आमतौर पर लॉकर सुरक्षित माने जाते हैं. उसमें बेशकीमत सामान, दस्तावेज और महंगे जेवर रखे ही इसीलिए जाते हैं, क्योंकि मानते हैं कि वहां वो एकदम महफूज है. इस लॉकर को केवल उसका उपयोगकर्ता ही खोल सकता है. लेकिन बेंगलुरु के स्टेट बैंक में जब एक महिला अपना लॉकर खोलने गई तो उसके पैर के नीचे की जमीन ही सरक गई, क्योंकि उसका लॉकर खाली पड़ा था.
महिला ने बैंक से शिकायत की है. उसका कहना है कि लॉकर में उसके 145 ग्राम सोने के जेवर, हीरे से बने जेवर रखे थे, जो सब गायब हो चुके हैं. महिला ने बैंक से इसकी भरपाई करने को कहा है. क्या बैंक इसकी भरपाई करेगा.
अगर किसी बैंक लॉकर में रखा बेशकीमती सामान चोरी हो जाए या ग़ायब हो जाए, तो सवाल उठता है कि इसकी ज़िम्मेदारी किसकी है? बैंक की या ग्राहक की?
लॉकर से जुड़ा कानून और नियम
भारत में लॉकर सुविधा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के दिशा-निर्देशों और बैंकों के नियमों के तहत चलती है. रिजर्व बैंक ने 2021 में इसे लेकर नये दिशानिर्देश जारी किये थे.
– बैंक ग्राहक की लॉकर में रखी चीज़ों की जानकारी नहीं रखता. न ही यह जानने का अधिकार रखता है कि लॉकर में क्या रखा है.
लेकिन अगर लॉकर के साथ कोई छेड़छाड़ या चोरी होती है तो बैंक उसकी ज़िम्मेदारी लेता है.
– अगर बैंक की गलती या लापरवाही से लॉकर से सामान चोरी होता है, तो बैंक को ग्राहक को नुकसान की भरपाई करनी होगी.
बैंक लॉकर में रखा कीमती सामान अगर गायब हो जाए या चोरी हो जाए और ये साबित हो जाए कि ये काम बैंक की लापरवाही से हुआ तो इसमें मुआवजा मिलता है. (News18 AI)
बैंक कितना मुआवज़ा देगा
रिजर्व बैंक के अनुसार, बैंक का मुआवज़ा “100 गुना वार्षिक लॉकर किराया” तक होता है. मतलब अगर लॉकर का सालाना किराया ₹3,000 है, तो बैंक अधिकतम ₹3,00,000 तक का मुआवज़ा दे सकता है.
कब बैंक मुआवजा नहीं देगा
अगर चोरी में बैंक की गलती या लापरवाही साबित नहीं होती, तो बैंक जिम्मेदार नहीं माने जाते. बैंक किसी भी ऐसी घटना की जांच करता है और अगर इसमें बैंक की लापरवाही नहीं दिखती तो वह मुआवजा नहीं देता.
मतलब ये है कि अगर बैंक की लापरवाही, सिक्योरिटी ब्रीच या टेक्निकल गड़बड़ी से चोरी हुई तो बैंक जिम्मेदार होगा और मुआवज़ा देगा. अगर ग्राहक की चाबी गुम हुई हो या ग्राहक की गलती से कोई गड़बड़ी हुई हो तो बैंक जिम्मेदार नहीं होगा.
अगर बैंक लॉकर में छेड़छाड़ हुई तो क्या करना चाहिए
– पुलिस में FIR कराएं.
– बैंक को लिखित में कंप्लेंट दें.
– बैंक से लॉकर विज़िट की CCTV फुटेज मांगे.
– RBI के लोकपाल में शिकायत करें अगर बैंक संतोषजनक जवाब न दे.
क्या हैं लॉकर के सामान्य नियम
– बैंक लॉकर में ग्राहक अपनी चीज़ें रखता है, बैंक को पता नहीं होता कि लॉकर में क्या है. ना बैंक इस बारे में कभी पूछता है.
– ग्राहक और बैंक के बीच लॉकर एग्रीमेंट साइन होता है.
बैंक लॉकर कई साइज में मिलते हैं. उनका सालाना किराया होता है. जिसे देकर बैंक में लॉकर सुविधा ली जा सकती है. (News18 AI)
लॉकर की चाबी किसके पास होती है
– लॉकर ऑपरेशन डबल लॉक सिस्टम पर चलता है – एक ग्राहक की चाबी और एक बैंक की मास्टर चाबी.
– लॉकर की जिम्मेदारी साझा होती है, लेकिन बैंक सुरक्षा देने का वादा करता है.
बैंक लॉकर का सालाना किराया कितना होता है
बैंक लॉकर का सालाना किराया दो चीज़ों पर निर्भर करता है
लॉकर का साइज – छोटा, मध्यम, बड़ा या अतिरिक्त बड़ा
शाखा की लोकेशन – मेट्रो, शहर, अर्धशहरी, ग्रामीण
SBI लॉकर का सालाना किराया (2025 के हिसाब से अनुमानित रेट)
साइज मेट्रो/शहर अर्धशहरी ग्रामीण
छोटा ₹2,000–₹3,000 ₹1,500–₹2,500 ₹1,000–₹2,000
मध्यम ₹4,000–₹6,000 ₹3,000–₹5,000 ₹2,500–₹4,000
बड़ा ₹8,000–₹12,000 ₹6,000–₹10,000 ₹5,000–₹8,000
अतिरिक्त बड़ा ₹14,000–₹20,000 ₹10,000–₹16,000 ₹8,000–₹12,000
इसके अलावा GST (18%) भी लगेगा.
ये किराया हर बैंक शाखा और शहर के हिसाब से थोड़ा ऊपर-नीचे हो सकता है.
लॉकर का किराया साल में एक बार एडवांस में लिया जाता है.
बैंक अकाउंट से डेबिट या कैश/चेक से.
अगर किराया तय समय पर नहीं दिया, तो लेट फीस भी लगती है.
बैंक लॉकर में दो चाबियां होती हैं. एक चाबी उपभोक्ता के पास होती है तो दूसरी चाबी बैंक के पास. दोनों चाबियां लगने के बाद ही लॉकर खुल सकता है. (News18 AI)
आग और बाढ़ जैसी स्थिति में क्या होता है
RBI के 2021 गाइडलाइन के अनुसार
– अगर आग या बाढ़ से लॉकर वॉल्ट को नुकसान हुआ और बैंक ने पहले से सभी ज़रूरी सुरक्षा इंतज़ाम किए हुए थे. जैसे फायर अलार्म, वाटरप्रूफ वॉल्ट, इंश्योरेंस आदि तो ग्राहक को नुकसान की भरपाई नहीं मिलेगी.
– अगर बैंक की लापरवाही साबित होती है (जैसे फायर अलार्म काम नहीं कर रहा था, वॉल्ट की रखरखाव खराब थी), तो बैंक जिम्मेदार होगा और मुआवज़ा देना पड़ेगा.
क्या लॉकर में रखे सामान का बीमा भी होता है
– हां, बैंक लॉकर में रखे सामान का बीमा होता है. बैंक लॉकर में रखे सामान की ग्राहक की अपनी रिस्पॉन्सिबिलिटी होती है. बैंक लॉकर में रखे सामान का बीमा कोई बैंक नहीं करता.
– अगर कोई चाहे तो किसी भी बीमा कंपनी से ज्वैलरी इंश्योरेंस ले सकते हैं, जिससे लॉकर में रखा सामान भी कवर हो सकता है.लेकिन हर बैंक लॉकर में रखे सामान के बीमा की अनुमति देगा, ये जरूरी नहीं है. SBI, ICICI, HDFC जैसे बैंक लॉकर किराया तो लेते हैं, लेकिन उसमें बीमा की अनुमति नहीं देते.
बैंक लॉकर को कितनी बार आपरेट कर सकते हैं
SBI और ज़्यादातर बैंकों के नियम के अनुसार आप साल में तयशुदा फ्री विज़िट्स कर सकते हैं. उसके बाद प्रति अतिरिक्त विज़िट चार्ज देना पड़ता है.
अगर आपके पास छोटा लॉकर है तो सालभर में विजिट कर सकते हैं लेकिन इससे ऊपर विजिट करने पर हर बार 100 रुपए और जीएसटी अतिरिक्त विजिट शुल्क के रूप में देना पड़ता है. वैसे आमतौर पर सभी तरह के लॉकर्स के लिए बैंक सालभर में 12 विजिट फ्री देते हैं.
क्या बैंक लॉकर देने के लिए मोटी एफडी की शर्त रख सकते हैं
रिजर्व बैंक के नियम (2021 का सर्कुलर) के अनुसार, कोई बैंक ऐसा नहीं कर सकता. RBI ने साफ तौर पर कहा है कि कोई भी बैंक लॉकर अलॉट करने के लिए ग्राहक पर FD या भारी रकम जमा करने की शर्त नहीं थोप सकता. सिर्फ एक स्थिति में FD ली जा सकती है. अगर ग्राहक लॉकर का किराया समय पर नहीं दे पाए और बैंक लॉकर को बंद करके उसमें पड़ा सामान निकालने की प्रक्रिया करनी पड़े, तो उसका खर्च और बकाया किराया कवर करने के लिए सिर्फ उतनी रकम की FD मांगी जा सकती है. मतलब कि कोई बैंक 5 लाख, 10 लाख या इससे ज़्यादा की FD की शर्त नहीं रख सकता.