Last Updated:October 04, 2025, 06:48 IST
UAV Drone Killer Weapon: मॉडर्न वॉरफेयर में मानव रहित ड्रोन यानी UAV की भूमिका काफी बढ़ गई है. रूस-यूक्रेन युद्ध में ड्रोन का घातक इस्तेमाल देखने को मिला है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान की ओर से भी ड्रोन अटैक किया गया था.

UAV Drone Killer Weapon: ड्रोन या UAV आज के दिन किसी भी मिसाइल या फाइटर जेट से भी ज्यादा खतरनाक और घातक हो चुका है. ड्रोन से किसी भी तरह का मानवीय नुकसान झेले बिना दुश्मन को गहरा जख्म दिया जा सकता है. ऐसे में ड्रोन अटैक को नाकाम करने की तकनीक डेवलप करना आवश्यक हो गया है. भारत भी इसमें पीछे नहीं रहना चाहता है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने भारत पर दर्जनों की संख्या में ड्रोन से अटैक किया था, जिसे एयर डिफेंस सिस्टम ने नाकाम कर दिया था. उससे सबक लेते हुए भारत अब ऐसी तकनीक डेवलप करने में जुटा है, जिससे ड्रोन को हवा में ही कबाड़ बना दिया जाए. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी DRDO इस दिशा में पूरी गंभीरता से काम कर रहा है. DRDO ऐसी टेक्नोलॉजी पर काम कर रहा है, जो दुश्मनों के ड्रोन के सेंसर को हवा में ही नाकाम बना देगा. इसके बाद वह ड्रोन किसी काम ही नहीं रहेगा.
DRDO ने अब ऐसे हाई-पावर इलेक्ट्रोमैग्नेटिक (HPEM) पेलोड के विकास की पहल शुरू कर दी है, जिससे दुश्मन के यूएवी (UAV) के इलेक्ट्रॉनिक मैकेनिज्म (नेविगेशन, सेंसर और कम्युनिकेशन लिंक) को निष्क्रिय किया जा सकता है. सूत्रों के अनुसार, यह पेलोड 15 किलो से कम वजन में विकसित किया जा रहा है, जिससे इसे विभिन्न प्रकार के छोटे और मध्यम आकार के ड्रोन प्लेटफॉर्म पर आसानी से इंटीग्रेट किया जा सके. उद्देश्य यह है कि हवा में तैनात प्लेटफॉर्म से शत्रु के ड्रोन के संवेदनशील इलेक्ट्रॉनिक्स पर केंद्रित इलेक्ट्रॉनिक वेव के जरिये असर डालकर उन्हें नियंत्रित या निष्क्रिय किया जा सके. इसके लिए दुश्मन के ड्रोन को तबाह करने की जरूरत नहीं होगी. HPEM पेलोड इलेक्ट्रो मैग्नेटिक ऊर्जा के शॉर्ट-बर्स्ट जारी करके टारगेटेड ड्रोनों के जीपीएस रीसिवर, कम्युनिकेशन और कंट्रोल लिंक तथा इमेजिंग/लिडार जैसे सेंसर पैकेजों पर प्रभाव डालेगा. इससे दुश्मन के ड्रोन या स्वार्म को डिसएबल करना संभव हो सकेगा. ऐसे सिस्टम से सीमा क्षेत्र, सामरिक मोर्चे और हाई वैल्यूड एसेट्स के आसपास घातक और विनाशकारी प्रभावों के बिना ड्रोन खतरों से निपटा जा सकता है.
DRDO ड्रोन किलर टेक्नोलॉजी डेवलप करने में सफल रहता है तो यह कई मायनों में महत्वपूर्ण होने वाला है. (फाइल फोटो)
सी-यूएएस (C-UAS) ढांचे में योगदान
DRDO का यह प्रयास लेज़र बेस्ड डायरेक्टेड एनर्जी वेपन, आरएफ जैमर्स और काइनेटिक इंटरसेप्टर्स जैसी मौजूदा काउंटर-ड्रोन् क्षमताओं को और बल देगा. हवाई-तैनाती HPEM पेलोड को सीमा-आधारित खतरों, नौसैनिक परिसरों में ड्रोन हमले के प्रयास को रोकने में अहम साबित होगा. प्रोजेक्ट कई चुनौतियां भी सामने आने वाली हैं, जो टेक्नोलॉजी से जुड़ी होंगी. DRDO आगामी चरणों में इन पहलुओं का परीक्षण करेगा, जिसमें प्रभावी रेंज, लक्ष्य-विशिष्टता और कंपोनेंट्स पर न्यूनतम हस्तक्षेप सुनिश्चित करने के लिए अलग-अलग ट्रायल किए जाएंगे.
आगे की संभावनाएं
यदि UAV-इंटीग्रेटेड HPEM पेलोड सफल रहता है तो इसके बड़े संस्करण विकसित किए जा सकते हैं जो न केवल ड्रोन बल्कि जमीन पर आधारित कमांड-वाहन, रडार नोड्स और अन्य महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम को भी प्रभावित करने में सक्षम होंगे. इससे इलेक्ट्रॉनिक युद्ध की रणनीति और क्षेत्रीय हमले को रोकने की क्षमता और भी व्यापक बनेगी. DRDO का यह कदम मॉडर्न वॉरफेयर में बढ़ते ड्रोन-आधारित खतरों के जवाब में एक अग्रिम और तकनीकी रूप से एडवांस सॉल्यूशन देगा.
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
October 04, 2025, 06:48 IST