Last Updated:September 07, 2025, 17:42 IST
Bihar Chunav 2025: बिहार चुनाव 2025 में प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी किस पार्टी का खेल बिगाड़ेगी? क्या में बिहार में जाति पॉलिटिक्स हो जाएगा अंत? पीके बिहार चुनाव में किंग बनेंगे या किंगमेकर?

प्रशांत किशोर का मिशन बिहार 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का बिगुल बजने से पहले ही चुनावी बिसात बिछाई जा चुकी है. इस बार के चुनाव में सबसे बड़ा और दिलचस्प पहलू है चुनावी रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी का मैदान में उतरना. प्रशांत किशोर ने अपनी पदयात्रा के दौरान बिहार के कोने-कोने में संगठन का जाल बिछाया है और अब वे इस संगठन को चुनावी ताकत में बदलने की तैयारी में हैं. हर कोई यह जानना चाहता है कि ‘जन सुराज’ किसका वोट काटेगी और उसकी रणनीति से किस गठबंधन को फायदा या नुकसान होगा? प्रशांत किशोर ने 243 विधानसभा सीटों के लिए एक नई और अनूठी रणनीति तैयार की है, जो बिहार की पारंपरिक जाति-आधारित राजनीति को चुनौती दे सकती है.
सूत्रों के अनुसार, जन सुराज पार्टी की टिकट वितरण नीति पूरी तरह से पारंपरिक दलों से अलग होगी. प्रशांत किशोर का मानना है कि बिहार के बदलाव की असली चाबी जमीनी स्तर के नेताओं के पास है न कि बाहुबलियों या जाति के नेताओं के पास. इस रणनीति के तहत, जन सुराज बड़ी संख्या में उन लोगों को टिकट देगी, जिनका अपनी पंचायत या क्षेत्र में गहरा प्रभाव है. यह कहा जा रहा है कि 50 से अधिक मुखिया और सरपंचों को चुनाव लड़ने का मौका दिया जाएगा, जिन्होंने जन सुराज की पदयात्रा के दौरान प्रशांत किशोर का समर्थन किया था और अपने-अपने क्षेत्र में मजबूत जनाधार रखते हैं.
किस-किस को टिकट?
इसके अलावा प्रशांत किशोर की टीम ने कई पूर्व आईएएस और आईपीएस अधिकारियों से भी संपर्क साधा है, जो राजनीति में आकर बदलाव लाना चाहते हैं. खबर है कि 5 से 10 पूर्व नौकरशाहों को भी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ाया जा सकता है. इसमें एक पूर्व डीजीपी की भी चर्चा हो रही है. एक पूर्व डीजीपी के बेटे को टिकट देना लगभग तय हो गया है. इसमें कई रिटायर्ड आईएएस और आईपीएस अधिकारी हैं. प्रशांत किशोर की यह रणनीति न सिर्फ जाति के समीकरण को तोड़ने की कोशिश करेगी, बल्कि शिक्षित और प्रभावशाली लोगों को राजनीति में लाकर एक नया विकल्प भी पेश करेगी.
किसका वोट काटेगी?
प्रशांत किशोर की चुनावी रणनीति से एनडीए और महागठबंधन दोनों ही खेमों में बेचैनी बढ़ गई है. पारंपरिक तौर पर बिहार में ‘तीसरा मोर्चा’ या तो वोट काटने का काम करता है या फिर किसी एक गठबंधन को लाभ पहुंचाता है. जन सुराज दोनों ही प्रमुख गठबंधनों का वोट काट सकती है. यह पार्टी पढ़े-लिखे युवाओं, शहरी मतदाताओं और उन लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है, जो पारंपरिक जाति और धर्म की राजनीति से ऊब चुके हैं. प्रशांत किशोर ने ‘यादव’ और ‘मुस्लिम’ वोट बैंक में भी सेंध लगाने की कोशिश की है, खासकर उन असंतुष्ट यादव नेताओं और मुस्लिम युवाओं को लुभाकर जो तेजस्वी यादव के नेतृत्व से खुश नहीं हैं. हालांकि, जानकारों को कम ही उम्मीद है कि पीके आरजेडी का वोट काट पाएएंगे.
क्या कहते हैं जानकार?
राजनीतिक विश्लेषक संजीव पांडेय कहते हैं, ‘जन सुराज से सबसे ज्यादा नुकसान एनडीए खासकर जेडीयू को हो सकता है. आरजेडी को भी नुकसाना होगा लेकिन उसकी तुलना में बीजेपी और जेडीयू को ज्यादा नुकसान होने की उम्मीद है. प्रशांत किशोर ने अपनी पदयात्रा के दौरान नीतीश कुमार की नीतियों की आलोचना कम और तेजस्वी यादव के नेतृत्व पर ज्यादा सवाल उठाए. लेकिन अब उन्होंने अपनी रणनीति बदल कर एनडीए के तरफ मोड़ दी है. जन सुराज आरजेडी के पारंपरिक ‘यादव’ और ‘मुस्लिम’ वोटों में सेंध लगा सकती है, जिससे सीधे तौर पर एनडीए को फायदा होगा. यह सीमांचल के इलाके में हो सकता है. जन सुराज अगर एंटी-इनकंबेंसी यानी सरकार विरोधी वोटों को अपने पक्ष में करती है तो इससे एनडीए को नुकसान होगा.‘
पीके की रैलियों में उमड़ रही भीड़ से लगता है कि या तो वह किंग बनेंगे या फिर किंगमेकर बनेंगे. जन सुराज के ताकतवर होने से बिहार की 243 सीटों का चुनावी गणित और भी जटिल हो गया है. अगर जन सुराज मजबूत उम्मीदवारों को मैदान में उतारती है और कुछ सीटों पर जीत हासिल करती है तो यह बिहार में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति भी पैदा कर सकती है. इसके अलावा जन सुराज उन सीटों पर दोनों गठबंधनों का खेल बिगाड़ सकती है, जहां कांटे की टक्कर है. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशांत किशोर की ‘जन सुराज’ रणनीति कितनी सफल होती है और क्या वे सच में बिहार की राजनीति में एक नया अध्याय लिख पाते हैं.
रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...
और पढ़ें
न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
First Published :
September 07, 2025, 17:42 IST