DNA: क्या नेपाल 'हिंदू राष्ट्र' बनने वाला है? पहले तख्तापलट अब आपस में 'उठा-पटक'

3 days ago

DNA Analysis: क्या नेपाल एक बार फिर से हिंदू राष्ट्र बनने वाला है? ये सवाल सिर्फ इसलिए नहीं है, कि वहां जोरशोर से हिंदू राष्ट्र की मांग उठनी शुरू हो गई है. ये सवाल इसलिए भी है, क्योंकि जिस सेना प्रमुख के हाथ में इस वक्त नेपाल की कमान है, उनकी दो नई तस्वीरें इसी ओर इशारा कर रही हैं. इस बड़ी खबर का विश्लेषण इसलिए जरूरी है ताकि आपको पता चल सके कि, हमारे पड़ोसी देश नेपाल का भविष्य क्या होने वाला है? नेपाल में तख्तापलट को 48 घंटे हो चुके हैं. पूर्व प्रधानमंत्री राजधानी छोड़कर भाग चुके हैं हिंसक आंदोलन भी थम चुका है.

नेपाल की सड़कों पर जो आगजनी हुई थी उसका मलबा भी लगभग हट चुका है. जिन इमारतों में आग लगी थी उसका धुआं छंट चुका है लेकिन नेपाल का भविष्य अभी भी धुंधला है. नेपाल को लेकर कुछ सवाल खड़े हो रहे हैं. जिसमें सबसे बड़ा सवाल तो ये है कि नेपाल का अगला प्रधानमंत्री कौन होगा. तख्तापलट के बाद बालेन शाह का नाम सामने आया फिर खबर आई कि जेन जी के एक गुट ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की का नाम आगे बढ़ाया है. इसके बाद आज ये अपडेट आया कि जेन जी के एक गुट ने सुशीला कार्की के नाम को ठुकराते हुए नेपाल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी के पूर्व प्रमुख कुलमान घिसिंग का नाम आगे कर दिया. नेपाल के अगले पीएम की रेस में कौन आगे है इसका विश्लेषण हम आगे करने वाले हैं.

इस बीच एक और सवाल ये खड़ा हो रहा है कि नेपाल में असली जेन ज़ी गुट है कौन. क्योंकि कल से लेकर अब तक जेन जी की तरफ से दो प्रेस रिलीज जारी की गई है लेकिन दोनों प्रेस रिलीज का लेटर हेड अलग अलग है. ऐसे में सबसे बड़ा कनफ्यूजन तो ये पैदा हो गया है कि असली जेन जी गुट कौन सा है और इसका नेता कौन है.. इस कन्फ्यूजन का विश्लेषण भी हम आगे करने वाले हैं. लेकिन DNA में आज जो सबसे पहला विश्लेषण हम करने जा रहे हैं वो नेपाल के भविष्य को लेकर उठ रहे तीसरे सवाल पर है कि नेपाल में लोकतंत्र जारी रहेगा या फिर राजशाही वापस लौटने वाली है.

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— Zee News (@ZeeNews) September 11, 2025

नेपाल में जेन जी क्रांति ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया. नेपाल में ओली सरकार का तख्तापलट हो गया. पूरे देश में अराजकता फैल गई, संसद से लेकर सुप्रीम कोर्ट सेक्रेटेरियट से लेकर राष्ट्रपति भवन तक सब को आग के हवाले कर दिया. नेपाल में हिंसक प्रदर्शन के बीच सेना ने देश की कमान संभाली लेकिन इस बीच सेना प्रमुख की दो तस्वीरें ऐसी आईं जिसने हिंदू राष्ट्र की थ्योरी को हवा दे दी. मंगलवार की शाम को जब नेपाल जल रहा था. उस बीच सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिग्देल ने देश के नाम एक संदेश जारी किया. आर्मी चीफ ने देश के युवाओं से हिंसा न करने की अपील की. सेना के जवानों से लूटे गए हथियारों को लौटाने की अपील की लेकिन देश के नाम इस संबोधन को कम ही लोगों ने याद रखा.

बहुत कम लोगों को उनके शब्द याद रहे. जिस चीज़ ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा, वो थी उनके पीछे दीवार पर लगी पेंटिंग. ये पेंटिंग है राजा पृथ्वी नारायण शाह की जो 18वीं सदी के सम्राट थे और जिन्होंने नेपाल का एकीकरण किया था. इस बात की चर्चा होने लगी कि क्या आर्मी चीफ सिग्देल ने इस तस्वीर के जरिये कोई संदेश देने की कोशिश की है. एक सोशल मीडिया हैंडल पर ये सवाल पूछा जाने लगा कि राजा पृथ्वी नारायण शाह की तस्वीर को बैकग्राउंड में रखकर क्या मैसेज दिया जा रहा है. राजा की ये तस्वीर दिखने पर लोग सोशल मीडिया पर पूछने लगे कि क्या नेपाल में राजशाही लौटने वाली है. क्या नेपाल एक बार फिर से हिंदू राष्ट्र बनने वाला है. नेपाल में हिंदू राष्ट्र वाली जो थ्योरी इस वक्त जोर पकड़ रही है हमने इस पर नेपाल की जनता से बात की. वहां के वरिष्ठ पत्रकारों से बात की और ये समझने की कोशिश की कि हिंदू राष्ट्र को लेकर नेपाल की जनता क्या सोचती है.

नेपाल फिलहाल अनिश्चितताओं के दौर से गुजर रहा है और इसी बीच सेना प्रमुख की दूसरी तस्वीर का जिक्र भी जरूरी है. ये तस्वीर भी कौतूहल पैदा कर रही है. दीवार पर राजा पृथ्वी नारायण शाह की तस्वीर टंगी है लेकिन आपको ये जानना चाहिए कि यहां सेना प्रमुख के साथ कौन बैठे हैं और नेपाल में हिंदू राष्ट्र वाली थ्योरी से इनका क्या कनेक्शन है. दुर्गा परसाई नेपाल के राइट विंग नेता हैं जो लंबे वक्त से नेपाल को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग कर रहे हैं. इसी साल मार्च के महीने में परसाई ने अपने बैनर 'राष्ट्र, राष्ट्रीयता, धर्म और संस्कृति के लिए जन आंदोलन' के तहत एक विशाल राजशाही समर्थक रैली का नेतृत्व किया था. शांतिपूर्ण ढंग से शुरू हुआ ये प्रदर्शन हिंसक हो गया था.

इस प्रदर्शन के दौरान पुलिस से झड़प हो गई थी. प्रदर्शन में शामिल दो लोगों की मौत हो गई थी इस प्रदर्शन के बाद परसाई ने दावा किया था कि उनके खिलाफ शूट एट साइट का आदेश जारी कर दिया गया है इसलिए वो अंडरग्राउंड हो गए थे लेकिन तख्तापलट के बाद अब परसाई की तस्वीर सेना प्रमुख के साथ सामने आई है. ऐसे में इसे इस बात का संकेत माना जा रहा है कि नेपाल में हिंदू राष्ट्र की वापसी होने वाली है नेपाल का एक बड़ा तबका लोकतंत्र का समर्थक है लेकिन राजशाही के समर्थन में भी नेपाल की अच्छी खासी आबादी रहती है और इसके लिए कुछ आंकड़ों का हवाला दिया जाता है.

इसमें कोई दो राय नहीं है कि नेपाल में लोकतंत्र आने के बाद देश की अर्थव्यवस्था और प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोत्तरी हुई है लेकिन देश में बेरोजगारी भी बढ़ी है. राजशाही के दौरान नेपाल में जो बेरोजगारी दर 8-10 फीसदी थी वो आज की तारीख में 12-14 फीसदी है. राजशाही के दौरान जो महंगाई दर 4-6 फीसदी थी.. वो आज की तारीख में 6 प्रतिशत से ज्यादा है. नेपाल में राजशाही का समर्थन करने वाले लोग तो ये तर्क भी देते हैं कि नेपाल 240 वर्षों तक शाह वंश की स्थिर सत्ता के अधीन रहा लेकिन लोकतंत्र के बीते 17 वर्षों में 13 प्रधानमंत्री बदले जा चुके हैं.नेपाल में आगे क्या होने वाला है, ये अभी तक साफ नहीं हो पाया है.

नेपाल आज एक दोराहे पर खड़ा है.  लोकतंत्र की अस्थिरता और राजशाही की वापसी की मांग के बीच नेपाल मानो झूल रहा है. नेपाल में क्या होने वाला है ये आने वाला वक्त बताएगा लेकिन आज इस वक्त नेपाल की स्थिति क्या है वो नेपाल में मौजूद हमारी टीम ने जी मीडिया के कैमरे में कैद किया है. नेपाल में 72 घंटों में क्या से क्या हो गया है. भारत के पड़ोसी देश नेपाल में ज़ेन ज़ी आंदोलन से हुई उथल-पुथल की एक-एक खबर एक-एक तस्वीर हम आपको लगातार दिखा रहे हैं. हमारी ग्राउंड रिपोर्ट देखकर आप जान गए होंगे कि इस समय नेपाल के मौजूदा हालात कैसे हैं?

नेपाल में जिस स्तर की हिंसा हुई है वो बताने के लिए काफी है कि नेपाल के अंदर अब तक जनता की नाराजगी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है और इस बीच सेना प्रमुख के दौरे की बात पहली नजर में दो संभावनाओं की तरफ इशारा करता है. नेपाल की पूर्व ओली सरकार और बीजिंग की जिनपिंग सरकार के बीच नजदीकियां नेपाल की सत्ता में वापसी करने के बाद ओली ने पहला बड़ा कदम चीन के हितों को देखते हुए ही उठाया था. ओली ने जिनपिंग के महत्वकांक्षी BRI प्रोजेक्ट से जुड़ी उन योजनाओं को दोबारा शुरु किया था. जो लंबे वक्त से सरकारी फाइलों में अटकी हुई थीं. जवाब में चीन ने इन योजनाओं के लिए आर्थिक सहायता भी ओली सरकार को दी थी. इन नजदीकियों का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि जब नेपाल में आंदोलन चल रहा था. तब सभी सोशल मीडिया एप्स बैन कर दिए गए थे लेकिन चीन का टिकटॉक बंद नहीं किया गया था. ये नजदीकियां और कुछ आर्थिक मजबूरियां भी वो वजह हो सकती हैं जिसकी वजह से जनरल अशोक राज के चीन दौरे को रद्द करने की कोई खबर नहीं आई है, नेपाल की इन आर्थिक मजबूरियों को आप कुछ आंकड़ों से समझ सकते हैं

वर्ष 2025 के आंकड़ों के मुताबिक नेपाल पर चीन का कर्ज तकरीबन 10 बिलियन डॉलर तक पहुंच चुका है. ये आंकड़ा नेपाल की जीडीपी का 25 प्रतिशत हिस्सा है. ऐसे में अगर चीन ने नेपाल से अपना कर्ज वापस मांगा तो ना सिर्फ नेपाल में BRI से जुड़ी योजनाएं ठप पड़ सकती हैं बल्कि विदेशी कर्ज से जूझते नेपाल के लिए आर्थिक संकट भी पैदा हो सकता है. इस वक्त नेपाल की तकरीबन हर गतिविधि सेना प्रमुख के इर्द गिर्द ही घूम रही है. देश के हालात काबू करने से लेकर अंतरिम सरकार के गठन के फैसले तक हर मामले में सेना प्रमुख से सलाह ली जा रही है. ऐसे हालात में नेपाल की अस्थिरता बनाए रखने के लिए नेपाल को अपने सबसे बड़े पड़ोसी को साधना भी जरूरी है सिर्फ नेपाल की अर्थव्यवस्था ही नहीं बल्कि खुद नेपाली सेना के लिए चीन का सहयोग बेहद जरूरी हो गया है. ऐसा क्यों माना जाता है ये समझने के लिए आपको कुछ आंकड़े देखने चाहिए. 

वर्ष 2005 से लेकर आज तक चीन से नेपाल को सैन्य सहायता के रूप में तकरीबन 44 मिलियन डॉलर की मदद मिल चुकी है. वर्ष 2023 में चीन ने नेपाली सेना के आधुनिकीकरण के लिए हथियार सप्लाई करने की एक बड़ी डील भी की थी लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते वो डील स्थगित कर दी गई थी. इसके साथ ही प्राकृतिक आपदाओं और संयुक्त ऱाष्ट्र सुरक्षा मिशन में नेपाली सेना के योगदान के लिए भी चीन आर्थिक मदद देता रहा है. जब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने BRI यानी BELT AND ROAD INITIATIVE का ऐलान किया था तो दुनिया के कई आर्थिक विशेषज्ञों ने कहा था कि ये कोई परियोजना नहीं बल्कि छोटे देशों को कर्ज के जाल में फंसाने का ब्लूप्रिंट है. आज नेपाल की हालत इस आशंका को सच साबित करती नजर आती है.

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