1947 से आज तक... जमात-ए-इस्लामी ने कबूल किए अपने गुनाह, चुनाव से पहले सभी गलतियों के लिए मांगी माफी

5 hours ago

Jamaat E Islami: बांग्लादेश की इस्लामी पार्टी 'जमात-ए-इस्लामी' के चीफ शफीकुर रहमान ने फरवरी में होने वाले आम चुनावों से पहले बड़ी चाल चलते हुए कहा कि हमें 'पुरानी गलतियों' के लिए माफ कर दीजिए. उन्होंने न्यूयॉर्क में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा,'1947 से अब तक, जिसकी वजह से भी किसी को हमसे तकलीफ पहुंची हो, हम उनसे बिना शर्त माफी मांगते हैं.' 

रहमान ने कहा,'कई लोगों का मानना था कि भले हमने कोई अपराध न किया हो लेकिन हमारा राजनीतिक फैसला गलत था. इसलिए माफी मांग लेना बेहतर था.' उन्होंने यह भी बताया कि पार्टी के नेता पहले भी माफी मांग चुके हैं. उन्होंने कहा,'प्रोफेसर गुलाम आजम ने माफी मांगी थी, मौलाना मतीउर रहमान ने भी और अब मैं खुद माफी मांग रहा हूं. 1947 से लेकर अब तक अगर किसी को हमारी वजह से तकलीफ या नुकसान हुआ है, तो मैं हर व्यक्ति और पूरी पार्टी की ओर से माफी मांगता हूं, कृपया हमें माफ कर दें.'

100 में से एक फैसला गलत हो सकता है

जब कुछ लोगों ने कहा कि माफी सिर्फ 1971 के लिए होनी चाहिए तो रहमान ने जवाब दिया कि क्या गलतियां सिर्फ 1971 में हुई? और जो हमें माफी मांगने को कह रहे हैं, क्या वे फरिश्ते हैं? उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि हर राजनीतिक दल से गलतियां हो सकती हैं. अगर सौ फैसलों में से एक गलत साबित हुआ और उससे देश को नुकसान हुआ, तो माफी मांगने में क्या बुराई है?

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माफी पर भी उठ रहे सवाल

हालांकि रहमान के जरिए मांगी गई माफी को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. आलोचक कह रहे हैं कि यह माफी साफ और सच्ची नहीं है, क्योंकि रहमान ने यह क्लियर नहीं बताया कि पार्टी किन अपराधों के लिए माफी मांग रही है.राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह माफी चुनाव से पहले अपनी छवि सुधारने और राजनीतिक ज़मीन वापस पाने की कोशिश है.

1971 में लोगों पर किए खूब जुल्म

1971 के मुक्ति संग्राम (लिबरेशन वॉर) के दौरान जमात-ए-इस्लामी ने पाकिस्तान का साथ दिया था और उस समय आजादी के समर्थकों, बुद्धिजीवियों, महिलाओं और आम नागरिकों पर हुए जुल्मों में इस पार्टी और उसके संगठनों अल-बद्र, अल-शम्स और रजाकार की बड़ी भूमिका रही थी.

5 अगस्त को गिरी शेख हसीना की सरकार

बता दें कि शेख हसीना सरकार (2009-2024) के दौरान जमात-ए-इस्लामी के कई नेताओं को युद्ध अपराधों के लिए फांसी दी गई थी और पार्टी पर पाबंदी लगाई गई थी लेकिन 5 अगस्त 2024 को शेख हसीना सरकार के गिरने के बाद यह पाबंदी हटा लिया गया. इसके बाद से पार्टी ने फिर से राजनीतिक गतिविधियां शुरू कर दी हैं, जिनमें छात्र संघ चुनावों में भाग लेना और अन्य इस्लामी पार्टियों से गठजोड़ करना शामिल है.

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