Last Updated:December 05, 2025, 06:22 IST
Air Defence System: भारत अपने एयर डिफेंस सिस्टम को मजबूत करने में जुटा है, ताकि किसी भी तरह के एरियल थ्रेट को न्यूट्रलाइज किया जा सके. मॉडर्न वॉरफेयर में जमीनी लड़ाई के दिन तकरीबन लद चुके हैं. अब एयर और नेवल वॉरफेयर का जमाना आ चुका है. ऐसे में हर देश ड्रोन और मिसाइल का एडवांस वर्जन हासिल करने में जुटा है. लिहाजा, जिस देश का एयर डिफेंस सिस्टम जितना ज्यादा स्ट्रॉन्ग होगा, कॉनफ्लिक्ट टाइम में उसका पलड़ा उतना ज्यादा भारी होगा. फ्यूचर वॉर के संभावित स्वरूप को देखते हुए अमेरिका ने 175 अरब डॉलर की लागत से गोल्डन डोम डेवलप कर रहा है.
Air Defence System: भारत मित्र देश रूस से ज्यादा एडवांस्ड एयर डिफेंस सिस्टम S-500 खरीदने पर विचार कर रहा है. (फाइल फोटो)Air Defence System: आज के दिन दुनिया का हर देश अपने हवाई क्षेत्र को सुरक्षित करने की जुगत में लगा है. एरियल थ्रेट को न्यूट्रलाइज करने या हवाई हमले को निष्क्रिय करने के लिए एयर डिफेंस सिस्टम का होना जरूरी है, ताकि किसी भी तरह के खतरे से निपटा जा सके. भारत भी इससे अछूता नहीं है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान देसी के साथ ही S-400 एयर डिफेंस सिस्टम ने दुश्मन के हर हमले को नाकाम बना दिया था. एस-400 की काबिलियत को देखते हुए भारत ने इसका अतिरिक्त स्क्वाड्रन खरीदने का फैसला किया है. भारत के एक तरफ चीन तो दूसरी तरफ पाकिस्तान जैसे देशों की सीमा लगती है, ऐसे में नई दिल्ली एक साथ दो मोर्चों पर युद्ध जैसी स्थिति से निपटने की तैयारी में जुटा है. इसे देखते हुए एस-400 से भी ताकतवर एयर डिफेंस सिस्टम खरीदने की प्लानिंग कर रहा है. भारत मित्र देश रूस से S-500 वायु सुरक्षा प्रणाली खरीदने पर विचार कर रहा है. हालांकि, इस बाबत अभी तक मॉस्को के साथ कोई डील नहीं हुई है. बता दें कि S-500 एस-400 का अपडेटेड वर्जन है जो नए और ज्यादा एडवांस खतरों से निपटने में सक्षम है. स्पेस वॉर में भी इसके उपयोगी होने की बात कही जाती है. S-500 THAAD और आयरन डोम जैसे एयर डिफेंस शील्ड से भी कहीं ज्यादा ताकतवर और एडवांस है.
रूस के सुपर-एडवांस्ड एयर डिफेंस सिस्टम S-500 ट्रायम्फेटर-एम (Prometheus) को खरीदने में भारत की दिलचस्पी तेजी से बढ़ी है, लेकिन दिसंबर 2025 तक इसकी खरीद पर न तो कोई औपचारिक फैसला हुआ है और न ही कोई अंतिम समझौता. मई 2025 में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारतीय वायुसेना के S-400 एयर डिफेंस सिस्टम ने पाकिस्तान और पीओके की ओर से आए खतरों को प्रभावी ढंग से निष्क्रिय किया था. उस ऑपरेशन ने यह साफ कर दिया कि भविष्य के ‘मल्टी-डोमेन’ युद्ध में लंबी दूरी के एयर डिफेंस सिस्टम भारत की सुरक्षा रणनीति की रीढ़ होंगे. S-400 की सफलता के बाद भारत ने अतिरिक्त S-400 स्क्वाड्रन खरीदने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं. इसके साथ ही नजर अब उसके उत्तराधिकारी माने जा रहे S-500 की ओर है, जिसे रूस दुनिया की सबसे उन्नत मिसाइल-रोधी प्रणाली बताता है. क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कॉव ने हाल ही में संकेत दिया कि पुतिन की यात्रा के दौरान S-400 विस्तार और संबंधित रक्षा समझौतों पर विस्तृत वार्ता होगी, जिससे चर्चाओं के गंभीर होने का अनुमान लगाया जा रहा है.
इन 5 वजहों से खास है S-500
हाइपरसोनिक मिसाइलों को रोकने की क्षमता नियर-स्पेस (100–200 किमी ऊंचाई तक) में बैलिस्टिक लक्ष्यों को इंटरसेप्ट करना एक साथ 10 टारगेट्स को मार गिराने की क्षमता 77N6 हिट-टू-किल इंटरसेप्टर्स का इस्तेमाल स्पेस-बेस्ड थ्रेट्स, सैटेलाइट्स और मल्टी-वेक्टर अटैक्स के खिलाफ मजबूत सुरक्षाभारत S-400 एयर डिफेंस सिस्टम के स्क्वाड्रन को बढ़ाने की प्लानिंग कर रहा है. (फोटो: रॉयटर्स)
S-500 की अनुमानित कीमत कितनी है?
S-500 एयर डिफेंस सिस्टम को अभी तक ओपन मार्केट में नहीं उतारा गया है, लेकिन एक अनुमान के मुताबिक, S-500 के एक यूनिट की कीमत तकरीबन 2.5 बिलियन डॉलर यानी ₹22459 करोड़ तक हो सकती है. S-500 को दुनिया की पहली ऐसी एयर-डिफेंस प्रणाली माना जाता है जो एंटी-स्पेस और एंटी-हाइपरसोनिक क्षमताओं को एक साथ जोड़ती है. अगर भारत इसे हासिल करता है तो वह इस सिस्टम का पहला विदेशी खरीदार बन सकता है, जो नई दिल्ली और मॉस्को के बीच भरोसे और रणनीतिक साझेदारी को एक नए स्तर पर ले जाएगा. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और रूस के रक्षा मंत्री आंद्रेई बेलोउसोव के बीच होने वाली बैठक में S-500 मुख्य मुद्दा होगा. साथ ही Su-57 फाइटर जेट जैसे अन्य प्रोजेक्ट भी एजेंडे में शामिल रहने की उम्मीद है.
डिफेंस डील अभी दूर की कौड़ी क्यों?
भारतीय रुचि बढ़ने के बावजूद S-500 को खरीदने की राह कई कारणों से आसान नहीं है और इसपर किसी भी तरह की डील फिलहाल दूर की कौड़ी ही लग रही है. S-500 रूस की न्यूक्लियर कमांड और स्ट्रेटेजिक डिफेंस स्ट्रक्चर से जुड़ा अत्यंत संवेदनशील सिस्टम है. इसे निर्यात के लिए खोलने में रूस बेहद सावधानी बरत रहा है. संभव है कि भारत को इसके लिए कई वर्षों तक इंतजार करना पड़े. इसके अलावा डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने रूस से हथियार खरीदने वाले देशों पर लगातार प्रतिबंध लगाए हैं. S-400 की खरीद पर भारत को CAATSA छूट मिली थी, लेकिन अब नई डील पर वही छूट मिल पाएगी या नहीं अभी यह स्पष्ट नहीं है. नई दिल्ली को इस खरीद के साथ मॉस्को और वाशिंगटन दोनों के साथ संतुलन बैठाना होगा. दूसरी तरफ, भारत स्वयं भी लंबी दूरी की एयर-डिफेंस प्रणाली विकसित कर रहा है. DRDO का प्रोजेक्ट कुश आने वाले वर्षों में S-400 और S-500 जैसी क्षमताओं को घरेलू रूप से उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखता है. इसलिए भारत जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेना चाहता है.
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बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
December 05, 2025, 06:22 IST

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