Last Updated:June 03, 2025, 18:44 IST
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने लद्दाख में सरकारी नौकरियों के लिए 85% आरक्षण को मंजूरी दी है. अनुसूचित जनजातियों (ST), सीमावर्ती निवासियों और SC वर्गों को इसका लाभ मिलेगा. यह EWS के 10% आरक्षण से अलग होगा, जिससे क...और पढ़ें

लद्दाख में केंद्र सरकार ने रिजर्वेशन बढ़ाया.
हाइलाइट्स
लद्दाख में ST को सरकारी नौकरियों में 85% आरक्षण मिला.EWS वर्ग को इसके अलावा अलग से 10% कोटा मिलेगा.मोदी सरकार ने स्थानीय पहचान और युवाओं को सुरक्षित किया.लद्दाख के लोगों के लिए एक बड़ी खबर है. केंद्र सरकार ने सारी बाधाओं को दूर करते हुए लद्दाख की सरकारी नौकरियों में 85% आरक्षण लागू कर दिया है. इसका सबसे बड़ा फायदा अनुसूचित जनजाति (ST) के लोगों को मिलेगा, जो लद्दाख की आबादी का ज्यादातर हिस्सा हैं. यह सीमा आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) के 10% आरक्षण से अलग होगी, जिससे कुल आरक्षण 95% तक जा सकेगा. सरकार ने यह फैसला यूनियन टेरिटरी लद्दाख की जनजातीय पहचान को बनाए रखने, उन्हें नौकरियों के मौके मुहैया कराने और बॉर्डर इलाकों के महत्व को ध्यान में रखते हुए लिया है.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने केंद्र के इस फैसले पर मुहर लगा दी है. लद्दाख के लोग कई सालों से मांग कर रहे थे कि उनकी नौकरियां सिर्फ उनके लिए सुरक्षित रहें. 2019 में जम्मू-कश्मीर से अलग होकर जब लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बना, तब से यह मांग और तेज हो गई थी. लोगों को डर था कि बाहर से आने वाले लोग उनकी जमीन, नौकरी और पहचान छीन लेंगे. इस फैसले से अब लद्दाख के युवाओं को सरकारी नौकरी में पहले मौका मिलेगा और उनकी संस्कृति, भाषा और पहचान भी बची रहेगी.
महिलाओं को भी मिलेगा फायदा
अब लद्दाख की स्थानीय परिषदों (LAHDC) में महिलाओं के लिए 33% यानी एक-तिहाई सीटें आरक्षित की गई हैं. इसका मतलब है कि अब महिलाएं भी फैसलों में हिस्सेदार बनेंगी.
इसका असर क्या होगा?
युवाओं को नौकरी मिलने की संभावना बढ़ेगी. लद्दाख की संस्कृति और पहचान को सुरक्षित रखा जा सकेगा. बाहरी लोगों की दखल कम होगी. सरकार और सेना को स्थानीय लोगों का ज्यादा समर्थन मिलेगा, खासकर सीमावर्ती इलाकों में. लद्दाख की जनसंख्या का लगभग 90% हिस्सा अनुसूचित जनजातियों से आता है, जैसे कि बौद्ध, बालती, शिया मुस्लिम, ब्रोकपा, चांगपा और अन्य जनजातीय समूह. इन समुदायों की वर्षों से यह मांग रही है कि बाहरी लोगों की बढ़ती आवाजाही से स्थानीय रोजगार, शिक्षा और संस्कृति को खतरा है. इसलिए सरकार ने ये बड़ा फैसला लिया है.
एक्सपर्ट क्या कहते हैं?
सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के मुताबिक, लद्दाख के लोग अब खुद को सुरक्षित महसूस करेंगे. यह फैसला स्थानीय पहचान बचाने में मदद करेगा. लद्दाख यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर ताशी डोलमा ने कहा, महिलाओं को आरक्षण मिलने से गांव की पंचायतों और परिषदों में उनका रोल बढ़ेगा.
Mr. Gyanendra Kumar Mishra is associated with hindi.news18.com. working on home page. He has 20 yrs of rich experience in journalism. He Started his career with Amar Ujala then worked for 'Hindustan Times Group...और पढ़ें
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