Last Updated:December 19, 2025, 11:48 IST
भारत ने रूस से 5 एस-400 डिफेंस सिस्टम का सौदा किया है.S400 Can Kill American Fifth Gen Fighter Jet F35: भारत की योजना भविष्य में रूस से पांच और एस-400 डिफेंस सिस्टम खरीदने की है. इससे पहले 2018 में पांच स्क्वाड्रन की डील हुई थी. उसमें से तीन स्क्वाड्रन की डिलिवरी हो चुकी है. बाकी के दो यूनिट 2027 तक मिलने की संभावना है. रूस के यूक्रेन के साथ युद्ध में उलझने के कारण इस डिफेंस सिस्टम की सप्लाई बाधित हो रही है. बावजूद इसके भारत रूस के साथ एस-400 के अन्य पांच स्क्वाड्रन को लेकर बातचीत कर रहा है.
इसी बीच एक रिपोर्ट सामने आई है. इससे अमेरिका की नींद उड़ी हुई है. इस रिपोर्ट में एस-400 डिफेंस सिस्टम को लेकर ऐसे दावे किए गए है जिससे अमेरिकी जानकारों के भी होश उड़ गए हैं. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि एस-400 और एस-500 दुनिया के सबसे बेहतरीन डिफेंस सिस्टम में शामिल हैं. इन डिफेंस सिस्टम में ताकत ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने दुनिया को दिखा दी थी. लेकिन, यह केवल एक झलक थी. सच्चाई यह है कि ये रूसी डिफेंस सिस्टम अमेरिका के पांचवीं पीढ़ी के सबसे उन्नत लड़ाकू विमानों एफ-22 और एफ-35 और यहां तक बी-21 रैडर बॉम्बर को मार गिरा सकते हैं .
हम सभी को पता है कि एस-35 और एफ-22 दुनिया के सबसे बेहतरीन फाइटर जेट्स हैं. इनको रडार डिटेक्ट नहीं करता है. किसी भी दुश्मन देश के लिए इन फाइटर जेट्स को पकड़ना लगभग असंभव है. ऐसे में यह कैसे हो सकता है कि रूसी डिफेंस सिस्टम इन विमानों को मार गिरा सकते हैं. इसको लेकर nationalsecurityjournal.org नामक वेबसाइट पर एक रिपोर्ट छपी है. इसमें रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इन रूसी डिफेंस सिस्टम से अमेरिका और यूरोपीय देशों के फाइटर जेट्स को काफी खतरा पैदा हो गया है. एस-400 और एस-500 दोनों डिफेंस सिस्टम काफी लंबी दूरी से पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट्स को भी डिटेक्ट कर सकते हैं.
इस रिपोर्ट में यह कहा गया है कि एस-400 और एस-500 के बारे में उपलब्ध जानकारी पूरी तरह पुख्ता है तो यह पश्चिम के लिए एक बड़ी चुनौती है. रूसी एजेंसी आरआईए नोवोस्ती ने दावा किया है कि एस-500 का रेंज 370 मील है और यह 4.34 माइल प्रति सेकेंड के रफ्तार से आने वाले ऑब्जेक्ट को डिटेक्ट कर सकता है. अब आप सोच रहे होंगे कि एस-400 और एस-500 के बारे में हुए इस दावे से हमें क्या लेना देना है.
भारत के लिए क्यों अहम है ये रिपोर्ट
दरअसल, भारत इस समय फाइटर जेट्स की कमी से जूझ रहा है. अमेरिका के रूस के अलावा चीन एक ऐसा देश है जिसने खुद का पांचवीं पीढ़ी का फाइटर जेट बना चुका है. भारत अभी चौथी और 4.5 श्रेणी के फाइटर जेट्स पर ही अटका हुआ है. जेनरेशनल गैप के साथ उसके पास लड़ाकू विमानों की संख्या भी काफी घट गई है. एयरफोर्स के पास 42 स्क्वायड्रन होने चाहिए लेकिन अभी केवल 30 स्क्वाड्रन ही ऑपरेशनल है. इसको लेकर कई स्तरों पर काम चल रहा है. कुछ रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत इस कमी को पूरा करने के लिए 114 राफेल लड़ाकू विमान खरीदेगा तो कुछ में यह कहा जाता है कि भारत देसी फाइटर जेट्स तेजस और तेजस एमके1A से काम चलाएगा. सरकार ने तेजस एमके1A के 180 यूनिट्स का ठेका दिया है.
इस बीच मूल प्रश्न पर आते हैं. आपको लगता होगा कि कहां एस-400 की बात हो रही थी और कहां हम फाइटर जेट्स की बात करने लगे. यहीं पर हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि भारत की एक रणनीति यह भी हो सकती है कि वह सबसे पहले अपने डिफेंस सिस्टम को इतना तगड़ा करे कि टकराने वाला मुल्क तबाह हो जाए. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने इसी रणनीति का परिचय दिया था. इस संघर्ष में भारत के एयर डिफेंस सिस्टम ने शानदार काम किया था. उसने पाकिस्तान की ओर से आए तमाम खतरों को हवा में खत्म कर दिया था. इतना ही नहीं उसने तो एक बार पाकिस्तान के करीब 300 किमी भीतर जाकर एक बड़े विमान को मार गिराया था. यानी एस-400 की विश्वसनीयता पूरी तरह साबित हो चुकी है. ऐसे में भारत इस डिफेंस सिस्टम के स्क्वाड्रन की संख्या बढ़ाकर देश की पूरी तरह किलेबंदी करना चाहता, जिससे कि पांचवीं पीढ़ी के चीनी विमान भी हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सके.
First Published :
December 19, 2025, 11:48 IST

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