डेजर्ट स्टॉर्म, रोलिंग थंडर... कैसे तय होता है मिलिट्री ऑपरेशन का नाम?

15 hours ago

6-7 मई की रात को भारत ने वो कर दिखाया जो बड़े-बड़े देश करने से पहले हजारों बार सोचेंगे. पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले (Pahalgam Terrorist Attack) का बदला भारतीय सुरक्षाबलों ने पाकिस्तान में एयरस्ट्राइक कर के ले लिया है. पाकिस्तान और पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर में 9 आतंकी कैंपों को नष्ट किया गया है. इस ऑपरेशन का नाम रखा गया था ‘ऑपरेशन सिंदूर’ (Operation Sindoor). आतंकवादियों ने कई सुहागिनों की मांग का सिंदूर उजाड़ दिया था, बस उनसे बदला लेने के लिए ही इस ऑपरेशन का नाम ऑपरेशन सिंदूर रखा गया. इस ऑपरेशन का नाम खुद प्रधानमंत्री मोदी ने दिया था. पर सवाल ये उठता है कि आमतौर पर विदेशों में मिलिट्री ऑपरेशन (How military operation code names given) का नाम आखिर कैसे तय होता है? आज हम आपको इसके बारे में बताने जा रहे हैं, साथ ही दुनिया के 10 सबसे चर्चित कोड नेम के बारे में भी बताएंगे जो बहुत खास थे.

how military operation names given

भारत ने ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया है. (फोटो: Twitter)

सबसे पहले आपको बताते हैं कि मिलिट्री ऑपरेशन का नाम देने का इतिहास क्या है. बीबीसी और मेंटल फ्लॉस वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार नाम देने की शुरुआत पहले विश्व युद्ध के दौरान हुई थी. जर्मन सेना ने काल्पनिक और धार्मिक नामों का चयन किया था, ‘आर्केनजेल’, ‘मार्स’, ‘एकिलीज’, जैसे नाम चुने गए थे. वहीं से ये चलन शुरू हुआ और दूसरे विश्व युद्धा में भी मिलिट्री ऑपरेशन को नाम दिया गया. नाजी जर्मनी ने सोवियत रूस के ऊपर हमले के ऑपरेशन का नाम ‘ऑपरेशन बारबरोसा’ रखा था. ये नाम रोमन साम्राज्य के राजा, फेड्रिक प्रथम बारबरोसा के नाम पर पड़ा था.

how military operation names given

दुनिया में कई हैरतंगेज मिलिट्री ऑपरेशन हो चुके हैं. (प्रतीकात्मक फोटो: Canva)

प्रथम विश्व युद्ध से शुरू हुआ कोड नेम का चलन
हालांकि, दूसरे विश्व युद्ध के दौरान विंस्टन चर्चिल, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री, ने मिलिट्री लीडरों को भड़काऊ, अतिआत्मविश्वासी और आपत्तिजनक कोड नेम रखने से मना कर दिया था. उनका कहना था कि जिस ऑपरेशन में सैकड़ों सिपाहियों के मरने की आशंका है, उस ऑपरेशन का नाम ऐसा नहीं होना चाहिए कि शहीदों का अपमान हो, न ही ऑपरेशन का नाम जिंदा कमांडरों के नाम पर होना चाहिए. उन्होंने शहीद ब्रिटिश या अमेरिकी आर्मी सैनिकों के नाम, तारों, चंद्रमा, सूर्य या रोमन भगवानों के नाम पर नाम रखने की हिदायत दी थी.

अमेरिकी रक्षा एजेंसी ने फैलाया कोड नेम का चलन
दूसरे विश्व युद्ध के बाद हर छोटे-बड़े ऑपरेशन का नाम देने का चलन शुरू हो गया था. अधिकतर मामलों में जिन ऑफिसर्स की जिम्मेदारी ऑपरेशन की प्लानिंग की थी, वही इन ऑपरेशन का नाम भी तय करते थे. कोड नेम का चलन अमेरिकी जांच एजेंसी सीआईए तक भी पहुंचा और कोरियन या वियतमान युद्ध के दौरान इन कोड नेम का प्रयोग होने लगा. कुछ नाम ऐसे चुने गए, जिससे देश की आलोचना हुई, जैसे ‘ऑपरेशन किलर’, ‘रिपर’, ‘मैशर’, ‘मूलाह’. वियतनाम युद्ध के बाद डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस ने माना कि नाम को लेकर ज्यादा ही संजीदा और सचेत होने की जरूरत है क्योंकि ऑपरेशन शुरू होने के कुछ ही वक्त बाद नाम का खुलासा जनता के सामने किया जाने लगा था. 1972 में अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने एक गाइडलाइन जारी की, जिसके तहत उन्होंने किसी संगठन, जाति, धर्म, समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक नाम रखने से मना किया, और ऐसे नामों को रखने से भी रोका जो अमेरिका के पारंपरिक आदर्शों के खिलाफ हों या मौजूदा फॉरेन पॉलिसी का उल्लंघन करते हों.

अमेरिका में कंप्यूटर चुनने लगा नाम
1975 में नामकरण के लिए कंप्यूटर का प्रयोग अमेरिका में किया जाने लगा. Code Word, Nickname, and Exercise Term System (NICKA) नाम से एक सिस्टम बनाया गया. ये सिस्टम तमाम ऑपरेशनल नामों को सुरक्षित रखता था और नए नाम सुझाने में मदद करता था. अमेरिकी मिलिट्री के हर कमांड को 2 लेटर दिए गए थे, जिनके इस्तेमाल से ही उन्हें अपने कोड नेम सोचने थे. जैसे यूएस अफ्रीका कमांड को लिबियन एयर कैंपेन का नाम रखने के लिए अक्षरों के 3 ग्रुप से नाम चुनना था. JS-JZ, NS-NZ, और OA-OF. तीसरी लिस्ट से OD अक्षर का चुनाव हुआ और उसी के जरिए ‘ओडिसी’ (Odyssey) नाम का चयन किया गया. अगले कई सालों तक कंप्यूटर से नाम जेनरेट होने की वजह से ऑपरेशन के कई रैंडम नाम चुने गए, जैसे ‘Operation Golden Pheasant’.

how military operation names given

ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म बहुत चर्चित कोड नेम है. (प्रतीकात्मक फोटो: Canva)

पब्लिक रिलेशन के लिए चुने जाने लगे नाम
जैसे-जैसे केबल टीवी का आगमन हुआ और 24 घंटे न्यूज देने का चलन शुरू हुआ, नाम ऐसे चुने गए, जो देश और सेना के पब्लिक रिलेशन को भी दुरुस्त करें. ‘ऑपरेशन रेस्टोर होप’, ‘अपहोल्ड डेमोक्रेसी’, ‘शाइनिंग होप’, जैसे नाम चुने गए, जिनके लिए बताया गया कि उनका उद्देश्य कुछ मुहैया कराना है, जैसे सांत्वना, राहत, भरोसा, आशा, शरण और परिवर्तन.

‘डेजर्ट स्टॉर्म’ था चर्चित नाम
पहले के वक्त में ऑपरेशन का नाम, एक पूरे युद्ध में किए जाने वाले किसी एक एक्शन के लिए चुना जाता था, पर धीरे-धीरे पूरे के पूरे युद्ध या मिशन के लिए ही नाम चुना जाने लगा. जैसे गल्फ युद्ध को नाम दिया गया ‘ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म’. ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म नाम उस जगह को ध्यान में रखते हुए चुना गया, जहां पर इस ऑपरेशन को अंजाम दिया जाना था. स्टॉर्म का मतलब था एयर कैंपेन की इंटेंसिटी को दर्शाना.

दुनिया के 10 चर्चित कोड नेम ये हैं-
अब जब हमने आपको कोड नेम का इतिहास और विदेशों में नाम चुनने के तरीकों के बारे में बता दिया है, तो चलिए अब आपको बताते हैं कि दुनिया के 10 सबसे चर्चित कोड नेम कौन से हैं.

ऑपरेशन रोलिंग थंडर- 1967-68 में अमेरिका ने उत्तरी वियतनाम में ऑपरेशन का संचालन किया था, जहां विमान से बम गिराए गए थे.

ऑपरेशन रेड डॉन- 2003 में जब अमेरिका ने इराक पर कब्जा किया, तो उसके बाद सद्दाम हुसैन को पकड़ने वाले मिशन का नाम रेड डॉन रखा था. ये नाम 1984 में आई एक अमेरिकी देशभक्ति मूवी रेड डॉन पर रखा गया था.

ऑपरेशन अर्जेंट फ्यूरी- 1983 में अमेरिका द्वारा ग्रेनाडा पर हमले का कोडनेम था ऑपरेशन अर्जेंट फ्यूरी.

ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म- 1990 में सद्दाम हुसैन की इराकी सेना ने कुवैत पर कब्जा कर लिया था, तब बुश ने अमेरिकी सेना को भेजा था जिससे वो कुवैत को कब्जे से छुड़ा सकें.

ऑपरेशन रैथ ऑफ गॉड- 1972 में फिलिस्तीनी आतंकियों द्वारा म्यूनिक में इजरायली खिलाड़ियों पर हमले और मौत का बदला लेने के लिए इजरायली सुरक्षा एजेंसी मोसाद ने इस ऑपरेशन को अंजाम दिया था.

ऑपरेशन नेप्च्यून स्पियर- ओसामा बिन लादेन को 2011 में पकड़ने के लिए अमेरिका द्वारा चलाया गया ऑपरेशन था नेप्च्यून स्पियर.

ऑपरेशन विजय- भारत में दो बार ऑपरेशन विजय को अंजाम दिया गया है. 1961 में जब गोवा, दमन और दीव को पुर्तगाली शासन से छुड़ाना था और 1999 में कार्गिल युद्ध में पाकिस्तानी सेना मुंहतोड़ जवाब देने के लिए इन ऑपरेशन को अंजाम दिया गया था.

ऑपरेशन डायनामो- 1940 में जब जर्मनी ने फ्रांस पर हमला कर दिया था तो ब्रिटेन ने अपनी सेना को फ्रेंच बीच से निकालने के लिए ऑपरेशन डायनामो चलाया था. 3 लाख से ज्यादा सैनिकों को रेस्क्यू किया गया था.

ऑपरेशन मैजिक कार्पेट- जिस तरह अलादीन की जादुई कालीन हवा में उड़ती थी और उसकी जान बचाती थी, उसी प्रकार 1949-50 में करीब 50 हजार यमन के यहूदियों को इजरायल लाया गया था. ऑपरेशन अमेरिका की मदद से अंजाम दिया गया था.

ऑपरेशन ओवरलॉर्ड- दूसरे वर्ल्ड वॉर में ऑपरेशन ओवरलॉर्ड एक मिलिट्री ऑपरेशन था जिसमें एलाइड देशों की सेनाओं ने 6 जून, 1944 को नॉरमैंडी, फ्रांस में उतरकर नाजी जर्मन कब्जे से वेस्टर्न यूरोप को आजाद कराने का अभियान छेड़ा था.

Read Full Article at Source