Last Updated:October 01, 2025, 16:58 IST
Future CM of Bihar: बिहार का अगला सीएम कौन होगा? एनडीए में जहां नीतीश कुमार और सम्राट चौधरी जैसे कई चेहरे हैं, वहीं महागठबंधन में भी तेजस्वी इस रेस में सबसे आगे हैं. लेकिन बड़ा सवाल क्या प्रशांत किशोर भी इस रेस में अब बन गए हैं?

पटना. बिहार चुनाव से पहले लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि अगर नतीजे के बाद किसी गठबंधन को बहुमत नहीं मिला तो क्या होगा? क्या सीएम बनने के लिए जुगाड़ फॉर्मूले की खोज होगी? जन सुराज के नेता प्रशांत किशोर असरदार होंगे या उनका पत्ता साफ हो जाएगा? बिहार चुनाव का बिगुल अब किसी भी समय बज सकता है, लेकिन सबसे बड़ा ‘खेला’ तो चुनाव परिणाम आने के बाद हो सकता है. एनडीए में नीतीश कुमार सीएम के सबसे प्रबल दावेदार हैं. इनके बाद बाद सम्राट चौधरी सहित कई नेताओं की चर्चा चल रही है. महागठबंधन में तेजस्वी यादव अपने आपको सीएम फेस मान रहे हैं, लेकिन राहुल गांधी अपने मुंह से नहीं बोल रहे हैं. ऐसे में मौजूदा राजनीतिक परिस्थिति में सिर्फ एक ही शख्स प्रशांत किशोर है, जो अपने पार्टी का निर्विवाद सीएम फेस है. लेकिन, क्या चुनाव के बाद अगर किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है तो क्या सबसे स्वीकार होंगे?
बिहार में पिछले एक-दो महीने से भावी सीएम को लेकर नेताओं के जवाब से साफ संकेत मिल रहे हैं कि एनडीए और महागठबंधन खेमों में थोड़ी-बहुत खटपट है. हालांकि, एनडीए नेता खुलकर बोल रहे हैं कि नीतीश कुमार और पीएम मोदी के नाम पर चुनाव लड़ेंगे. राज्य में सीएम नीतीश कुमार और केंद्र में पीएम मोदी के नाम पर वोट मांगेंगे. नीतीश कुमार को वर्तमान चेहरे के रूप में पेश किया जा रहा है. वहीं, विपक्ष खासकर तेजस्वी यादव लगातार बोल रहे हैं कि एनडीए चुनाव के बाद चाचा को सीएम बनने नहीं देगी.
सीएम पद को बिहार में सस्पेंस क्यों?
हालांकि, महागठबंधन के खेमे में भी स्थिति स्पष्ट नहीं है. आरजेडी के नेता यह बार-बार दोहराते हैं कि चुनाव तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लड़ा जाएगा और वह ही अगले मुख्यमंत्री बनेंगे, लेकिन गठबंधन की एक महत्वपूर्ण सहयोगी कांग्रेस इस बात पर सहमत नहीं है. कांग्रेस के राष्ट्रीय और प्रादेशिक नेता तेजस्वी यादव को सीएम फेस घोषित करने से लगातार बच रहे हैं. यह दरार दिखाती है कि कांग्रेस चुनाव के बाद आरजेडी को बिना शर्त समर्थन देने के मूड में नहीं है. कांग्रेस की यह चुप्पी चुनाव परिणाम आने के बाद सीटों के बंटवारे और सत्ता में हिस्सेदारी के लिए अपनी बार्गेनिंग पावर को मजबूत करने की रणनीति मानी जा रही है. अगर आरजेडी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है तो कांग्रेस सीएम पद के लिए तेजस्वी के नाम पर बड़ा दबाव बना सकती है.
क्यों प्रशांत किशोर ही इकलौता चेहरा?
इन दोनों बड़े गठबंधनों की अस्पष्टता के बीच पीके ही एक मात्र ऐसे व्यक्ति हैं, जिनका नाम पूरी स्पष्टता के साथ भावी मुख्यमंत्री के रूप में सामने आ रहा है. पीके ने अपनी जन सुराज पार्टी के गठन के साथ ही यह स्पष्ट कर दिया है कि उनकी पार्टी अगर बिहार चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करती है और सत्ता में आने का मौका मिलता है, तो विधायक ही नेता चुनेंगे. लेकिन इससे यह भी स्पष्ट है कि विधायक जीतकर आएंगे तो वह पीके के चेहरे पर ही. ऐसे में पीके का नेता चुनना लगभग तय माना जा रहा है. लेकिन, चुनावी सर्वे में पीके की पार्टी को डबल डिजिट फिगर दिया जा रहा है. क्या पीके 30-40 सीट लाने के बाद भी सीएम बन सकते हैं?
जानकारों की मानें तो बिहार चुनाव के बाद अगर किसी भी गठबंधन को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है तो मुख्यमंत्री पद को लेकर जो बवाल मचेगा, वह बिहार की राजनीति में सबसे बड़ी अस्थिरता पैदा कर सकता है. इस स्थिति में पीके अगर 30 सीट ले आते हैं तो उनका सीएम बनने का चांस नीतीश, तेजस्वी या सम्राट चौधरी से ज्यादा होगा. पीके को नीतीश और पीएम मोदी दोनों का साथ मिल सकता है. पीके की स्वच्छ और ईमानदार छवि उनको सीएम की कुर्सी तक पहुंचा सकती है. हालांकि, ये फिलहाल कयास और अनुमान की बात है. असली सियासत तो बिहार चुनाव के रिजल्ट के बाद शुरू होने वाला है.
रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...
और पढ़ें
First Published :
October 01, 2025, 12:59 IST