Last Updated:December 16, 2025, 16:26 IST
SIR Hearing Live: SIR को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण ने इसे 'बहुत गंभीर मुद्दा' बताया. बिहार में कथित रूप से सेंट्रलाइज्ड नोटिस भेजे जाने के आरोपों पर CJI ने अखबार की खबरों पर भरोसा करने से इनकार किया. चुनाव आयोग से हलफनामा दाखिल करने को कहा गया है.
SIR मामले पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में प्रशांत भूषण के गंभीर आरोप, CJI की सख्त टिप्पणी और चुनाव आयोग का जवाब.नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR) को लेकर सोमवार को सुनवाई शुरू होते ही माहौल गर्म हो गया. बिहार से शुरू होकर कई राज्यों में लागू किए जा रहे SIR के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने अदालत के सामने इसे ‘बहुत गंभीर मुद्दा’ बताया. उनका दावा था कि बिहार में वोटर को भेजे गए नोटिस केंद्रीय स्तर से जारी हुए हैं, जो पूरी प्रक्रिया पर सवाल खड़े करते हैं.
प्रशांत भूषण की इस दलील पर मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत ने कड़ा रुख अपनाया और साफ कहा कि अदालत केवल अखबारों में छपी खबरों के आधार पर किसी संवैधानिक प्रक्रिया को नहीं परख सकती. इसी बहस के दौरान चुनाव आयोग, केंद्र और विभिन्न राज्यों की ओर से पेश वकीलों के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली, जिसने SIR को लेकर जारी विवाद को और गहरा कर दिया.
प्रशांत भूषण ने क्या आरोप लगाए?
सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण ने कहा कि एक जिम्मेदार राजनीतिक नेता ने उन्हें बताया कि बिहार में सेंट्रलाइज्ड नोटिस जारी किए गए हैं. इन पर ERO (Electoral Registration Officer) के डिजिटल सिग्नेचर हैं. प्रशांत भूषण के मुताबिक यह दर्शाता है कि प्रक्रिया कहीं और से संचालित हो रही है. भूषण ने अदालत से आग्रह किया कि चुनाव आयोग से इस पर स्पष्टीकरण मांगा जाए. उनका कहना था कि अगर लाखों नोटिस एक केंद्रीय जगह से जारी हुए हैं, तो यह गंभीर संवैधानिक सवाल खड़े करता है.
सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया
चीफ जस्टिस ने स्पष्ट किया कि अदालत अखबार की रिपोर्टों के आधार पर आयोग से जवाब नहीं मांग सकती. CJI ने कहा कि पत्रकारों के भी अपने स्रोत होते हैं और खबरें कभी पूरी तरह सही तो कभी आंशिक रूप से गलत भी हो सकती हैं. चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि बिना वेरीफिकेशन अखबार की खबरों को अदालत में रखना गलत है. आयोग ने भूषण से हलफनामा दाखिल करने को कहा, ताकि तथ्यों की जांच के बाद जवाब दिया जा सके.
CJI ने चुनाव आयोग से कहा कि वह अगली सुनवाई में केवल ओवरव्यू के तौर पर अपना पक्ष रखे.
“Its very serious issue” क्यों कहा गया?
प्रशांत भूषण ने दोबारा जोर देते हुए कहा कि मामला इसलिए गंभीर है क्योंकि अगर नोटिस केंद्रीय स्तर से भेजे जा रहे हैं, तो यह संकेत देता है कि केंद्रीय ERO स्तर पर कुछ असामान्य हो रहा है. उनके मुताबिक इससे मतदाता सूची की निष्पक्षता और पारदर्शिता प्रभावित हो सकती है. हालांकि CJI ने दो टूक कहा कि अदालत मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर जांच शुरू नहीं कर सकती.
SIR क्या है और क्यों है विवाद में?
SIR यानी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके तहत वोटर लिस्ट का विशेष पुनरीक्षण किया जाता है. इसका मकसद अपात्र नामों को हटाना और पात्र मतदाताओं को सूची में शामिल करना बताया जाता है. लेकिन याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि यह प्रक्रिया कई राज्यों में चुनिंदा समुदायों को प्रभावित कर रही है. बिहार से जुड़े मामलों में यह दावा किया गया कि बड़ी संख्या में नोटिस एक सेंट्रलाइज सिस्टमसे भेजे गए. जिससे स्थानीय स्तर पर सत्यापन की भूमिका कमजोर पड़ जाती है.
तमिलनाडु और असम से जुड़े तर्क
सीनियर एडवोकेट आदित्य सोंधी ने तमिलनाडु का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां कई जिलों में आदिवासी और प्रवासी समुदाय रहते हैं, जो काम के सिलसिले में राज्य से बाहर जाते हैं और वापस लौटते हैं. ऐसे में SIR की मौजूदा प्रक्रिया इन समुदायों को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित कर सकती है. सोंधी ने दलील दी कि अगर कोई प्रक्रिया दिखने में तटस्थ है, लेकिन उसका असर कमजोर वर्गों पर पड़ता है, तो वह अनुच्छेद 14 का उल्लंघन हो सकती है.
SIR को लेकर उठे प्रमुख सवाल
क्या नोटिस सच में केंद्रीय स्तर से जारी हुए? क्या स्थानीय स्तर पर सत्यापन की भूमिका कमजोर हुई? क्या प्रवासी और आदिवासी समुदायों के नाम हटने का खतरा है? क्या प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 14 के अनुरूप है?About the Author
सुमित कुमार News18 हिंदी में सीनियर सब एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. वे पिछले 3 साल से यहां सेंट्रल डेस्क टीम से जुड़े हुए हैं. उनके पास जर्नलिज्म में मास्टर डिग्री है. News18 हिंदी में काम करने से पहले, उन्ह...और पढ़ें
First Published :
December 16, 2025, 16:26 IST

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