Last Updated:December 10, 2025, 18:53 IST
कंगना रनौत ने लोकसभा में अपनी बात कहते हुए कहा कि पीएम मोदी लोगों का दिल हैक करते हैं, ईवीएम नहीं. विपक्ष पर तीखा हमला बोलते हुए प्रियंका गांधी के “पुराने मामलों को छोड़ो” वाले बयान पर भी कंगना बरसी. उन्होंने दावा किया कि सोनिया गांधी 1983 तक भारतीय नागरिक नहीं थीं, फिर भी उससे पहले वोट डालती रहीं. कंगना जब संसद में प्रवेश कर रही थी, विपक्षी नेता फोटो सेशन का हिस्सा थे.

संसद का शीतकालीन सत्र जारी है. आज संसद परिसर में विपक्षी सांसदों के एक समूह की तस्वीर खिंचाने के बीच हाल ही में एमपी बनीं अभिनेत्री कंगना रनौत (Kangana Ranaut) साइड से बचते-बचाते हुए सदन में प्रवेश करती दिखीं. इस फोटो में विपक्षी खेमे के कई नेता एक साथ हरे रंग की सीढ़ियों पर खड़े होकर तस्वीर खिंचवा रहे हैं जबकि कंगना हल्के भूरे रंग की साड़ी पहने, हाथ में बैग लिए, तेजी से सीढ़ियां चढ़कर आगे बढ़ रही हैं. कंगना रनौत का अंदा ऐसा है जैसे वह बिना किसी से बात किए सीधे अपनी मंजिल की ओर जा रही हों.

कंगना रनौत ने सदन में आज जोरदार हमला बोलते हुए विपक्ष के नेता राहुल गांधी को निशाना साधा. उन्होंने कहा कि “नरेंद्र मोदी दिल हैक करते हैं, EVM नहीं” और विपक्ष को वोट-चोरी के इतिहास से जोड़कर भ्रष्टाचारी करार दिया. कंगना ने आरोप लगाया कि विपक्ष सदन चलने नहीं दे रहा, जिससे देशहित के अहम बिलों पर चर्चा से रोका जा रहा है.

कंगना रनौत ने कहा कि प्रियंका गांधी का “पुराने मामलों को भूल जाओ” कहना दोगलापन है. उन्होंने पूछा कि जब आपकी मां 1983 तक नागरिकता नहीं रखती थी, तब भी वह वोट क्यों दे रही थीं क्या यह लोकतंत्र है. कंगना ने चुनावी विवादों पर विपक्ष को राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी ईवीएम नहीं बल्कि लोगों के दिल “हैक” करते हैं उनकी जीत मशीनों से नहीं, सामाजिक समर्थन से है.
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कंगना रनौत ने आरोप लगाया कि विपक्ष सदन का काम रोकने में लगा हुआ है और चर्चा नहीं, सिर्फ शोर करना चाहता है. कंगना ने कहा कि ऐसे लोग वोटिंग सिस्टम पर सवाल उठाकर लोकतंत्र की भावना को कमजोर कर रहे हैं.

कंगना रनौत ने कांग्रेस पर महिला-विरोधी मानसिकता, लोकतंत्र को बदनाम करने और देश की साख गिराने के गंभीर आरोप लगाए. कंगना रनौत ने सदन के बाहर मीडिया से भी बात की. उन्होंने कहा कि उनका मुख्य ध्यान सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे बुनियादी ढांचे पर रहेगा. उन्होंने विपक्ष पर केवल व्यक्तिगत हमलों पर ध्यान केंद्रित करने का आरोप लगाया.

आज संसद में अमित शाह ने कहा कि 73 साल तक चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पूरी तरह प्रधानमंत्री के विवेक पर आधारित थी. उन्होंने बताया कि 1950 से 1989 तक प्रधानमंत्री सीधा नाम भेजते थे और राष्ट्रपति नोटिफिकेशन जारी कर देते थे. उस दौर में कभी किसी ने प्रक्रिया पर सवाल नहीं उठाया. शाह ने तंज कसते हुए कहा कि अब जब पारदर्शी कानून बन चुका है, तभी विपक्ष को समस्या याद आ रही है.

शाह ने स्पष्ट किया कि 2023 में नया कानून लाकर नियुक्ति प्रक्रिया संस्थागत और जवाबदेह बना दी गई. उन्होंने कहा कि अब प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता मिलकर उस मंत्री का चयन करते हैं जो चयन समिति में शामिल होता है. इस प्रक्रिया में राजनीतिक संतुलन, जनभागीदारी और संवैधानिक पारदर्शिता सुनिश्चित की गई है. शाह ने इसे लोकतांत्रिक सुधारों की दिशा में बड़ा कदम बताया.

अमित शाह ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि पहले वे इस नियुक्ति प्रणाली पर कभी सवाल नहीं उठाते थे. शाह ने कहा कि जब कांग्रेस सरकारें थीं, तब सब कुछ ठीक माना जाता था. लेकिन जैसे ही नरेंद्र मोदी सरकार ने कानून बनाकर प्रक्रिया को पारदर्शी किया, विपक्ष ने राजनीतिक फायदा उठाने के लिए आपत्तियां शुरू कर दीं. उन्होंने इसे जनता को गुमराह करने की रणनीति करार दिया.

शाह ने कहा कि बिहार के नतीजों ने साबित किया कि घुसपैठियों का वोट बैंक अब प्रभावी नहीं रहा. उन्होंने दावा किया कि बिहार की जनता ने साफ संदेश दिया कि गैरकानूनी मतदाता चुनावी समीकरण तय नहीं कर सकते. इसी तर्ज पर उन्होंने कहा कि बंगाल में भी लोग इसी तरह की भावना दिखाएंगे और भाजपा पूर्ण बहुमत से जीत हासिल करेगी. शाह ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला बताया.

शाह के भाषण के दौरान विपक्ष के वॉकआउट पर उन्होंने कहा कि बहस से भागना विपक्ष की पुरानी आदत है. उन्होंने कहा कि उन्हें सवाल पूछने का मौका मिला, लेकिन जवाब सुनने की इच्छा नहीं रही. शाह ने तंज करते हुए कहा कि विपक्ष सुधारों पर चर्चा नहीं, सिर्फ राजनीतिक शोर चाहता है. उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव सुधारों पर गंभीर संवाद ही लोकतंत्र की मजबूती का रास्ता है.

शाह ने 45 दिन में CCTV डेटा हटाने को लेकर कहा कि यह जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 81 के अनुरूप है. उन्होंने बताया कि चुनाव परिणाम को चुनौती देने की कानूनी समय-सीमा केवल 45 दिन की होती है. उसी आधार पर CCTV संरक्षित रखने की अवधि तय की गई. उन्होंने कहा कि जब कानून विवाद का अधिकार 45 दिन बाद समाप्त कर देता है, तब फुटेज लंबे समय तक रखने की कोई कानूनी आवश्यकता नहीं है.

अमित शाह ने विपक्ष को चेताया कि बार-बार EVM को दोष देने से उनकी बदहाली नहीं छिपेगी. उन्होंने कहा कि चुनाव हारने का असली कारण विपक्ष का कमजोर नेतृत्व, असंगठित कैडर और खराब वोटर लिस्ट प्रबंधन है. शाह के अनुसार, 20 साल तक इन्हीं मशीनों के सहारे चुनाव जीतने वाले आज हारकर आरोपों का सहारा ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि जनता एक दिन उनसे जवाब जरूर मांगेगी.
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4 hours ago
