Nepal Gen-Z Protest Updates: नेपाल में 2 दिनों तक हुई जबरदस्त हिंसा के बाद अब हालात धीरे-धीरे सामान्य होते नजर आ रहे हैं. प्रदर्शनकारी युवाओं ने मंगलवार रात करीब 4 घंटे तक चली वर्चुअल मीटिंग के बाद सेना से शांति वार्ता के लिए अपना नेता चुन लिया है. हामी नेपाल के संस्थापक सुदन गुरुंग या काठमांडू के मेयर के बजाय Gen-Z युवाओं ने देश की पूर्व चीफ जस्टिस रहीं सुशीला कार्की पर भरोसा जताया है. अब आगे की सभी वार्ताओं में सुशीला कार्की युवा प्रदर्शनकारियों का प्रतिनिधित्व करेंगी.
सुशीला कार्की कौन हैं?
सुशीला कार्की नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश (चीफ जस्टिस) हैं, जिन्होंने नेपाल के सुप्रीम कोर्ट में 11 जुलाई 2016 से 6 जून 2017 तक अपनी सेवाएं दीं. उनका जन्म 7 जून 1952 को नेपाल के मोरंग जिले के बिराटनगर में हुआ था. वह अपने सात भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं. सुशीला कार्की ने अपनी कठिन मेहनत, निष्पक्षता और भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रवैये के लिए ख्याति प्राप्त की है.
कितनी पढ़ी-लिखी हैं कार्की?
सुशीला कार्की ने नेपाल में बिराटनगर के महेंद्र मोरंग कॉलेज से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से राजनीति शास्त्र में मास्टर्स डिग्री हासिल की. फिर काठमांडू के त्रिभुवन विश्वविद्यालय से उन्होंने लॉ डिग्री की. पढ़ाई के बाद 1979 में उन्होंने वकालत शुरू की और 2007 में उन्हें सीनियर एडवोकेट का दर्जा मिला.
नेपाल की पहली महिला चीफ जस्टिस
सुशीला कार्की 2009 में वे नेपाल सुप्रीम कोर्ट की अस्थाई जस्टिस नियुक्त की गईं. इसके अगले साल 2010 में उन्हें परमानेंट जज बनाया गया. वर्ष 2016 में तत्कालीन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की अध्यक्षता वाली संवैधानिक परिषद ने उन्हें सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला चीफ जस्टिस के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश की.
करप्शन के खिलाफ दिखाया कड़क रुख
सुप्रीम कोर्ट में बतौर चीफ जस्टिस, सुशीला कार्की का कार्यकाल भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदमों के लिए जाना गया. उन्होंने कई हाई-प्रोफाइल मामलों में निष्पक्ष और साहसिक फैसले दिए. जिनमें नेपाल ट्रस्ट के खिलाफ प्रेरणा राज्य लक्ष्मी राणा (पूर्व राजकुमारी की संपत्ति) का मामला, काठमांडू जिला अदालत में पॉलिमर बैंक नोट से संबंधित भ्रष्टाचार का मामला और काठमांडू-निजगढ़ द्रुतमार्ग से जुड़े मामले शामिल रहे.
'भ्रष्टाचार के लिए शून्य सहिष्णुता होनी चाहिए'
सुशीला कार्की का मानना था कि जुडिशरी में भ्रष्टाचार के लिए शून्य सहिष्णुता होनी चाहिए, जिसके कारण उन्हें जनता से व्यापक समर्थन मिला, हालांकि इस रवैये की वजह से उन्हें कुछ विवादों का भी सामना करना पड़ा. वर्ष 2017 में माओवादी सेंटर और नेपाली कांग्रेस ने सुशीला कार्की पर पूर्वाग्रह और कार्यपालिका में हस्तक्षेप का आरोप लगाते हुए संसद में महाभियोग प्रस्ताव पेश किया. इस प्रस्ताव ने नेपाल में खासा हंगामा मचाया. हालांकि, जनता के व्यापक समर्थन और सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश के बाद यह प्रस्ताव वापस ले लिया गया.