Truth of the mound of Karnak Temple in Egypt: क्या आपने कभी सोचा है कि मिस्र के मंदिरों की दीवारें सिर्फ पत्थरों की नहीं, बल्कि समय की परतों की कहानी भी हैं? हाल ही में वैज्ञानिकों ने लक्सर के पास स्थित प्राचीन करनक मंदिर (Karnak Temple) के नीचे से ऐसे रहस्य खोज निकाले हैं, जिन्होंने इतिहास की किताबों में नई लाइन जोड़ दी है.
एक मंदिर, जिसने दुनिया की कल्पना बदली
आज यह मंदिर नील नदी के किनारे खड़ा है, लेकिन करीब 5,000 साल पहले यहां पानी ही पानी था. यह इलाका तब एक नदी के बीच बसा छोटा-सा द्वीप था, जहां इंसानों के बसने की कोई संभावना नहीं थी. लेकिन जब नील नदी की धारा बदली, तो धरती का एक टुकड़ा उभरा, जिसे एक ‘पवित्र टीला’कहा गया. उसे मिस्रवासी “सृष्टि का जन्मस्थान” मानने लगे.
यही वह जगह थी, जहाँ से देवता ‘रा’ (Ra) या ‘आमुन-रा’ (Amun-Ra) के जन्म की कथाएं शुरू होती हैं. एक ऐसा स्थान जहां से 'प्रकाश और जीवन' का आरंभ हुआ माना जाता है.
वैज्ञानिकों की खोज: मिट्टी में छिपे हज़ारों साल
स्वीडन की उप्साला यूनिवर्सिटी और इंग्लैंड की साउथहैम्पटन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की टीम ने हाल ही में करनक मंदिर के नीचे मिट्टी के 61 नमूने और हज़ारों मिट्टी के बर्तनों के टुकड़े निकाले. इन सबका विश्लेषण करके उन्होंने पाया कि मंदिर की नींव पुराने साम्राज्य काल यानी लगभग 2590 से 2150 ईसा पूर्व के बीच रखी गई थी.
यह खोज इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अब तक इतिहासकारों में इस बात पर मतभेद था कि आखिर करनक की शुरुआत कब और क्यों हुई?
मिथक और भूगोल का अद्भुत संगम
जो बात इस खोज को और दिलचस्प बनाती है, वह यह है कि यह मिस्र के धार्मिक मिथकों और प्राकृतिक बदलावों का मिलन बिंदु है. माना जाता है कि करनक का चयन सिर्फ भौगोलिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक प्रतीक के रूप में किया गया था, ताकि यह जगह उस प्राचीन टीले का रूप ले सके, जहां से सृष्टि की शुरुआत हुई थी.
सदियों के लंबे काल में नदी की धाराएं बदलीं और धीरे-धीरे यह द्वीप मंदिरों, पत्थर की गलियों और विशाल स्तंभों से भर गया. हर नए दौर में मंदिर की इमारतें पुरानी नींव पर बनीं. जैसे समय खुद अपनी कहानी दोहराता रहा.
करनक आज भी क्यों खास है?
आज करनक दुनिया के सबसे बड़े और रहस्यमय मंदिरों में से एक है. पर्यटक जब इसके विशाल पत्थर के स्तंभों के बीच से गुजरते हैं, तो उन्हें शायद यह एहसास नहीं होता कि उनके पैरों के नीचे तीन हज़ार साल की भूगर्भीय और आध्यात्मिक कहानी दबी पड़ी है.
इस नई खोज से न सिर्फ करनक की उम्र के रहस्य खुले हैं, बल्कि यह भी समझ आया है कि प्राचीन मिस्रवासी सिर्फ आस्था के नहीं, बल्कि प्रकृति और भूगोल के गहरे जानकार भी थे. उन्होंने मंदिर वहीं बनाया, जहां प्रकृति ने उन्हें “सृष्टि की शुरुआत का प्रतीक दिया.
करनक मंदिर की यह खोज दिखाती है कि विज्ञान और आस्था कभी विरोधी नहीं रहे बल्कि साथ मिलकर मानव सभ्यता की नींव बनाते हैं. 3,000 साल पुरानी यह कहानी हमें बताती है कि कभी-कभी इतिहास सिर्फ दीवारों पर नहीं लिखा होता, बल्कि मिट्टी के नीचे भी छिपा रहता है.

                        3 weeks ago
                    
          
 
 
        
 
 
        
 
 
        
 
 
        
 
 
        
 
 
        
 
 
        
 
 
        
 
 
        
 
 
        
 
 
        
 
 
        
 
 
        
 
 
        
 
 
        
 
 
        