Megaquake Warning: अस्तित्व बचाने को इस देश के पास हैं सिर्फ 20 साल, वरना महाभूकंप निगल जाएगा 300000 लोग!

1 month ago

Megaquake in Japan: म्यांमार और थाईलैंड में आए भीषण भूकंप अब भी डरावनी याद बनकर लोगों के अंदर जिंदा है. कुछ ही घंटों के अंदर 2 हजार से ज्यादा लोग इस भूकंप की बलि चढ़ गए थे. अब दुनिया के एक और देश में बड़े भूकंप का अलर्ट आया है. इस अलर्ट को लोग महाभूकंप भी कह रहे हैं. क्या है कांपती धरती का ये खतरनाक सिग्नल और किस देश पर लटक रही है महाभूकंप की तलवार, आइए इसके बारे में पूरी डिटेल जानते हैं.  

कुछ ही घंटों के अंदर रिक्टर स्केल पर 7.7 की तीव्रता के भूकंप ने म्यांमार और थाईलैंड को अंदर तक थर्रा कर रख दिया. थाईलैंड में रेस्क्यू रिलीफ चल रहा है, लेकिन म्यांमार में अब तक सिर्फ और सिर्फ मौत का आंकड़ा ही गिना जा रहा है. धरती के अंदर टाइम बम की तरह बैठे भूकंप का अगला खतरा मंडरा रहा है थाईलैंड के पड़ोसी देश जापान में. 

जापान में एक महाभूकंप की भविष्यवाणी की गई है. महाभूकंप या मेगा क्वेक उस भूकंप को कहा जाता है, रिक्टर स्केल पर जिसकी तीव्रता 8 से ज्यादा होती है. यानी एक ऐसा भूकंप जो ना सिर्फ धरती बल्कि समंदर तक में बड़ी हलचल पैदा कर सकता है. जापान में जो वॉर्निंग जारी की गई है उसके मुताबिक अगर ये महाभूकंप आया तो जापान में तकरीबन 2 लाख 80 हजार लोगों की मौत हो सकती है. सबसे ज्यादा मौत उस सुनामी से हो सकती हैं, जो भूकंप की वजह से पैदा होगी. सुनामी से 2 लाख 15 हजार लोगों की मौत की आशंका है. इमारतें गिरने की वजह से 73 हजार लोगों की मौत हो सकती है और आग लगने की घटनाओं की वजह से 9 हजार लोग मारे जा सकते हैं. 

चूंकि जापान एक भूकंप प्रभावित देश रहा है इसी वजह से अलर्ट को तैयार करने के लिए पिछले 600 सालों की घटनाओं और डाटा को स्टडी किया है. स्टडी के मुताबिक जापान में साल 1400 से महाभूकंप आते रहे हैं. हर महाभूकंप 100 से लेकर 200 साल के अंतराल के बाद आता है. पिछला महाभूकंप साल 1946 में आया था. इसी वजह से माना जा रहा है कि साल 2046 तक जापान अगला महाभूकंप देख सकता है. 

जापान में इस महाभूकंप की वजह नानकाई की फॉल्टलाइन बताई जा रही है जो टोक्यो से लेकर जापान के दक्षिण में क्योशो तक जाती है. इसी फॉल्टलाइन में अगर हरकत हुई तो जापान महाभूकंप का शिकार बन सकता है. 

भूकंप प्रभावित होने की वजह से जापान में इमारतों का निर्माण अलग तरीके से किया जाता है. इमारतों की नींव और निचले आधार को इस तरह बनाया जाता है कि भूकंप की वजह से वो एक जगह नहीं टिकतीं और झटकों को सह लेती हैं. इस तकनीक की वजह से पिछले कुछ भूकंपों में जापान को जान-माल की हानि कम हुई है, लेकिन महाभूकंप के लिए अब भी जापान तकनीकी तौर पर तैयार नहीं हुआ है. 

इसी वजह से माना जा रहा है कि अगर अगले 20 सालों में जापान ने इस दिशा में कामयाबी हासिल की तो वो बच सकता है, वर्ना महाभूकंप जापान के एक बड़े हिस्से का धरती से नामोनिशान मिटा देगा. 

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