Last Updated:April 18, 2025, 13:48 IST
Waqf law in Supreme Court: वक्फ कानून 2025 पर सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल रोक लगाने से इनकार किया है. एक तरह से सरकार को राहत मिली है. यह सब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की चतुराई और दलीलों का नतीजा है.

वक्फ कानून पर जो राहत मिली है, उसकी वजह तुषार मेहता का दिमाग है.
हाइलाइट्स
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून पर तत्काल रोक से इनकार किया.सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए सात दिन का समय मिला.तुषार मेहता की चतुराई से सरकार को अंतरिम राहत मिली.Waqf law in Supreme Court: वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 की लड़ाई अब सुप्रीम कोर्ट में है. वक्फ कानून पर स्टे नहीं लगने से सरकार को राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को वक्फ कानून पर तत्काल रोक लगाने से इनकार कर दिया. इससे केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए सात दिन का समय मिल गया. हालांकि, इस फैसले के पीछे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का चतुर दिमाग और सॉलिड दलीलें थीं. तुषार मेहता ने ही दिमाग लगाया और सुप्रीम कोर्ट की सख्ती वाली मंशा को पहले ही भांप लिया. इस तरह सरकार के लिए अंतरिम राहत सुनिश्चित की. वक्फ पर सुप्रीम कोर्ट का स्टैंड होगा, यह बुधवार की सुनवाई से ही स्पष्ट हो गया था. तभी तुषार मेहता ने ऐसी चाल चली कि जवाब तैयार करने का सरकार को वक्त भी मिल गया. चलिए जानते हैं कि कैसे तुषार मेहता ने दिमाग लगाया और कैसे सरकार को झटका लगने से बचाया.
दरअसल, वक्फ कानून संसद से पास होकर कानून बन चुका है. इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. खिलफ में 70 से अधिक याचिकाएं हैं. आर्टिकल 14 , आर्टिकल 15 और आर्टिकल 26 का हवाला देकर इसके खिलाफ याचिकाएं दायर हैं. याचिका दायर करने वालों में ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम, आप विधायक अमानतुल्लाह खान, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा और कई संगठन हैं. सीजेआई संजीव खन्ना की बेंच ने बुधवार और गुरुवार को वक्फ कानून से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई की. इस बेंच में सीजेआई संजीव खन्ना के अलावा, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन थे. सुनवाई के पहले दिन ही सुप्रीम कोर्ट ने कुछ प्रावधानों मसलन वक्फ बाय यूजर और वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति पर सवाल उठाए. संकेत दिया कि वह इन पर अंतरिम रोक लगा सकता है.
कैसे मान गया सुप्रीम कोर्ट
बस यही वो पल था जब तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट की मंशा को भांप लिया. सुप्रीम कोर्ट की मंशा को ध्यान में रखकर ही तुषार मेहता ने अपनी चाल चली और समय की मांग कर दी. मामले की सुनवाई के दौरान जब सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि अदालत वक्फ बाय यूजर और वक्फ संपत्तियों की डी-नोटिफिकेशन पर रोक लगाने पर विचार कर रहा है तो एसजी तुषार मेहता ने तुरंत कोर्ट से सात दिन का समय मांग लिया. उन्होंने कहा, ‘माय लॉर्ड, सरकार को अपना पक्ष रखने का मौका दीजिए. सात दिन में हम प्रारंभिक जवाब दाखिल करेंगे.’ तुषार मेहता ने भरी अदालत में कहा कि सुप्रीम कोर्ट का कोई भी आदेश देश भर में व्यापक प्रभाव डालेगा. इसलिए बिना सरकार का हलफनामा देखे सख्त कदम नहीं उठाया जाना चाहिए. बस यही रणनीति ही सुप्रीम कोर्ट को तत्काल आदेश देने से रोकने के लिए काफी थी.
तुषार की चाल को समझिए
हालांकि, तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट की चिंता को भी भांपा. उसे ही देखते हुए वक्फ कानून के दो विवादित प्रावधानों- वक्फ बाय यूजर और वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति- पर स्वयं ही रियायत दे दी. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को आश्वसत किया कि अगली सुनवाई तक कोई भी वक्फ संपत्ति…चाहे वह वक्फ बाय डीड हो या वक्फ बाय यूजर डी-नोटिफाई नहीं की जाएगी. इतना ही नहीं, सरकार की ओर से तुषार मेहता ने यह भी आश्वासन दिया कि केंद्रीय वक्फ परिषद या राज्य वक्फ बोर्डों में कोई नई नियुक्ति नहीं होगी. तुषार मेहता की इन दलीलों का ही असर हुआ कि सुप्रीम कोर्ट को अंतरिम रोक लगाने की जरूरत को कम कर दिया. कारण की खुद तुषार मेहता के जरिए सरकार ने स्वयं इन प्रावधानों पर अमल रोकने का वादा किया.
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Delhi,Delhi,Delhi
First Published :
April 18, 2025, 13:44 IST