Last Updated:September 11, 2025, 13:48 IST
Who is Sushila Karki of Nepal: क्या आप जानते हैं कि नेपाल की नई पीएम चुनी गईं सुशीला कार्की की जिंदगी का एक खास हिस्सा बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) से जुड़ा है? उन्होंने BHU से पढ़ाई की है. आइए आपको बताते हैं ...और पढ़ें

Who is Sushila Karki: नेपाल में 73 साल की सुशीला कार्की को देश की कमान मिलने की संभावना है. वह नेपाल की पहली महिला चीफ जस्टिस रह चुकी हैं और अब कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनने की चर्चा है. सुशीला कार्की ने 1975 में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस में मास्टर्स की डिग्री हासिल की.वह अपनी क्लास में टॉपर रहीं जो उनकी मेहनत और लगन को दिखाता है. एक मीडिया रिपोर्ट में BHU के 1985 के छात्रसंघ अध्यक्ष अनिल श्रीवास्तव के हवाले से बताया गया है कि सुशीला पढ़ाई में पूरी तरह डूबी रहती थीं.वह हॉस्टल से डिपार्टमेंट और डिपार्टमेंट से लाइब्रेरी तक का रास्ता तय करती थीं. कैंपस में उनकी कोई राजनीतिक गतिविधि नहीं थी वह बस किताबों में खोई रहती थीं.
BHU Educated Sushila Karki: बनारस में कहां रहती थीं, कहां सोती थीं?
सुशीला ने अपने बनारस के दिनों को याद करते हुए एक मीडिया इंटरव्यू में बताया कि मुझे आज भी मेरे टीचर्स, दोस्त और गंगा नदी याद हैं. हमारा हॉस्टल गंगा के किनारे था. गर्मियों में हम छत पर सोते थे.वह बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में रहती थीं और बनारस की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक माहौल का हिस्सा बनीं. उनकी ये यादें बताती हैं कि बनारस उनके लिए सिर्फ पढ़ाई की जगह नहीं, बल्कि एक खास अनुभव था.
वकील से जज तक
सुशीला ने 1979 में बिराटनगर में वकालत शुरू की. धीरे-धीरे वह नेपाल की न्यायिक दुनिया में बड़ा नाम बन गईं. 2009 में वो सुप्रीम कोर्ट की जज बनीं और 11 जुलाई 2016 से 6 जून 2017 तक नेपाल की पहली महिला चीफ जस्टिस रहीं. उनकी ईमानदारी और भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रवैये ने उन्हें मशहूर किया. हालांकि 2017 में उनके खिलाफ महाभियोग लाया गया जिसमें उन पर पक्षपात और कार्यपालिका में दखल देने के आरोप लगे.बाद में भारी जन दबाव और सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश के बाद ये महाभियोग वापस लिया गया.
पति दुर्गा प्रसाद सुबेदी से बनारस में मुलाकात
सुशीला की जिंदगी का एक अहम मोड़ बनारस में तब आया जब उनकी मुलाकात नेपाली कांग्रेस के नेता दुर्गा प्रसाद सुबेदी से हुई. यहीं से शुरू हुई उनकी प्रेम कहानी जो बाद में शादी में बदली.दुर्गा उनके लिए न सिर्फ जीवनसाथी बने, बल्कि जैसा कि सुशीला ने कहा कि मेरे सबसे भरोसेमंद दोस्त और हर मुश्किल में गाइड भी रहे.
दुर्गा प्रसाद और 1973 का प्लेन हाईजैक
दुर्गा प्रसाद सुबेदी का नाम 1973 में उस वक्त सुर्खियों में आया,जब उन्होंने 10 जून को नेपाल एयरलाइंस के एक प्लेन को हाईजैक किया.इस प्लेन में 22 लोग सवार थे और 32 लाख रुपये का बैग था.दुर्गा और उनके साथियों ने इस पैसे को नेपाली कांग्रेस के नेता गिरजा प्रसाद कोइराला को सौंप दिया ताकि नेपाल में राजा महेंद्र बीर विक्रम शाह देव की सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए हथियार खरीदे जा सकें.प्लेन को बिहार के फोर्ब्सगंज में लैंड करवाया गया.नकदी निकालकर विमान को रवाना कर दिया गया. इसके बाद हाईजैकर्स वाराणसी भाग आए.बाद में इंदिरा गांधी सरकार के दौरान इमरजेंसी लागू होने पर दुर्गा को वाराणसी के नगवां इलाके में एक घर से गिरफ्तार किया गया था.
भारत और बनारस से गहरा रिश्ता
सुशीला का भारत से गहरा नाता है.उनका घर बिराटनगर में है जो भारत की सीमा से सिर्फ 25 मील दूर है.उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि वह अक्सर सीमा पर बने बाजार जाती थीं. हिंदी में बात करते हुए उन्होंने कहा कि हम भारत के नेताओं को भाई-बहन की तरह मानते हैं.बनारस में बिताए दिन उनके लिए यादगार हैं. BHU के प्रोफेसर भूपेंद्र विक्रम सिंह बताते हैं कि सुशीला की यादों को अब यूनिवर्सिटी सहेजेगी. हालांकि पढ़ाई पूरी करने के बाद सुशीला दोबारा कैंपस नहीं लौटीं.
नेपाल की कार्यवाहक PM बनने की चर्चा
नेपाल में केपी शर्मा ओली की सरकार गिरने के बाद सुशीला कार्की का नाम कार्यवाहक प्रधानमंत्री के लिए सामने आया. Gen Z प्रोटेस्टर्स ने उनकी ईमानदारी और भ्रष्टाचार के खिलाफ रिकॉर्ड को देखते हुए उन्हें चुना. सुशीला कार्की की कहानी सिर्फ पढ़ाई और प्रोफेशनल कामयाबी की नहीं, बल्कि बनारस की गलियों, गंगा के घाटों और उनके रिश्तों की भी है.BHU से शुरू हुआ उनका सफर अब नेपाल की सत्ता के शिखर तक पहुंच चुका है.
Dhiraj Raiअसिस्टेंट एडिटर
न्यूज़18 हिंदी (Network 18) डिजिटल में असिस्टेंट एडिटर के तौर पर कार्यरत. करीब 13 वर्ष से अधिक समय से मीडिया में सक्रिय. हिन्दुस्तान, दैनिक भास्कर के प्रिंट व डिजिटल संस्करण के अलावा कई अन्य संस्थानों में कार्य...और पढ़ें
न्यूज़18 हिंदी (Network 18) डिजिटल में असिस्टेंट एडिटर के तौर पर कार्यरत. करीब 13 वर्ष से अधिक समय से मीडिया में सक्रिय. हिन्दुस्तान, दैनिक भास्कर के प्रिंट व डिजिटल संस्करण के अलावा कई अन्य संस्थानों में कार्य...
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First Published :
September 11, 2025, 12:11 IST