ऑपरेशन सिंदूर के बाद से सेना की तैयारी तेज, स्वादेशी हथियारों का ट्रायल जारी

1 day ago

Last Updated:June 03, 2025, 19:24 IST

AATAMNIRBHAR BHARAT: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान स्वदेशी हथियारों ने अपनी क्षमता को साबित कर दिया. एयर डिफेंस सिस्टम ने पाक ड्रोन को चुन चुन कर निशाना बनाया. वहा लॉइटरिंग एम्युनिशन का भी काफी इस्तेमाल हुआ था. भारती...और पढ़ें

ऑपरेशन सिंदूर के बाद से सेना की तैयारी तेज, स्वादेशी हथियारों का ट्रायल जारी

सेना की तैयारी जारी

हाइलाइट्स

भारतीय सेना आधुनिक हथियारों का फील्ड ट्रायल कर रही है.स्वदेशी उपकरणों से सेना की ताकत बढ़ रही है.युद्ध जैसी परिस्थितियों में हथियारों का परीक्षण हो रहा है.

AATAMNIRBHAR BHARAT: ऑपरेशन सिंदूर भारत का पहला नॉन कांटेक्ट वॉरफेयर था. सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने पुणें में एक लेक्चर के दौरान इस बात को दहराया.उन्होंने यह भी साफ किया कि हमने 48 घंटे की लडाई को महज 8 घंटे में खत्म कर ली. नॉन कांटेक्ट का मतलब पैदल सैनिकों, टैंक और बख्तरबंद गाड़ियों का इस्तेमाल ना होना. पूरा ऑपरेशन अनमैंड एरियल वेहिकल यानी ड्रोन, लॉइटरिंग एम्युनिशन, मिसाइल और फाइटर जेट्स का इस्तेमाल कर किया गया. भारत ने इन सबका इस्तेमाल कर पाकिस्तान को गहरी चोट पहुंचाई. इनकी खरीद की प्रक्रिया भारतीय सेना ने काफी पहले से ही शुरू कर दी थी. अब सेना लगातार इस तरह के आधुनिक हथियारों का फील्ड ट्रायल कर रही है.

स्वदेशी उपकरणों से बढ़ रही ताकत
आत्मनिर्भर भारत मुहिम के चलते भारतीय सेना के तीनों अंग अपनी ताकत में इजाफा करने में जुटे हुए हैं. स्वदेशी कंपनियों को बढ़ावा देने और भविष्य के लिए एक इको सिस्टम तैयार करने के लिए सरकार की तरफ से भी प्रोत्साहन दिया जा रहा है. भारतीय थल सेना अपनी सामरिक क्षमता बढ़ाने के लिए स्वदेशी प्लेटफॉर्म को बढ़ावा दे रही है. नए इनोवेशन के जरिए क्षमता बढ़ाने पर जोर है. भारत के अलग-अलग फील्ड और फायरिंग रेंज में स्वदेशी हथियारों का ट्रायल लगातार जारी है. इनमें अनमैन्ड एरियल सिस्टम, ड्रोन से लॉन्च किए जाने वाले प्रिसिशन गाइडेड एम्युनिशन, रनवे के बिना उड़ने वाले ड्रोन सिस्टम, काउंटर ड्रोन सिस्टम, लॉइटरिंग म्यूनिशन, स्पेशल वर्टिकल लॉन्च वाले ड्रोन, सटीक मल्टी म्यूनिशन डिलीवरी सिस्टम, इंटीग्रेटेड ड्रोन डिटेक्शन और इंटरडिक्शन सिस्टम, लो लेवल लाइट रडार और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर प्लेटफॉर्म्स भी शामिल हैं.

रीयल वॉरजोन बनाकर हो रहा है ट्रायल
किसी भी हथियार की क्षमता तभी पता लगती है जब उसका इस्तेमाल जंग के दौरान किया जाता है. भारतीय सेना जिन उपकरणों का ट्रायल कर रही है, ये सभी फील्ड ट्रायल लगभग युद्ध जैसी परिस्थितियों को बनाकर किए जा रहे हैं. सेना के पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज, बबीना फील्ड फायरिंग रेंज और जोशीमठ में हो रहे हैं, तो एयर डिफेंस उपकरणों का खास प्रदर्शन आगरा और गोपालपुर में किया जाएगा. इनमें इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर का अभ्यास भी शामिल है ताकि आधुनिक हथियारों और डिफेंस सिस्टम की कड़ी जांच की जा सके.खुद थलसेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने 27 मई को खुद बबीना फील्ड एंड फायरिंग रेंज पहुंचकर वहा चल रहे ट्रायल का निरिक्षण किया था. साथ ही प्राइवेट कंपनियों के अधिकारियों से मुलाकात भी की थी.

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