान खाली करने की शर्तें भी रेंट एग्रीमेंट में लिखा होता है कि कितने दिन पहले नोटिस देना होगा. किन हालात में मालिक मकान खाली करवा सकता है. किराएदार कब खुद छोड़ सकता है. कोर्ट सबसे पहले यही देखती है.

Read Full Article at Source